अंतिम सप्ताह प्रस्ताव में मंत्रियों से लेकर महाजेनको का घोटाला गूंजा

Demand for investigation- Scam echoed from Ministers to Mahagenco in the proposal last week
अंतिम सप्ताह प्रस्ताव में मंत्रियों से लेकर महाजेनको का घोटाला गूंजा
जांच की मांग अंतिम सप्ताह प्रस्ताव में मंत्रियों से लेकर महाजेनको का घोटाला गूंजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर. विपक्ष के अंतिम सप्ताह के प्रस्ताव में सरकार के घोटाले प्रमुखता से गूंजते रहे। विधान परिषद में गुरुवार को विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे ने मंत्रियों से लेकर महाजेनको के घोटाले को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। दानवे ने कहा कि महाजेनको कंपनी में कोल वॉशरीज में 5 हजार 500 करोड़ मूल्य का कोयला 2 हजार 200 करोड़ रुपए बेचा गया। यह बड़ा घोटाला है। इसकी उच्चस्तरीय जांच की जाएगी। इस दौरान उन्होंने नासुप्र भूखंड घोटाला, गायरान जमीन घोटाला आदि घोटाले पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते  हुए कहा कि मंत्रियों के कारण राज्य की बदनामी हो रही है। नासुप्र भूखंड घोटाले में गुंठेवारी कानून कैसे लगाया सकता है। इस मामले में चार पूर्व आईएएस अफसरों ने पत्र लिखकर नगर विकास मंत्रालय को मना किया था, फिर भी भूखंड दूसरे को बेचा गया। 2018-19 में मुंबई एसीबी ने भी इस मामले में पत्र दिया था। कोर्ट ने हस्तक्षेप का आरोप लगाया। अब हलफनामा देने के बाद कह रहे हैं कि कोर्ट ने दिलासा दिया है। कोर्ट ने दिलासा नहीं, बल्कि हलफनामा स्वीकार किया है। कोई गुनाह किया है और उसे कबूल किया तो उसे गुनाह नहीं कहें, ऐसा नहीं हो सकता। एक मंत्री गायरान जमीन दूसरे को देने का काम करते हैं। यह मंत्री आदतन मजबूर है। उसके 5-6 प्रकरण हैं। 

बीमा कंपनियों की दादागिरी, किसी को 5 तो किसी को 75 रुपए मुआवजा : विरोधी पक्षनेता दानवे ने कहा कि अतिवृष्टि के कारण राज्य में किसानों की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। किसानों को नुकसान भरपाई की आवश्यकता है, लेकिन अब तक मदद नहीं मिली। राज्य के 96 लाख किसानों ने फसल बीमा के लिए आवेदन किया था। इसमें से 29 लाख को फसल बीमा मंजूर हुआ है। कंपनी क्या सिर्फ लूटने के लिए है? नियमानुसार 1 हजार रुपए से कम फसल बीमा का लाभ नहीं मिलना चाहिए। लेकिन इसकी लंबी सूची है, किसी को पांच रुपए तो किसी को 75 रुपए का क्लेम मिला है। क्या 72 घंटे का नियम सिर्फ किसानों के लिए है, जबकि खुद के लिए 10 दिन का नियम कंपनी पालन नहीं कर रही। 

अगर स्थगन लगाओगे को उद्योग कैसे आएंगे : प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए दानवे ने कहा कि अनेक उद्योग बाहर जा रहे हैं। जितने भूखंड उद्योगों को आवंटित किए गए थे, उन पर स्थगिती दी गई थी। भूखंड मंजूर होने के बाद अन्य प्रक्रिया करने में उद्योगपतियों का लाखों रुपए खर्च होता है। मंजूर होने के बाद स्थगिती क्यों? 29 सितंबर को यह स्थगिती उठाई गई। स्थगिती लगाने से अनेक उद्योग बाहर गए हैं। वेदांता, फॉक्सकॉन समेत अनेक उद्योग बाहर गए। इस संबंध में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने ट्विट कर बताया था कि उनकी बातचीत चल रही है और अब कह रहे हैं कि सरकार आने के पहले यह बाहर चले गए थे।  मेरे पास इसकी विस्तृत जानकारी है।

Created On :   30 Dec 2022 7:10 PM IST

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