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कोविशिल्ड नाम का इस्तेमाल रोकने की मांग खारिज, सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनी ने दायर की थी याचिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि सिरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को ‘कोविशिल्ड’ नाम को ट्रेडमार्क के रुप में इस्तेमाल करने से रोका गया तो इससे राज्य की ओर से चलाए गए वैक्सीन अभियान को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होगी। हाईकोर्ट ने एसआईआई को ‘कोविशिल्ड’ के नाम का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज करते हुए उपरोक्त बात कही। नांदेड़ की क्युटिस बॉयोटेक फार्मास्यूटिकल फर्म ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में फर्म ने दावा किया था कि वह ‘कोविशिल्ड’ ब्रांड नाम से हैंडसैनिटाइजर बेच रहा है। और उसने इस नाम के अपने उत्पाद के ट्रेडमार्क के पंजीयन के लिए आवेदन भी किया है। इसलिए एसआईआई को कोविशिल्ड नाम का इस्तेमाल करने से रोका जाए।
न्यायमूर्ति नितीन जामदार व न्यायमूर्ति सी वी भडंग की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान एसएसआई की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता डॉ बीरेंद्र श्रॉफ ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने मार्च 2020 में कोविशिल्ड के नाम का चयन अपने वैक्सीन के लिए किया था। जो सारे क्लीनिक परीक्षण में पास हो चुकी थी। इस संबंध में उन्होंने कई दस्तवेज भी पेश किए। इसके अलावा मेरे मुवक्किल ने कोविड की वैक्सीन बनाने के विषय में सार्वजनिक घोषणा भी की थी।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एसआईआई ने जो वैक्सीन बनाई फिलहाल वह सरकारी एजेंसियों के मार्फत उपलब्ध कराई जा रही है। यह अभी हर जगह दुकानों में उपलब्ध नहीं है। केंद्र सरकार इस वैक्सीन को खरीद रही है। इसके अलावा वैक्सीन व हैंड सैनिटाइजर दो अलग अलग उत्पाद हैं। फिलहाल राज्य की ओर से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में यदि कोविशिल्ड के नाम के इस्तेमाल को रोका गया तो इससे प्रशासन में भ्रम की स्थिति पैदा होगी। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने एसआईआई को कोविशिल्ड के नाम का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
अखबार का ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने वाले पत्रकार को हाईकोर्ट से मिली राहत
वहीं बांबे हाईकोर्ट ने अपने लेख में एक अंग्रेजी अखबार के ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने के मामले में आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे वेबसाइट के एक पत्रकार को राहत प्रदान की। अखबार ने इस मामले में पत्रकार के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थीऔर ट्रेडमार्क अधिनियम की धारा 103 के प्रावधानों के उल्लंघन का दावा किया था। शिकायत में दावा किया गया था कि आरोपी ने जून 2020 में अपने दो लेखों में अखबार के ट्रेडमार्क का इस्तेमाल नियमों के खिलाफ किया था। औऱ इसे वेबसाइट पर प्रसारित किया था।
इस एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर पत्रकार प्रतीक गोयल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में पुलिस की कार्रवाई को नियमों के विपरीत बताया गया था। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि लेख में इस्तेमाल किया गया ट्रेड मार्क वस्तु व सेवा के संबंध में तय किए गए ट्रेडमार्क के गलत उपयोग की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है। इसलिए आरोपी के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द किया जाता है।
Created On :   21 April 2021 7:31 PM IST