मुंबई हमले के बाद मंत्रिपद खोनेवालों में भी शामिल थे देशमुख

Deshmukh was also involved in those who lost ministers after the Mumbai attack
मुंबई हमले के बाद मंत्रिपद खोनेवालों में भी शामिल थे देशमुख
मुंबई हमले के बाद मंत्रिपद खोनेवालों में भी शामिल थे देशमुख

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गृहमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके अनिल देशमुख विदर्भ ही नहीं राज्य के उन बिरले नेताओं में शामिल हैं जो लगातार मंत्री रहे हैं। मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद मंत्रिपद खोनेवालों में वे भी शामिल थे। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व की भाजपा सरकार के समय वे विधानसभा सदस्य भी नहीं थे। इन दो मौकों को छोड़ दिया जाए तो देशमुख मंत्रिपद पर बने रहे हैं। विवादों के तौर पर उनके विरोध में खुलकर पहले तो कोई बड़े आराेप नहीं लगे,लेकिन गुटखा कारोबार को लेकर वे चर्चा में रहे हैं। राज्य में गुटखा उत्पादन व बिक्री प्रतिबंध के लिए वे सख्त निर्णय लेते रहे हैं।
निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ाव

देशमुख का अपने निर्वाचन क्षेत्र से अधिक जुड़ाव रहा है। राकांपा के ही कुछ नेता दबी जुबान कहते रहे हैं कि देशमुख काटोल नरखेड से बाहर निकलते तो विदर्भ में संगठन की स्थिति कुछ और होती। पहले की तरह अब भी मंत्री पद पर रहते हुए वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में अधिक समय बिताते रहे। उनकी राजनीति की शुरुआत जिला परिषद से हुई है। नागपुर जिला परिषद में निर्दलीयों के सहयोग की सत्ता काबिज कराने में उनका योगदान था। 1995 में वे पहली बार निर्दलीय ही विधानसभा का चुनाव जीते थे। तब शिवसेना के नेतृत्व की गठबंधन सरकार में वे स्कूली शिक्षा व सांस्कृतिक मामलों के मंत्री बने। 1999 में राकांपा की स्थापना के साथ वे राकांपा में शामिल हो गए। 1999,2004 व 2009 का विधानसभा चुनाव उन्होंने जीता। उस दौरान भी वे मंत्री रहे।
गुटखा प्रतिबंध चर्चा में

2002 में राज्य सरकार ने गुटखा प्रतिबंध लगाया था। उस समय खाद्य व औषधि प्रशासन मंत्री अनिल देशमुख ही थे। गुटखा प्रतिबंध के लिए उन्होंने काफी होमवर्क किया था। यह वह दौर था जब राज्य के बड़े गुटखा कारोबारी देश में गुटखा कारोबार में दबदबा रखते थे। निवेदन व शिकायतों का दौर चला। राज्य सरकार ने निर्णय नहीं बदला। 2004 में यह मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचा था। उच्चतम न्यायालय ने एक निर्णय में कहा था कि गुटखा उत्पादन व बिक्री को रोकना केंद्र सरकार का अधिकार है न कि केवल राज्य सरकार का। उस निर्णय की काफी चर्चा हुई थी। कुछ समय के लिए राज्य में गुटखा बिक्री चलती रही। लेकिन 2012 में फिर से गुटखा प्रतिबंध लागू किया गया। तब अनिल देशमुख खाद्य आपूर्ति मंत्री थे।
यह भी जान लें

2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले के बाद तत्कालिन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख व गृहमंत्री आर.आर पाटील को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में अशोक चव्हाण के नेतृत्व में नए मंत्रिमंडल ने शपथ ली। उस मंत्रिमंडल में अनिल देशमुख को स्थान नहीं मिल पाया था। नागपुर जिले के ही रमेश बंग को देशमुख के स्थान पर मंत्री बनाया गया। एक साल बाद विधानसभा चुनाव हुआ। बंग चुनाव हार गए। देशमुख फिर से मंत्री बने थे। 2014 के चुनाव में देशमुख को भतीजे आशीष ने पराजित कर दिया। तब उन्हें राकांपा ने संगठन की जिम्मेदारी दी थी। उन्हें राकांपा का नागपुर शहर अध्यक्ष बनाया गया। लंबे समय तक मंत्री पद पर रहे देशमुख उस जिम्मेदारी को निभाने में असहज थे। उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर संगठन की जिम्मेदारी अन्य पदाधिकारी को सौंप दी। इस बार मंत्री बनते ही उन्होंने प्राथमिकता से निर्णय लेकर सिनेमाघरों में राष्ट्रगीत अनिवार्य कराया।

Created On :   5 April 2021 1:38 PM GMT

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