वेस्टर्न फूड से देसी खाना बेहतर, सरस्वती विद्यालय में आयोजित हेल्दी टिफिन कॉन्टेस्ट

Desi food is better than western food, healthy tiffin contest organized in Saraswati Vidyalaya
वेस्टर्न फूड से देसी खाना बेहतर, सरस्वती विद्यालय में आयोजित हेल्दी टिफिन कॉन्टेस्ट
आयोजन वेस्टर्न फूड से देसी खाना बेहतर, सरस्वती विद्यालय में आयोजित हेल्दी टिफिन कॉन्टेस्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बच्चों काे टिफिन में ऐसी चीज देनी चाहिए, जिसे वे पसंद करते हैं। बच्चे से पूछें कि उसे टिफिन में क्या चाहिए? पास्ता, मैगी, पिज्जा मांगने वाले बच्चों को सब्जी में लिपटा पराठा व देसी खाना दें। वेस्टर्न फूड से देसी खाना बेहतर है। बच्चों में इसकी आदत डालें। सब्जियां पीसकर दें। इसके साथ ही शेंगदाना, फुटाने भी देना चाहिए। बच्चों की मानसिक स्थिति को समझकर उन्हें खाने के लिए प्रेरित करें। 15 दिन में एक मर्तबा होटल का खाना व उनकी पसंद का वेस्टर्न फूड दे सकते हैं। बच्चों को उनका पसंदीदा खाना दिया जाए, तो वे कभी खाना छोड़ेंगे नहीं। टेस्टी और हेल्दी फूड से उनका शारीरिक व मानसिक विकास होगा। देसी खाना सब्जी-रोटी, पुलाव, उपमा, पोहा, पनीर का पराठा, आलू का पराठा, ढोकला ज्यादा पौष्टिक व स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा शरीर के लिए चीनी भी बेहद जरूरी है। दैनिक भास्कर द्वारा सरस्वती विद्यालय में आयोजित हेल्दी टिफिन कॉन्टेस्ट में डायटिशियन डॉ. प्रीति गुप्ता ने पालकों को यह सलाह दी। कॉन्टेस्ट के स्पांसर हल्दीराम और विको वज्रदंती थे। इस अवसर पर विको की ओर से शालेय विद्यार्थियों की दंत जांच की गई। आभार प्रदर्शन तृप्ति यादव ने किया।

ध्यान रहे, बच्चों के दांत में कीड़े न लगें  : खाने के बाद कुल्ला करने की आदत बच्चों में डालना चाहिए। हर बार बच्चा मुंह में पानी भरकर उसे साफ करेगा तो दांतों में कीड़े नहीं लगेंगे। भारतीय संस्कृति में सभी प्रकार की समस्या का समाधान है। वर्तमान में बच्चों में गन्ना, फल व कड़े पदार्थ दांतों से काटकर खाने की आदत खत्म हो रही है। हम उन्हें फल आदि काटकर टुकड़ों में परोसते हैं। इससे दांत व मसूड़ों पर पर्याप्त दबाव नहीं पड़ता व मजबूती पर असर होता है। डेंटिस्ट अनुश्री खत्री ने यह सलाह देते हुए कहा कि बच्चे के जन्मदिन पर डेंटल विजिट अवश्य करें। बच्चों को दंत रोग से बचाने के लिए अधिकाधिक फायबर युक्त आहार देने का अनुरोध किया।

पालकों ने लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा : हेल्दी टिफिन कॉन्टेस्ट में विद्यार्थियों की माताएं विविध प्रकार के पौष्टिक व्यंजन लेकर सहभागी हुईं। इन महिलाओं ने देसी पकवान, पुलाव, पराठा, केक, पेस्ट्री, फल, मिठाइयां, सलाद, जूस, स्प्राउड्स और कई तरह के स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजनों के साथ स्पर्धा में भाग लिया गया। डायटिशियन डॉ. प्रीति गुप्ता व परीक्षकों ने यहां पेश 50 से अधिक व्यंजनों का निरीक्षण कर बेहतरीन 10 स्पर्धक महिलाओं को विजेता घोषित किया। स्पर्धा के अंत में इन विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सरस्वती विद्यालय की प्राचार्या जयश्री शास्त्री, को-आर्डिनेटर एस. रघुरामन, डॉ. अनुश्री खत्री अादि प्रमुखता से उपस्थित थे। 

खाने में क्या दें ?

दीप्ति भालेकर ने बताया कि वह स्वयं डायटिशियन हैं फिर भी तय नहीं कर पाती कि बच्चे को क्या खाने दें व क्या न दें। उनकी उलझन को दूर करते हुए डॉ. प्रीति ने कहा किसी भी प्रकार का खाना बुरा नहीं होता। वह सबकुछ दें जो बच्चा पसंद करता है। बच्चों के साथ दोस्त जैसा बर्ताव करें, स्वास्थ्यवर्धक आहार के बारे में बताएं। स्प्राउड्स को गर्म पानी में धोने के बाद ही परोसें।

टायफाइड से ग्रस्त होने के बाद खानपान को लेकर बच्चा डर गया 

मेरा बच्चा सभी प्रकार के व्यंजन खाता था। टायफाइड से ग्रस्त होने के बाद वह खानपान से परहेज करने लगा। डॉक्टर ने कहा था कि चिप्स खाने से टायफाइड हुआ है। अब वह खाने से झिझकता है। ऐसे में क्या करूं? नीता सोमकुंवर के इस प्रश्न के उत्तर में डॉ. प्रीति गुप्ता ने कहा कि टिफिन में देसी खाना, चना-फुटाना दिए जा सकते हैं। बच्चे के मन में बसे डर को दूर करने के लिए उसे पौष्टिक आहार से शरीर को होने वाले लाभ के बारे में बताएं। चिप्स या अन्य पैकेज्ड फूड का अधिक सेवन नुकसानदेह है। 

बच्चा हॉर्लिक्स, बोर्नविटा मांगता है :  मेरा बच्चा दूध नहीं पीता वह दूध में हार्लिक्स, बोर्नविटा मांगता है। यह अच्छा है या बुरा बताएं। सुमन सिंह द्वारा यह पूछे जाने पर डॉ. प्रीति ने कहा कि दूध के फ्लेवर में बदलाव करने से फर्क नहीं पड़ता। प्रोटिनेक्स हार्लिक्स बोर्नविटा आदि में शुगर होता है जो बच्चों के शारीरिक विकास के लिए जरूरी है। ध्यान रहे कि किसी भी तरह बच्चे के पेट में दूध पहुंचना चाहिए।

बच्ची दूध नहीं पीती : मेरी बच्ची दूध नहीं पीती है। खाना खाने से भी कतराती है। यह पीड़ा जाहिर करते हुए स्वर्णा मनोज भोजवानी ने उपाय बताने का अनुरोध किया। इस समस्या का हल सुझाते हुए डायटिशियन डॉ. प्रीति ने कहा कि बच्ची जो खाना चाहे उसे वह दिजिए। दूध पीलाकर स्कूल भेजना चाहिए। बहुत ज्यादा खाना देना भी परेशानी पैदा कर सकता है, इसलिए उसे उतना ही खाना दें जितना वह खा सकता है।

दूध के दांत नहीं गिरे : मेरा बच्चा 7 साल का है। अब तक उसके दूध के दांत नहीं गिरे। प्रवीण शिरपुरकर द्वारा यह चिंता जताने पर डॉ. अनुश्री खत्री ने कहा कि दूध के दांत 10-12 साल तक बचाना चाहिए। 7 वर्ष की उम्र में दूध के दांत का न गिरना समस्या नहीं है। कुछ बच्चों के दूध के दांत 8 साल तक नहीं गिरते। 

दांतों की देखभाल के लिए बच्चों में दो वक्त (विशेषकर रात्रि में भोजन के बाद) ब्रश करने की आदत डालनी चाहिए। मिल्क शेक या दूध के साथ बोर्नविटा, हार्लिक्स आदि मिलाकर दें, तो वह उसे पसंद करने लगेगी।

पोषक आहार के प्रति जागरूकता जरूरी

एस. रघुरामन, को-आर्डिनेटर, सरस्वती विद्यालय, साउथ इंडियन एजुकेशन सोसायटी के मुताबिक दैनिक भास्कर द्वारा आयोजित कार्यक्रम हेल्दी टिफिन कॉन्टेस्ट के जरिए पालकों व स्कूल प्रशासन को बेहतरीन मार्गदर्शन मिला है। इस तरह आयोजन टीचर्स के लिए भी जरूरी है। दैनिक भास्कर इस सामाजिक जिम्मेदारी का निस्वार्थ भाव से निर्वहन कर रहा है। यह प्रशंसनीय है। 

पौष्टिक आहार का मर्म जाना

जयश्री शास्त्री, प्राचार्या, सरस्वती विद्यालय के मुताबिक पौष्टिक आहार क्या है व यह बच्चों के लिए क्यों जरूरी है? इस प्रश्न का उत्तर  हेल्दी टिफिन कॉन्टेस्ट में जानने का अवसर मिला है। कार्यक्रम के जरिए पालकों को भी पोषक आहार की जानकारी मिली है। इससे जागरूकता आएगी। बच्चों के टिफिन में सुधार होगा और उन्हें स्वास्थ्यवर्धक आहार दिया जा सकेगा। हमारे खानपान के प्रति जागरूकता का दैनिक भास्कर का यह बेहतरीन प्रयास है। 


 

 


 

 

Created On :   14 Sept 2022 7:16 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story