देवालयों में भक्तों का ताँता, वृट की छाँव में सौभाग्य की कामना

सोमवती अमावस्या पर नर्मदा तटों पर स्नान के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़ देवालयों में भक्तों का ताँता, वृट की छाँव में सौभाग्य की कामना

डिजिटल डेस्क जबलपुर। सोमवार को शुभ दिन, दूसरा भगवान शनि का प्राकट्योत्सव और वट सावित्री पर्व। तीन बड़े मुहूर्त की वजह से देवालयों में सुबह से ही भक्तों का ताँता लगा रहा। सबसे पहले महिलाओं ने मंदिर परिसरों पर लगे वट वृक्षों की छाँव में पति के दीर्घायु होने की कामना की। धर्मज्ञों का कहना है कि भगवान भोलेनाथ द्वारा शनिदेव को तीनों लोकों का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, यही वजह है कि सोमवार के दिन प्राकट्योत्सव होने से शनि मंदिरों में भक्ति की अलख दिन भर प्रकाशित होती रही।
वृंदावन से बनकर आए शुद्ध घी के 56 भोग
प्राचीन शनिदेव मंदिर शनिधाम तिलवाराघाट में प्रात: 5 बजे से अभिषेक, अखण्ड राम चरित मानस पाठ विराम व 56 भोग लगाकर दिव्य आरती हुई। पं. सतीश महाराज ने बताया शनि महाराज का प्राकट्य संध्याकाल में हुआ था। विशेष सुगंधित पुष्पों से उनका शृंगार किया गया। मथुरा-वृंदावन से विशेष रूप से शुद्ध घी से बनकर आए 56 भोग अर्पित किए गए। इस दौरान नितिन भटिया, संजय तिवारी, पं. अनिल मिश्रा, अखिलेश सोनी, सत्येंद्र मिश्रा, योगेश चौकसे मौजूद रहे।
गंगा सागर में अर्चन व भण्डारा-
श्री विजय सीताराम उस्ताद अखाड़ा, गंगा सागर में सायं 6 बजे से पूजन, अभिषेक, महाआरती एवं भण्डारे का आयोजन किया गया। मंदिर संरक्षक गोलू पहलवान, समिति के रामचन्द्र जायसवाल, नितिन चक्रवर्ती, प्रवीण सैनी, सुशील निगम, रचना ठाकुर, अंजनी राजपूत व कान्हा ने बताया कि दिन भर अर्चन चलता रहा। इसके बाद भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया गया।
राहु-केतु के विशेष क्षेत्र मार्कण्डेय धाम में पूजन-अर्चन-
तिलवारा से आगे जोधपुर पड़ाव स्थित मार्कण्डेय धाम में प्रात: काल से ही भक्तों का ताँता लग गया। संस्थापक स्वामी स्वातिकेश्वर ने बताया कि विश्व की सबसे ऊँची 21 फीट की प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक कर पूजन-अर्चन किया गया। तिलवारा को राहु-केतु और तिल का स्थान माना गया है। अत: इस क्षेत्र में भगवान शनि के अर्चन का विशेष महत्व है।
सूत्र बंधन के साथ वट की परिक्रमा
वट सावित्री पर्व सोमवार को श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया। सुबह घरों में पूजा-अर्चना की गई। इसके साथ ही महिलाओं ने मंदिरों, बाग, बगीचों में जाकर वट वृक्षों का पूजन किया। धर्माचार्य बताते हैं कि वट वृक्ष की पूजा करने से घरों में सुख व समृद्धि बनी रहती है। इसी परम्परा के पालन में महिलाओं ने वृक्ष के तने में कच्चा सूत बाँधते हुए वट की पूजा की और अखण्ड सौभाग्य, पति तथा बच्चों की लंबी आयु के लिए कामना की।

Created On :   30 May 2022 11:24 PM IST

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