यहां नजर नहीं आ रहा विकास : कहीं नाला गंदगी से पटा, कहीं सुरक्षा दीवार नहीं

Development is not visible here : Drained full with dirt, no security wall
यहां नजर नहीं आ रहा विकास : कहीं नाला गंदगी से पटा, कहीं सुरक्षा दीवार नहीं
यहां नजर नहीं आ रहा विकास : कहीं नाला गंदगी से पटा, कहीं सुरक्षा दीवार नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर पालिका की मानेवाड़ा सीमा पर बने नाले किनारे सीताबाई घाट की लगभग 2 एकड़ जगह पर श्मशान भूमि है। जहां पूरे क्षेत्र का कचरा फेंक कर उसे बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं कुछ लोगों द्वारा यहां प्लास्टिक रहित कचरा तकरीबन गत दो माह से जलाया जा रहा है। इससे निकलने वाले धुएं से लोगों व जानवरों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है। ऐसे में बेसा ग्रा.पं की लापरवाही पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार बेसा-बेलतरोड़ी, घोगली के साथ यह परिसर शहर के किनारे बसा हुआ है। यहां तकरीबन 60 से 70 हजार लोग रहते हैं। करीब 2 एकड़ में बनी श्मशान भूमि में न सुरक्षा दीवार है और न ही अंतिम संस्कार करने की कोई सुविधा भी मुहैया करवाई जाती है। विशेष बात यह है कि करीब 2 माह से यहां कचरा जलाया जा रहा है। इस भूमि को ग्रा.पं. बेसा ने डंपिंग यार्ड बना दिया है। पटवारी कार्यालय में इस भूमि का नक्शा भी नहीं है। ग्रा.पं. को सालाना करोड़ों रुपए टैक्स के रूप में आने के बाद भी प्रशासन क्यों लापरवाह है? यह लोगों की समझ से परे है। एक व्यक्ति ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि बेसा ग्रा.पं. पूरे क्षेत्र का कचरा संकलित कर इसे स्वच्छता दूत नामक वाहन से नाले में फेंकवाती है। होटलों, मंगल कार्यालयों, घरों आदि से निकलने वाला कचरा, प्लास्टिक की पन्नियां, डिस्पोजल सामग्री यहां फेंकी जाती है। इसे खाने से मवेशियों की जान खतरे में पड़ रही है। मानेवाड़ा-बेसा मार्ग पर बना नाला काफी पुराना है। यह वर्धा रोड, मनीष नगर से होते हुए हुड़केश्वर पिपला ग्रा.पं. परिसर की ओर जाता है। इस नाले का बहाव बंद होने के कारण अनेक क्षेत्रों को बरसात के दिनों में नुकसान हो सकता है। नाले के किनारे बनी बस्तियों को इससे अधिक नुकसान होने की आशंका लोगों द्वारा जताई जा रही है।

नाले को सुरक्षा दीवार नहीं गंदा पानी जाता है बस्ती में 

उधर मारवाड़ी चाल से काटन मार्केट की ओर बहते हुए नाले की सुरक्षा दीवार ढह जाने से लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि बारिश का पानी बस्ती में न जा पाए, इसलिए यहां सुरक्षा दीवार बनवाई गई थी, लेकिन कुछ साल पहले यह दीवार ढह गई। अब प्रतिवर्ष तेज बारिश होते ही पानी बस्ती में चला जाता है। इससे घरेलू सामग्री गीली होकर खराब हो जाती है। बता दें कि मेट्रो का काम शुरू होने से काटन मार्केट की ओर जाने वाले लोग नाले से सटे मार्ग से ही गुजरते हैं। वहां कई बार नाले का गंदा पानी सड़क पर बहने से आवागमन में उन्हें परेशानी होती है। नाले पर सुरक्षा दीवार बनाने की मांग वर्षों से की जा रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर लगातार अनदेखी कर रहा है। अनहोनी टालने के लिए बारिश पूर्व जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से उपरोक्त समस्या सुलझाने की मांग नागरिकों ने की है। सुंदरलाल गौर, मेवालाल गौर, रामलाल नायक समेत अन्य नागरिकों ने बताया कि क्षेत्र में मेट्रो का काम शुरू होने से मार्ग उबड़-खाबड़ हो चुका है। नाले से सटा मार्ग कॉटन मार्केट की ओर जाने के लिए उपयुक्त है। सुरक्षा दीवार न होने के कारण यहां से बारिश में आवागमन करना घातक है। रामपाल सरोज, गोपाल यादव, श्यामू कैथल आदि का कहना है कि बारिश के दिनों में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर बहता रहता है। गंदा पानी नाले से सटी कॉलनियों में चले जाने से लोगों का काफी नुकसान होता है। साथ ही गंदगी फैलने से संक्रामक बीमारियां फैलने की भी आशंका बढ़ जाती है। ऑटो रिक्शा चालक पांडुरंग चितले का कहना है कि यहां वाहनों की आवाजाही अधिक होने से रेलवे स्टेशन के पूर्वी द्वार की यातायात चरमराई रहती है। इसे सुचारु करना जरूरी है।

गटर को लगा दिया ढक्कन

वहीं रिंग रोड स्थित पॉवर हाउस चौक पर काफी माह से गटर खुला हुआ था। इससे हादसा होने की आशंका बनी रहती थी। इस संबंध में दैनिक भास्कर ने गत 22 अप्रैल को खबर प्रकाशित कर के संबंधित विभाग का ध्यानाकर्षण करवाया। इसके बाद संबंधित अधिकारियों ने समस्या की सुध लेकर गटर को ढक्कन लगवा दिया। क्षेत्र के लोगों ने बताया कि कई माह से गटर खुला होने के कारण आए दिन हादसे हो रहे थे। अंधेरे में वाहन चलाने में भी काफी दिक्कत होती थी। समस्या हल होने से नागरिकों को राहत मिली है। 

5 वर्ष में भी नहीं बन पाया कन्हान नदी पर नया पुल

इसके अलावा नागपुर- जबलपुर राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक-7 पर कन्हान नदी पर तकरीबन 35.92 करोड़ की लागत से बनने वाले नए पुल का निर्माण कार्य 5 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी पूरा नहीं हो पाया। जबकि वर्ष 2014 में नए पुल के निर्माण कार्य पूर्ण होने की मियाद 33 माह आंकी गई थी। उस हिसाब से नया पुल वर्ष 2017-18 में पूर्ण हो जाना था। ज्ञात हो कि, कन्हान नदी पर बने लगभग डेढ़ सौ साल पुराने पुल से ही भारी आवागमन जारी है। ब्रिटिशकालीन इस पुल की मियाद वर्षों पहले समाप्त हो चुकी है। लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान 12.50 लाख की लागत से 1322 फीट लंबे 20 फुट चौड़े तथा 18 मीटर ऊंचे पुल की हालत जर्जर हो चुकी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर तथा जनता की मांग पर सन 2013 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान नए पुल बनाने को मान्यता प्रदान की गई।  27 जुलाई 2013 को तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा नए पुल बनाने को मान्यता प्रदान की गई। सन 2014 में चुनाव आते-आते 25 फरवरी 2014 को तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ऑस्कर फर्नांडिस के हाथों नए पुल का भूमिपूजन किया गया। करीब 35.92 करोड़ की लागत से बनने वाले स्कूल का निर्माण कार्य का कार्य खरे एंड तारकुंडे कंपनी को दिया गया था। यह पुल 390.95 मीटर लंबा, 27.925 मीटर लंबाई के दो गाले, 14.80 मीटर की चौड़ाई तथा आजू-बाजू 1.5 मीटर के फुटपाथ का प्रावधान रखा गया था। इस पुल की ऊंचाई 121 मीटर रखी गई किंतु आज 5 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी पुल का निर्माण कार्य कछुआ गति से जारी है। पुराने पुल से रोजाना सैकड़ो की संख्या भारी वाहन, स्कूल बस,एंबुलेंस, नौकरीपेशा लोग अपने वाहनों से आवागमन करते है। पुल की खस्ताहाल देखकर किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कन्हान में पुल का निर्माण कार्य जून 2019 तक पूरा होने का वादा किया था। किंतु मई माह आधा बीत जाने के बावजूद पुल का निर्माण कार्य लगभग ठप पड़ा है। जिससे वह 2019 में भी पुल का कार्य पूरा होकर आवागमन शुरू होने के आसार नजर नहीं आ रहे। जर्जर हो चुके पुल और बढ़ते सड़क हादसों को देखते हुए जल्द ही उचित उपाय योजना करने की मांग नागरिकों ने की है।


 

Created On :   19 May 2019 6:46 PM IST

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