महाअष्टमी पर आज सूने रहे देवी मंदिर - पुजारियों ने किया महागौरी का पूजन

Devi temple being heard on Mahashtami today - priests worshiped Mahagauri
महाअष्टमी पर आज सूने रहे देवी मंदिर - पुजारियों ने किया महागौरी का पूजन
महाअष्टमी पर आज सूने रहे देवी मंदिर - पुजारियों ने किया महागौरी का पूजन

माँ गौरी को चढ़ीअठवायीं, कन्याओं का पूजन, मंदिरों और घरों में हुए अनुष्ठान
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत लगाए गए लाँकडाउन के कारण आज महाअष्टमी पर आज देवी मंदिर सूने रहे और  पुजारियों ने ही पूरी सावधानी के साथ महागौरी का पूजन किया । घर घर में माँ गौरी को अठवायीं चढ़ाई गई और कन्याओं का पूजन कर लागों ने  घरों में अनुष्ठान किए । नवरात्रि अष्टमी के दिन माँ भगवती महागौरी का पूजन किया जाता है। शहर के देवी मंदिरों एवं घरों में माता का पूजन-अर्चन के साथ हवन हुआ। इसके साथ ही व्रतधारियों द्वारा कन्या पूजन कर उपवास तोड़ा जाएगा। पं. रोहित दुबे ने बताया कि देवीभागवत पुराण के अनुसार माँ के नौ रूप और 10 महाविद्याएँ सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं। भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सदा फलदायिनी है। सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, ज्ञात-अज्ञात समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। इसे दुर्गा अष्टमी और महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि नवरात्रि के आठवें दिन हवन कर कम से कम आठ कन्याओं का पूजन करें, साथ ही आज ही के दिन अपना उपवास भी खोल सकते हैं। इस दिन माँ की पूजा के समय उन्हें लाल चुनरी ओढ़ाएँ, इसके बाद सुहाग और श्रृंगार की सारी सामग्री देवी को अर्पित कर दें। इसके बाद माँ की धूप व दीप से आरती उतारें। आज के दिन माता को नारियल का भोग लगाना फलदायी माना जाता है। माता को हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद बनाकर चढ़ाएँ। इसके बाद प्रसाद कन्याओं को भोजस्वरूप खिलाएँ। देवी पार्वती को 8 वर्ष की उम्र में ही अपने पूर्वजन्म के बारे में ज्ञात हो गया था और उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या शुरू कर दी थी। तपस्या के दौरान माता केवल कंद-मूल, फल और पत्तों का ही सेवन करती थीं। इस कठिन तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था, इसलिए उन्हें महागौरी कहा गया। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे गंगा स्नान करने को कहा। जिस समय माँ पार्वती स्नान करने गईं तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुआ, जो इनका कौशिकी रूप कहलाया और एक स्वरूप उज्ज्वल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं।  

Created On :   20 April 2021 2:32 PM IST

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