श्रावण मास में बीतक ब्रह्मज्ञान कथा सुन कृताज्ञ हो रहे श्रद्धालु

Devotees getting grateful after listening to the story of Brahmagyan in the month of Shravan
श्रावण मास में बीतक ब्रह्मज्ञान कथा सुन कृताज्ञ हो रहे श्रद्धालु
पन्ना श्रावण मास में बीतक ब्रह्मज्ञान कथा सुन कृताज्ञ हो रहे श्रद्धालु

डिजिटल डेस्क,  पन्ना। श्री पांच पदमावतीपुरी धाम पन्ना में श्रावण कृष्ण पंचमी से श्री कृष्ण जन्माष्टमीं तक पन्ना के प्रसिद्घ महामति श्री प्राणनाथ जी मंदिर में ब्रह्म ज्ञान बीतक कथा का वाचन व भावार्थ श्री बंगला जी दरबार साहिब में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से ०1 बजे तक किया जा रहा है। ज्ञात हो कि उक्त परम्परा आज से लगभग  साडे तीन सौ वर्ष से अधिक पुरानी है जो निरंतर प्रतिवर्ष जारी है। इस ब्रह्म ज्ञान कथा का श्रवण करने स्थानीय प्रणामी समाज के लोग के साथ-साथ देश के कई प्रांतों से श्रद्घालु आते हैं और परना जी में ही रहकर पूरे एक माह कथा श्रवण कर अपने आपको धन्य महसूस करते हैं। इस वर्ष बीतक ब्रह्म आत्म ज्ञान की कथा का भावार्थ भक्तों को धर्मोपदेशक पंडित अनिरुद्ध शर्मा दादा भाई द्वारा बताया जा रहा है। कथा का वाचन संकेत शर्मा शंकु द्वारा किया जा रहा है। 
महामति श्री प्राणनाथ जी और महाराजा छत्रसाल जी की भेंट का हुआ वर्णन
पंडित श्री शर्मा ने रक्षाबंधन के दिन बीतक कथा में महत्वपूर्ण चौपाई जो कि प्रत्येक वर्ष इसी दिन आती है का विस्तार पूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि महामति प्राणनाथ जी व नरवीर बुंदेल केशरी महाराजा छत्रशाल जी के मिलाप किस प्रकार और कैसे हुआ के प्रसंग को विस्तार पूर्वक बताया गया है। उन्होंने बताया कि महाराज छत्रशाल जी के भतीजे देवकरण को महामति के आने की सूचना अपने चाचा छत्रशाल को दी। उन्हें विदित था कि उनके चाचा 12 वर्षों से जिनका इंतजार कर रहे थे वह श्री प्राणनाथ जी ही विजयाभिनंद निष्कलंक बुद्घ अवतार हैं और वे जिनका इंतजार कर रहे हैं अब उनके मिलन का समय आ गया है। बीतक कथा में इसके पूर्व के प्रसंग में बताया गया था कि महामति जी ने सपने में भी छत्रशाल जी महाराज को दर्शन देकर कहा था कि  तुम चिंता मत करो मैं पल-पल तुम्हारे साथ हूं मैं एक निश्चित समय पर तुमसे अवश्य मिलूंगा और उन्होंने अपनी पहचान की एक मुहर उन्हें दी जिसे हमेशा अपने पास रखने की बात कही। जैसे ही स्वपन टूटा तो उनकी दृष्टि जब अपने हांथ की ओर गई तो देखा तो सचमुच उनकी हथेली पर सोने की विशेष मुहर रखी हुई है।अपने सपने को सच होता देख छत्रसाल जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने उस मुहर को आभूषण के रूप में अपने गले में धारण कर लिया और अपने इष्ट के आगमन की राह देखने लगे। यही कथा आज रक्षाबंधन के दिन उपस्थित सभी श्रद्घालुओं के बीच प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी सुनाई गई।
महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना महाराज कथा में हुए शामिल
आज की बीतक कथा में महामति श्री प्राणनाथ जी और छत्रसाल जी के मिलाप का वर्णन बताया गया कि किस प्रकार महाराजा छत्रसाल अपने सतगुरु से मिलने पहुंचे और  मुलाकात उपरांत उन्होंने अपने गुरु पर तन मन धन से भी कुर्बान हो गए। प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के दिन ही महाराजा छत्रसाल और महामति प्राणनाथ जी के मिलाप का प्रसंग आता है। जिस प्रसंग को सुनने के लिए राज परिवार से महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना महाराज राघवेंद्र सिंह जू देव मुख्य रूप से शामिल रहे। इसके अलावा काफी संख्या में श्रद्धालु सुंदरसाथ जिनमें बुजुर्ग, युवक, महिलाए व बच्चे सभी शामिल रहे। 

Created On :   12 Aug 2022 2:57 PM IST

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