हार नहीं मानी, अपने जज्बे और इच्छाशक्ति से कैंसर को हराकर लिया दम

Did not give up, took the courage to beat cancer with his passion and will
हार नहीं मानी, अपने जज्बे और इच्छाशक्ति से कैंसर को हराकर लिया दम
हार नहीं मानी, अपने जज्बे और इच्छाशक्ति से कैंसर को हराकर लिया दम

डिजिटल डेस्क शहडोल । जिंदगी चलते रहने का नाम है और यह तभी संभव है, जब जिंदगी में जिंदादिली साथ हो। कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनकर पसीने छूट जाते हैं। कैंसर ऐसी बीमारी है जो हर साल बड़ी संख्या में दुनियाभर में लोगों को निशाना बनाती है। हर साल लाखों लोग काल के गाल में समा जाते हैं। लेकिन, तमाम ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने इस जानलेवा बीमारी के आगे घुटने नहीं टेके। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से न सिर्फ इस बीमारी को मात दी, बल्कि दूसरों के लिए हिम्मत भी बन गए हैं। इन लोगों ने साबित कर दिया कि उचित उपचार और सकारात्मक सोच के साथ कैंसर हराया जा सकता है। आज वल्र्ड कैंसर डे के मौके पर पढि़ए नगर के कुछ ऐसे ही लोगों की कहानी, उन्हीं की जुबानी...
परिवार के जज्बे से मिली प्रेरणा
नगर के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी 79 वर्षीय मीना द्विवेदी (पत्नी श्री  एसएन द्विवेदी) आज उस जिंदादिली का नाम बन चुकी हैं, जिन्होंने उम्र के इस पड़ाव में अपनी इच्छाशक्ति और जीने की जिद के दम पर कैंसर से जंग जीती ही। मीना द्विवेदी एक हाउसवाइफ हैं। जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देेखे हैं, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से जंग ने उन्हें सच्चा लड़ाका साबित किया। वह बताती हैं कि करीब सात वर्ष पहले उन्हें ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चला। पहले तो कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या किया जाए। बाद में उन्होंने खुद को समझाया कि बीमारी शरीर में है, इसे दिमाग में नहीं चढऩे देना है। 2014 में उनका ऑपरेशन हुआ था। इसके बाद भोपाल स्थित कैंसर हॉस्पिटल में लगातार इलाज चलता रहा। इसके साथ ही उन्होंने देशी दवाइयों से अपना इलाज भी जारी रखा। डॉक्टरों के लाख समझाने के बाद भी उन्होंने कीमोथैरेपी नहीं कराई। दवाइयों के साथ-साथ नीम का पानी, शीशम की पत्तियां, हल्दी आदि का सेवन करती रहीं। उन्होंने बताया कैंसर जरूर हो गया था, लेकिन कभी भी किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। वो हर वक्त यही सोचती थीं कि हार नहीं माननी है। आज वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं और कैंसर से जंग जीत चुकी हैं।
इलाज और हौसले की जरूरत
नगर की डॉ. सुधा नामदेव भी करीब छह वर्ष पहले बे्रस्ट कैंसर को मात दे चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वह पूरी तरह से स्वस्थ थीं। किसी तरह की दिक्कत नहीं थी। वर्ष 2008 में उन्होंने रुटीन चेकअप कराया तो उन्हें बे्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि इसका पता चलते ही थोड़ी घबराहट हुई। बाद में उन्होंने अपने मन को समझाया डरना नहीं लडऩा होगा। इसके बाद इलाज शुरू कराया। सबसे पहले उनकी ब्रेस्ट सर्जरी हुई। इसके बाद आसपास की 18 छोटी-छोटी गिलटियां निकाली गई ताकि आगे यह न फैले। 21 दिन के बाद कीमोथैरेपी चालू हुई। उनकी 6 कीमोथैरेपी हुई। इसके बाद 35 दिन की रेडियोथैरेपी हुई। फिर पांच साल तक हार्मोनल थैरपी चलती रही। उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान ही 2013 में उनका कटनी ट्रांसफर हो गया था। इसके बाद भी उन्होंने हौसला बनाए रखा। 2014 में वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गई थीं। सितंबर 2013 में। इम्यूनिटी अच्छी रखने के लिए हाईप्रोटीन डाइट लेती रही। कैंसर लाइलाज नहीं है। समय पर पता चले तो इलाज से यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें।
 

Created On :   4 Feb 2020 2:10 PM IST

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