दिगंबर मुनि जैसा आचरण कठिन , सुवीरसागर ने किया 7 तत्वों का वर्णन

Difficult to behave like Digambar Muni, Suvirsagar described seven elements
दिगंबर मुनि जैसा आचरण कठिन , सुवीरसागर ने किया 7 तत्वों का वर्णन
दिगंबर मुनि जैसा आचरण कठिन , सुवीरसागर ने किया 7 तत्वों का वर्णन

डिजिटल डेस्क, नागपुर । मुनि बनकर आचरण करना कठिन है। यह उद्गार तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतिसागर के शिष्य आचार्य सुवीरसागर ने श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, लक्ष्मीनगर के शांति भवन में व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि जीव, अजीव, आश्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष आदि 7 तत्वों का वर्णन आचार्य उमास्वामी ने तत्वार्थसूत्र ग्रंथराज में अत्यंत सरलता से किया है। इसमें पुण्य और पाप मिलाकर नौ पदार्थों का वर्णन समयसार में आचार्य कुन्द कुन्द देव ने किया है। वीरसेन स्वामी ने धवला टीका में मंगलाचरण में णमोकार मंत्र लिखा है। अधिकतर आचार्य सुंदर कवि थे। जैन आयुर्वेद ग्रंथराज में नाड़ी के अनुसार परीक्षण कर दवाई दी जाती थी। उस ग्रंथ में सेव्य, असेव्य, पथ्य, अपथ्य, अपनी नाड़ी के अनुसार संयमपूर्वक मर्यादापूर्वक भोजन व्दारा काय की शुध्दि की जाती है। खाते ही जाओगे तो शरीर आपका शत्रु बनेगा। पहला गलत कार्य खान-पान और इंद्रियों के दास बन गए। शरीर पर चर्म चढ़ी है

अंदर में शरीर घिनौना, अपवित्र है। 
गवती आराधना में कहा है कि शरीर रोगों का घर है। मेरे गुरु तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतिसागर की उम्र 85 साल की थी। कोई रोग नहीं था। चष्मा भी नहीं लगा। तप और संयम का प्रभाव था। भगवान महावीर स्वामी के बाद उनकी जैसी तपस्या तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतीसागर की थी। कहा गया है- भक्ते सुंदर रुपं। यानी भगवान की भक्ति से ही सुंदर रूप प्राप्त होता है। साधु को प्रणाम करने मात्र से उच्च गोत्र का बंध होता है।   आने वाली पीढ़ी अच्छी रहें इस तरह से व्यापार बढ़ाते हो तो वैसे ही आने वाली पीढ़ी में भी धार्मिक जागृति हो इसलिए आचार्य भगवन ने जिनवाणी की रचना की है। आनेवाली पीढी सुरक्षित रहें। बहु आरंभ परिग्रह से नरकायु का बंध होता है। और अल्प आरंभ परिग्रह से मनुष्यायु का बंध होता है। अब कहां जाना है यह सोच ले। चरम शरीरी तद्भव मोक्षगामी होते है।  

चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष पवन जैन कान्हीवाड़ा
 कार्याध्यक्ष सतीश जैन पेंढारी, मंत्री जयमामू, उपमंत्री दिनेश जैन, प्रचार मंत्री हीराचंद मिश्रीकोटकर, संतोष जैन का उनके कार्य के लिए मंदिर कमेटी व्दारा सम्मान किया गया। दीप प्रज्वलन अरविंद बोबडे, शांतिकुमार शाह, प्रकाश नखाते, कृष्णराव भुसारी, अनिल डांगुर ने किया। मंगलाचरण सुषमा मखे, अनुपमा पलसापुरे ने गाया। संगीत किशोर मुठमारे ने दिया।चरण प्रक्षालन कीर्ति सरैया, सुषमा सरैया ने किया।         

        
 

Created On :   19 Nov 2019 12:00 PM IST

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