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दुर्गंध से सांस लेना हुआ मुश्किल, दो दिन में प्रशासन करे वैकल्पिक व्यवस्था
डिजिटल डेस्क शहडोल । नगर को साफ-सुथरा रखने के लिए हमारा जीवन नरक बना दिया गया है। शहर का पूरा कचरा गांव में खुले में ही फेंक दिया जाता है। इससे उठने वाली दुर्गंध से जहां सांस लेना मुश्किल हो गया है, वहीं मक्खियों की वजह से ग्रामीण कई तरह की संक्रामक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। कई बार इस संबंध में आग्रह किया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर दो दिन में वैकल्पिक इंतजाम करते हुए यहां कचरा फेंकना बंद नहीं किया गया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। इतना ही नहीं नगर पालिका की एक भी गाड़ी को कचरा नहीं फेंकने दिया जाएगा।
यह चेतावनी नजदीकी ग्राम जमुआ के आदिवासी समुदाय के लोगों ने दी है। दो दर्जन से अधिक ग्रामीण सोमवार को अपनी शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। इनमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। आक्रोशित ग्रामीणों का कहना था कि एक ओर सरकार अनुसूचित जनजाति के लोगों को मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रही है, वहीं नगर पालिका और जिला प्रशासन की अनदेखी से आदिवासी समाज के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। खुले में ही कचरा फेंक दिया जाता है, जो उड़कर उनके घरों में पहुंच रहा है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद यहां से ऐसी दुर्गंध उठ रही है कि सांस लेना मुश्किल हो रहा है। इस दौरान ग्रामीणों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन भी सौंपा।
25 टन से अधिक कचरा होता है डंप
नगर पालिका क्षेत्र से निकलने वाला कचरा जमुआ में ही खुले में डंप किया जाता है। यहां रोजाना शहर से निकलने वाला 25 टन से अधिक कचरा डंप किया जाता है। पिछले 10 वर्षों से यहां कचरा फेंका जा रहा है। करीब पांच एकड़ क्षेत्र में सिर्फ कचरे का ढेर ही नजर आता है। कचरे के निस्तारण की बात तो दूर जहां कचरा फेंका जाता है, वहां पर फेंसिंग तक नहीं की गई है। जरा सी हवा चलने पर ही कचरा उड़कर लोगों में घरों में जाता है।
स्कूल नहीं जाते बच्चे, कचरा बीनते हैं
ग्रामीणों की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि खुले में कचरा फेंकने से गांव में भयावह स्थिति निर्मित हो गई है। लोगों का जीवन तो नारकीय हो ही गया है, बच्चों का भविष्य भी बर्बाद हो रहा है। बच्चे घरों से स्कूल जाने के लिए निकलते हैं और कचरा बीनने चले जाते हैं। कचरे से कबाड़ निकालकर उसे बेचते हैं और नशे का सेवन करते हैं। गांव की 75 फीसदी आबादी बैगा समाज की है। सब शहर में मजदूरी करने चले जाते हैं। इधर गांव के बच्चों में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसके अलावा गांव व आसपास के मवेशी झुंड के झुंड यहां एकत्र होते हैं। पॉलीथीन और अन्य अपशिष्ट पदार्थ खाकर काल का ग्रास बन रहे हैं।
खुले में ही डंप किया जाता है कचरा
निस्तारण तो दूर की बात कचरा पृथकीकरण भी कोई व्यवस्था नहीं। सुबह घर-घर पहुंचने वाली गाड़ी सभी तरह का कचरा एक साथ कलेक्ट करती है और इसे एक साथ ही डंप कर दिया जाता है। न तो नगर में कहीं पर कचरा सेग्रीगेशन प्वाइंट बनाए गए हैं और न ही ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरा पृथकीकरण के इंतजाम हैं। इसी को दृष्टिगत रखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर पालिका परिषद पर सीजेएम कोर्ट शहडोल में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 एवं 16 के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हस्तन) नियम 2000 के नियम 4 के प्रावधानों के उल्लंघन का केस दायर किया है।
Created On :   3 March 2020 2:00 PM IST