स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन सिटीजन फीडबैक पर टिकी नजर

Direct observation focused on citizen feedback after cleanliness survey
स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन सिटीजन फीडबैक पर टिकी नजर
स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन सिटीजन फीडबैक पर टिकी नजर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार की स्वच्छता सर्वेक्षण टीम हाल ही  में गोपनीय तरीके से नागपुर शहर का स्वच्छता सर्वेक्षण कर गई है। इसकी किसी को कानाें-कान भनक तक नहीं लगी। टीम ने अपने तरीके से शहर में स्वच्छता का निरीक्षण किया था। इसमें मनपा के किसी भी अधिकारियों की कोई मदद नहीं ली गई। ऐसे में मनपा की बेचैनी बढ़ गई है। फिलहाल मनपा को अपनी रैंकिंग का इंतजार है। मनपा को उम्मीद है कि पिछली बार की तुलना में इस बार अच्छी रैंकिंग मिलेगी। कुछ पुख्ता वजह भी हैं। मनपा को खुले में शौचमुक्त के लिए ओडीएफ प्लस-प्लस  रैंकिंग पहले ही मिल चुकी है। इसलिए सर्टिफिकेशन कैटेगरी में मनपा के 1500 में से 500 अंक पक्के बताए जा रहे हैं। शेष 1000 अंक में भी अच्छे अंक मिलने की उम्मीद है। पिछले बार ओडीएस प्लस होने से सर्टिफिकेशन कैटेगरी में कम अंक मिले थे, लेकिन इस बार प्लस-प्लस होने से अपेक्षा बढ़ गई है। सर्विस लेवल प्रोग्रेस कैटेगरी से भी इस बार अच्छे अंक मिलने की संभावना है। पिछली बार इसमें कम अंक मिले थे। इसलिए   मनपा के तत्कालीन आयुक्त अभिजीत बांगर ने इस बार विशेष सतर्कता बरती। 

...तो हो सकते हैं टॉप 30 में शामिल
बांगर इसके लिए सिर्फ निजी कंपनी पर निर्भर नहीं रहे, बल्कि स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रदीप दासरवार को विशेष ऐहतियात बरतते हुए इसके लिए अलग से मुंबई भेजा। दासरवार ने मुंबई में पांच दिन बिताकर अपने सामने पूरा डाटा वहां फिट करवाया, ताकि सर्विस लेवल प्रोग्रेस कैटेगरी के अंकों में कोई कमी न रहे। सर्विस लेवल प्रोग्रेस में भी 1500 अंक है।  सर्टिफिकेशन और सर्विस लेवल प्रोग्रेस में मनपा ने अपनी तरफ से भरसक प्रयास किए। लेकिन अब सारा दारोमदार डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन और सिटीजन फीडबैक पर है। इन दोनों में भी 1500-1500 अंक हैं। डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन यानी टीम द्वारा खुद किए गए निरीक्षण के आधार पर अंक मिलेंगे। इसके अलावा नागरिकों से बात कर उनसे जो प्रतिसाद मिलेगा, उसके आधार पर सिटीजन फीडबैक के अंक तय होंगे। अगर इन दोनों कैटेगरी में मनपा को 1100-1100 अंक भी मिल जाते हैं, तो नागपुर शहर  देश के 30 टॉप स्वच्छ शहर में शामिल हो जाएगा। पिछले साल नागपुर शहर स्वच्छता रैंकिंग में 58वें नंबर पर था।

डर का कारण यह भी है 
स्वच्छता सर्वेक्षण टीम आने से पहले केंद्र सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 की लीग रैंकिंग जारी की थी। लीग रैंकिंग के पहले चरण (अप्रैल से जून) में नागपुर मनपा 30वें और दूसरे चरण (जुलाई से सितंबर) में 15वें नंबर पर रही। अक्टूबर से दिसंबर यानी तीसरे चरण की रैंकिंग जारी नहीं की गई। पहले और दूसरे चरण की रैंकिंग में नागपुर शहर में सुधार दिखा। लेकिन तीसरे चरण को लेकर डर है, डर स्वाभाविक है। तीसरे चरण के बीच यानी नवंबर में शहर का ठेका कनक से छीनकर नई कंपनी बीवीजी और एजी एन्वॉयरो को दिया गया। काम हस्तांतरण होने से नई कंपनी व्यवस्था संभालने में नाकाम रही। ऐसे में शहर भर में कचरे के ढेर देखे गए। इसका असर डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन कैटेगरी और सिटीजन फीडबैक कैटेगरी पर न पड़ जाए, यही डर मनपा को खाया जा रहा है। क्योंकि तीसरी रैंकिंग के नंबर के साथ केंद्रीय टीम स्वच्छता सर्वेक्षण की फाइनल रैंकिंग जारी करेगी। 

डर का कारण यह भी है 
स्वच्छता सर्वेक्षण टीम आने से पहले केंद्र सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 की लीग रैंकिंग जारी की थी। लीग रैंकिंग के पहले चरण (अप्रैल से जून) में नागपुर मनपा 30वें और दूसरे चरण (जुलाई से सितंबर) में 15वें नंबर पर रही। अक्टूबर से दिसंबर यानी तीसरे चरण की रैंकिंग जारी नहीं की गई। पहले और दूसरे चरण की रैंकिंग में नागपुर शहर में सुधार दिखा। लेकिन तीसरे चरण को लेकर डर है, डर स्वाभाविक है। तीसरे चरण के बीच यानी नवंबर में शहर का ठेका कनक से छीनकर नई कंपनी बीवीजी और एजी एन्वॉयरो को दिया गया। काम हस्तांतरण होने से नई कंपनी व्यवस्था संभालने में नाकाम रही। ऐसे में शहर भर में कचरे के ढेर देखे गए। इसका असर डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन कैटेगरी और सिटीजन फीडबैक कैटेगरी पर न पड़ जाए, यही डर मनपा को खाया जा रहा है। क्योंकि तीसरी रैंकिंग के नंबर के साथ केंद्रीय टीम स्वच्छता सर्वेक्षण की फाइनल रैंकिंग जारी करेगी। 

6 हजार अंकों के लिए जद्दोजहद
स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में 6 हजार अंक रखे गए हैं। इसके लिए चार मानको पर मनपा को खरा उतरना होता है। पहला सर्विस लेवल प्रोग्रेस। इसमें 1500 अंक होते हैं। मनपा ने जो जानकारी दी है, उसका निरीक्षण कर अंक मिलते हैं। दूसरा सर्टिफिकेशन है। इसमें भी 1500 अंक है। सर्टिफिकेशन में भी दो तरह की कैटेगरी है। स्टार रेटिंग और ओडीएस। तीसरा है सिटीजन फीडबैक। इसमें भी 1500 अंक है। फीडबैक में नागरिकों से प्रतिक्रिया ली जाती है। चौथा है डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन। इसमें भी 1500 अंक हैं। शहर को स्वच्छता में टॉप बनाने मनपा को इस पर खरा उतरना होगा।

कहां-कहां गई थी टीम
स्वच्छता सर्वेक्षण करने नागपुर पहुंची केंद्रीय टीम ने स्वच्छता को 9 कैटेगरी में बांटकर अपना काम किया। इसमें सार्वजनिक और सुलभ शौचालय, बाजार एरिया, एयरपोर्ट, बस स्थानक, रेलवे स्टेशन, भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड, गीला-सूखे कचरे का वर्गीकरण, कचरे पर प्रक्रिया, शहर के कलेक्शन सेंटर की स्थिति आदि का जायजा लिया। खासकर उन्होंने शहर के 8 सुलभ शौचालय, 5 सार्वजनिक शौचालय और 3 मॉडल शौचालय का निरीक्षण किया था। इसके लिए 6 बाजार और रेलवे स्टेशन, बस स्थानक में जाकर लोगों से बातचीत की थी।  विशेष यह कि केंद्र सरकार के निर्देश पर पहुंची टीम को भी पता नहीं था कि उसे कहां-कहां जाना होता था। टीम को दिल्ली से ऑनलाइन मैसेज मिलते रहते हैं। जिन जगहों पर जाने का मैसेज मिलता था, वहां जाकर टीम स्वच्छता का मुआयना करती रही। यह मैसेज मनपा प्रशासन द्वारा स्वच्छता संबंध में भेजी गई जानकारी पर आते हैं। जो जानकारी दी जाती थी, उसे टीम क्रॉस करती है।

Created On :   24 Feb 2020 12:19 PM IST

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