सामान्य कामकाज में खर्च की गई कर्ज से मिली रकम

Disclosure in the CAG report - the amount received from the loan spent in normal work
सामान्य कामकाज में खर्च की गई कर्ज से मिली रकम
कैग की रिपोर्ट में खुलासा सामान्य कामकाज में खर्च की गई कर्ज से मिली रकम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकार जो कर्ज लेती है उम्मीद की जाती है कि उसे विकास परियोजनाओं और पूंजीगत निवेश में खर्च किया जाएगा लेकिन राज्य सरकार ने कर्ज के तौर पर ली गई बड़ी रकम सामान्य कामकाज, कर्मचारियों को वेतन देने और पहले लिए गए कर्ज की किस्त चुकाने में खर्च कर दी। मंगलवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इसे लेकर सरकार की खिंचाई की गई है। वित्तवर्ष 2019-20 की आर्थिक स्थिति को लेकर कैग की रिपोर्ट विधानसभा व विधान परिषद में पेश की गई। रिपोर्ट में राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़कर पांच लाख करोड़ रुपए होने को लेकर चिंता जताई गई है। बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान आठ महीने देवेंद्र फडणवीस जबकि आखिर के चार महीने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी की सरकार रही। 

आंकड़ों के मुताबिक वित्तवर्ष 2015-16 के दौरान राज्य सरकार ने 37978 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था जिसमें से 60 फीसदी रकम विकास कार्यों में, 27 फीसदी रकम पिछला कर्ज चुकाने में खर्च की गई थी। वित्तवर्ष 2016-17 में कर्ज की 53 फीसदी रकम विकास कार्यों के लिए और 25 फीसदी रकम कर्ज वापस करने के लिए खर्च की गई। 2017-18 में विकास कार्य के लिए 55 फीसदी और कर्ज वापसी के लिए 32 फीसदी रकम खर्च की गई। वित्तवर्ष 2019-20 में सरकार ने करीब 66 फीसदी रकम विकासकार्यों के लिए जबकि 41 फीसदी कर्ज वापसी के लिए खर्च की। सरकार को 7.66 फीसदी अग्रिम कर्ज लेना पड़ा। वित्तवर्ष 2015-16 और 2016-17 में कर्ज ली गई राशि में से करीब 13 फीसदी कर्मचारियों के वेतन और दूसरे कामों में खर्च की गई। 31 मार्च तक सरकार 41 हजार करोड़ रुपए की बकाया रकम नहीं लौटा पाई थी। 

फडणवीस सरकार ने लिया था 1 लाख 28 हजार करोड़ का कर्ज

देवेंद्र फडणवीस सरकार के कार्यकाल के दौरान 1 लाख 28 हजार 554 रुपए का कर्ज लिया गया था जिसके बाद राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़कर 4 लाख 79 हजार 895 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान राजस्व घाटा 17 हजार 116 करोड़ रुपए था। 

कहीं घाटा कहीं मुनाफा

राज्य सरकार 107 महामंडलों या कंपनियों की मालिक है लेकिन इनमें से कई सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। इनके लिए वित्तवर्ष 2019-20 में बजट से 9759 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। एसटी महामंडल को इस दौरान 155 करोड़ रुपए दिए गए थे। राज्य के 88 सार्वजनिक उपक्रमों में से 42 ने 2854.14 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया जबकि 27 उपक्रमों में 1720.35 करोड़ का घाटा हुआ। 11 सार्वजनिक उपक्रमों में न तो फायदा मिला न ही नुकसान हुआ। चार कंपनियों ने अपना वित्तीय विवरण नहीं दिया। महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी मर्यादित ने सबसे ज्यादा 1311.70 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया जबकि महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल सबसे ज्यादा 939.87 करोड़ के घाटे में रहा।  


 

Created On :   29 Dec 2021 8:42 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story