नागरिकता कानून ‘भेदभाव’ करने वाला, संशोधित करना गलत : डॉ. थोरात

Discriminating citizenship law, wrong to amend dr thorat
नागरिकता कानून ‘भेदभाव’ करने वाला, संशोधित करना गलत : डॉ. थोरात
नागरिकता कानून ‘भेदभाव’ करने वाला, संशोधित करना गलत : डॉ. थोरात

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधित कानून पारित कर लागू किया है। एनआरसी व एनपीआर के माध्यम से देश में नई चर्चाएं जोरों पर है। कागजातों के अभाव में नागरिकता साबित करने में असफल रहे हिंदू, बौद्ध, सिख, पारसी, क्रिश्चन को नागरिकता मिल सकती है, लेकिन मुस्लिम व्यक्ति को नहीं। वे नागरिकता के लिए आवेदन करने अपात्र रहेंगे। यह कानून भेदभाव करने वाला है।

कानून रद्द करें अथवा रोकने की मांग फेडरेशन ऑफ आर्गनाइजेशन फॉर सोशल जस्टिस, सेक्युलरिज्म एंड डेमोक्रेसी संगठन की ओर से वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. सुखदेव थोरात ने की।  डॉ. थोरात ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान विरोधी है। इसके विरोध में शहर के 40 सामाजिक व शैक्षणिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठन एक-साथ आए हैं। यह 40 संगठन मिलकर आने वाले दिनों में लोगों में जनजागृति करेंगे। इस पृष्ठभूमि पर   कानून का विरोध करने के लिए मंगलवार 21 जनवरी को देशपांडे सभागृह में दोपहर 4 बजे प्रबोधनात्मक चर्चासत्र का आयोजन किया गया है। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर मार्गदर्शन करेंगे।

वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. थोरात ने कहा कि एनआरसी, एनपीआर की प्रक्रिया के माध्यम से मुस्लिम समाज के साथ आदिवासी, भटके-विमुक्त पर भी असर होगा। कागजातों के अभाव में नागरिकता साबित नहीं हुई तो शरणार्थी के रूप में जीवन गुजारना होगा। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, 48 प्रतिशत जन्म लेने वाले बच्चों का पंजीयन नहीं होता है।  क्या इन सभी बच्चों को नागरिकता नकार दी जाएगी। डॉ. थोरात ने कहा कि विश्व के अन्य देशों में हिंदू है। भारत ने नागरिकता संशोधन कानून पारित करने से अन्य राष्ट्रों के हिंदुओं को धोका निर्माण हो गया है। मलेशिया सरकार ने चेतावनी भी दी है। पत्रकार-परिषद में मधुकर मेहकरे, डॉ. कृष्णा कांबले, दिलीप खोडके, डॉ. अनवर सिद्धिकी, प्रदीप नगरारे, संजय शेंडे, अमिताभ पावडे, दीनानाथ वाघमारे, प्रा. जावेद पाशा, पांडुरंग काकडे, जगजीत सिंह आदि उपस्थित थे। 
 
घुसपैठिए भ्रष्ट मार्ग से कागजात प्राप्त करेंगे। भारतीय नागरिकता प्राप्त कर लेंगे। लेकिन मूलत: भारतीय घुसपैठिए साबित हो जाएगे। घुसपैठिए को अवश्य खोजे, लेकिन अन्य भारतीयों पर नागरिकता साबित करने का तुगलकी निर्णय नहीं लादना चाहिए। जहां घुसपैठ है, वहां सैन्य, गुप्तचर विभाग है। घुसपैठियों को ढूंढ़े। नागरिकों को परेशान न करें। 
पूरणचंद्र मेश्राम, पूर्व कुलसचिव, रातुम नागपुर विद्यापीठ  

 

Created On :   17 Jan 2020 2:11 PM IST

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