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उपेक्षित जनता के बीच पाई जाने वाली बीमारियां बनीं चुनौती
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो सिर्फ उपेक्षित लोगों में ही पाई जाती हैं, इसलिए उसे उपेक्षित बीमारी भी कहा जाता है। मेडिकल भाषा में इसे वर्ल्ड नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) डे कहा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को 30 जनवरी को वर्ल्ड नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) डे घोषित किया है। देश में ऐसी 17 बीमारियां हैं, जो इस श्रेणी में आती हैं। फाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया, कुष्ठ रोग जैसी उपेक्षित बीमारियों (नेगलेक्टेड ट्रापिकल डिजीज) को खत्म करने को लेकर लगातार काम किया जा रहा है। यह बीमारियां किसी इंसान को रोगी बनाने के साथ-साथ परिवार को आर्थिक रूप से कमजोर भी बना देती हैं। यह बीमारियां वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट, फंगस और टाक्सिन से होती हैं। यह बीमारियां उपेक्षित जनता के बीच ही पाई जाती हैं, इसलिए यह उपेक्षित बीमारियां होती हैं। जिस तरह चेचक को खत्म किया गया, उसी तरह इन बीमारियों को भी खत्म किया जा सकता है।
क्या कहती है रिपोर्ट : ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 16 उपेक्षित बीमारियों में से 11 भारत में बहुतायत में पाई जाती हैं। यानी इन 11 बीमारियों के सबसे ज्यादा और सबसे बिगड़े केस भारत में हैं। इन उपेक्षित बीमारियों में फाइलेरिया, कालाजार, कुष्ठ रोग, चिकनगुनिया, डेंगू, रैबीज, स्कैबीज, हुकवार्म, एसकैरियासिज है। रिपोर्ट बताती है कि, भारत में लिम्फैटिक फाइलेरिया के 87 लाख केस हैं, जो दुनिया का 29 प्रतिशत हैं। इसी तरह कालाजार के देश में 13530 केस हैं, जो दुनिया का 45 प्रतिशत है। कुष्ठ रोग के 187730 केस हैं, यह दुनिया का 36 फीसदी हैं। रैबीज के 19000 केसेस हैं।
सतर्कता बरतनी जरूरी : समुदाय के स्तर पर अगर किसी मरीज को हल्के लक्षण भी दिखें तो फौरन पास के सरकारी अस्पताल में दिखाएं, वह चाहे परिवार का सदस्य हो या आस-पास का। आगे बढ़कर की गई यही मदद इन बीमारियों को काबू करने में सहायक बनेगी। अधिकतर बीमारियां मच्छरों के काटने से होती हैं, इसलिए मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए घर व आस-पास साफ-सफाई रखें, जलजमाव न होने दें। सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। इसके प्रति जनजागरूकता को बढ़ावा देकर भी इन बीमारियों से बचा जा सकता है। समय-समय पर फाइलेरिया का एमडीए राउंड चलाते हैं, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों ने घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा खिलाते हैं। एनटीडी पर समुदाय में भी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। समुदाय की जागरूकता उसे और उनके जैसों को इस बीमारी से बचा सकती है। मामूली लक्षण देखें तो फौरन पास के सरकारी अस्पताल ले जाएं।
सिस्टीसरकोसिस और डेंगू पर होगा पैनल डिस्कशन
इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी द्वारा शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से सिस्टीसरकोसिस और डेंगू पर वर्चुअल मीटिंग और पैनल डिस्कशन का आयोजन रविवार, 30 जनवरी को शाम 5 से 6.30 बजे तक किया गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन आईएएन के प्रेसिडेंट डॉ. निर्मल सूर्य करेंगे। डॉ. गगनदीप सिंह, डॉ. मनीष मोदी, डॉ. राहुल कुलकर्णी, डॉ. श्रीपाद पुजारी, डॉ. देवाशीश रूईकर, डॉ. राजेश वर्मा, डॉ. चन्द्रशेखर मेश्राम उक्त विषय पर अपने विचार रखेंगे।
Created On :   30 Jan 2022 3:59 PM IST