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गर्भावस्था के दौरान करें गर्भ संवाद, कहता है विज्ञान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हमें संस्कारवान पीढ़ी को गढ़ना है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान गर्भ संवाद करना चाहिए। यह बहुत ही आसान है। हमें दिनचर्या में थोड़ा परिवर्तन करना होगा और गर्भवती माता को अपने दिन की शुरुआत जप और ध्यान से करनी होगी। इसके बाद योग, प्राणायाम, आहार (संतुलित, सात्विक और संस्कारित), स्वाध्याय, संगीत और गर्भ संवाद जरूरी है। यह सारी बातें काल्पनिक नहीं हैं, बल्कि इनके पीछे विज्ञान है। यह बात दैनिक भास्कर कार्यालय में चर्चा के दौरान आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी की प्रांतीय संयोजक डॉ. संगीता सारस्वत ने कही। उनके साथ महाराष्ट्र की प्रांतीय संयोजक उमा शर्मा उपस्थित थीं।
बच्चे पर पड़ता है असर
डॉ. सारस्वत ने कहा कि गर्भ के दौरान प्रत्येक गतिविधियों का असर बच्चे पर पड़ता है, ऐसे में हमें उसको ध्यान में रखकर काम करने की आवश्यकता है। यह सारी बातें हम गर्भवती महिला को दो दिवसीय कार्यक्रम में विस्तृत रूप से बताते हैं, जिससे वह उसका अनुसरण कर उसका लाभ ले सके। 30 मार्च को दोपहर 3.30 बजे से एक कार्यक्रम का आयोजन नंदनवन, जगनाड़े चौक स्थित अनुसुया सभागृह में किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मेडिकल स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग प्रमुख डॉ. जे. आई. फिदवी, विशिष्ट अतिथि के रूप में आरोग्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रमेश गौतम उपस्थित रहेंगे।
आटिज्म दिवस पर एक दिवसीय ब्लॉक प्रिंटिंग कार्यशाला 2 अप्रैल को
आटिज्म से पीड़ित बच्चों के स्किल डेवलपमेंट के लिए ऑटिज्म दिवस पर एक दिवसीय ब्लॉक प्रिंटिंग कार्यशाला का आयोजन खामला स्थित संवेदना स्कूल फॉर ऑटिज्म में मंगलवार 2 अप्रैल को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक किया गया है। कार्यशाला में 12 वर्ष से अधिक उम्र के ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे हिस्सा ले सकते हैं। कार्यशाला में डॉ. हर्षा झारिया, समन्वयक, पीजी कोर्सेस इन फैशन डिपार्टमेंट एंड फैशन डिजाइन मार्गदर्शन कर बच्चों को अपनी रुचि के अनुसार कार्यशैली को कैसे विकसित करना, इस पर चर्चा करेंगी। ज्यादा से ज्यादा बच्चों ने कार्यशाला में िहस्सा लेने का अनुरोध प्राचार्या ज्योति फड़के ने किया है।
Created On :   29 March 2019 2:02 PM IST