भ्रम न पालें, पालकों की स्वेच्छा पर निर्भर है स्कूल फीस देना - न देना

Do not confuse, it is dependent on willingness of parents to pay school fees
भ्रम न पालें, पालकों की स्वेच्छा पर निर्भर है स्कूल फीस देना - न देना
भ्रम न पालें, पालकों की स्वेच्छा पर निर्भर है स्कूल फीस देना - न देना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ने के बाद सीबीएसई स्कूलों में फीस को लेकर भ्रम होने लगा है। एक ओर जहां राज्य सरकार स्कूलों को फीस के लिए फिलहाल आग्रह न करने के निर्देश दे चुकी है, वहीं दूसरी ओर स्कूल द्वारा पालकों को सूचना भेजकर फीस जमा कराने को कहा जा रहा है। भास्कर ने इस विषय पर जानकारों से बात की, तो स्थिति स्पष्ट हुई।

सीबीएसई बोर्ड ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि स्कूलों की फीस या उससे जुड़े निर्देश तय करना उनके अधिकार में नहीं है। सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी यह बात स्पष्ट कर चुके हैं। प्रसार माध्यमों से बातचीत में उन्होंने साफ किया है कि फीस तय करने या इससे जुड़े निर्देश तैयार करने का फैसला राज्य सरकार का होगा। सीबीएसई स्कूलों को राज्य सरकार का फैसला मानना होगा। इस दिशा मंे नागपुर और महाराष्ट्र की स्थिति देखें, तो राज्य सरकार ने 30 मार्च को फीस संबंधी एक जीआर जारी किया था, जिसमें राज्य सरकार ने साफ किया कि कोई भी स्कूल पालकों से फीस भरने की सख्ती न करे, हां लॉकडाउन पीरियड पूरा होने के बाद स्कूल फीस ले सकते हैं। लॉकडाउन पीरियड का हवाला देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि स्कूलों को इस वक्त पालकों से सहानुभूति दिखानी होगी।

पालकों की परेशानी

लॉकडाउन पीरियड में लोगों की आर्थिक स्थिति पर खासा असर पड़ा है। व्यवसाय पर निर्भर वर्ग की आय एक प्रकार से रुक गई है, तो नौकरीपेशा वर्ग भी वेतन में देरी झेल रहा है। हालांकि सरकार के निर्देश हैं कि अभी किसी का वेतन न काटा जाए, लेकिन फिर भी कई संस्थाओं ने कर्मचारियों का पूरा वेतन अदा नहीं किया है। ऐसे में लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। सरकार ने भी इस परिस्थिति को समझ कर स्कूलों को पालकों के प्रति सहानुभूति दर्शाने के निर्देश दिए हैं।

निजी स्कूलों की समस्या

निजी स्कूलों की स्थिति को भी समझने की जरूरत है। स्कूल, विद्यार्थियों द्वारा दी गई फीस से चलते हैं। फीस से ही शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन जारी होता है। पालकों द्वारा फीस रोक देने के कारण कई शिक्षकों-कर्मचारियों को वेतन मिलना मुश्किल हो गया है। हालांकि कुछ स्कूल प्रबंधनों ने अपने फंड से वेतन जारी किए हैं। लेकिन ज्यादा समय तक वे ऐसा करने में सक्षम नहीं है। दूसरी समस्या कि लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद हैं। ऐसे में स्कूल में फीस जमा नहीं की जा सकती। कुछ स्कूलों ने बैंक अकाउंट जारी किए हैं, लेकिन कई इलाकों मंे पालकों का निकलना संभव नहीं है।

फीस भरने की सख्ती नहीं है

चिंतामण वंजारी, प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के मुताबिक लॉकडाउन पीरियड में लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में सरकार ने जीआर जारी किया कि स्कूल फीस भरने की सख्ती न करें। हमने नागपुर में इसे लागू कर दिया है। स्कूलों के लिए इसका पालन करना अनिवार्य है।

सख्ती नहीं है, लेकिन हमारी मदद करें

रीना दर्गन, प्राचार्या ईरा इंटरनेशनल स्कूल और सहोदय ने कहा कि हम राज्य सरकार के निर्देश का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। फीस भरने की कोई सख्ती नही है, लेकिन हमारी पालक वर्ग से अपील है कि यदि वे सक्षम है तो स्कूलों की फीस जरूर अदा करें। क्योंकि उनके द्वारा जमा की गई फीस पर शिक्षकों-कर्मचारियों का वेतन निर्भर करता है। शिक्षकों के प्रति भी सहानुभूति दिखाएं।

 

Created On :   16 April 2020 1:03 PM IST

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