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आधार कार्ड के लिए कैदियों को वैक्सीन से न करें वंचित, हाईकोर्ट का केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र व महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि क्या कैदियों को कोरोना का टीका लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए किसी कैदी को कोरोना के टीके से वंचित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है। हाईकोर्ट ने जेल में कैदियों को कोरोना के संक्रमण से जुड़े मुद्दे का स्वतः संज्ञान लेते हुए इस विषय को जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया की जेल में कई कैदियो को इसलिए कोरोना का टीका नहीं लग पाया है क्योंकि उनके पास आधारकार्ड नहीं है। इसके अलावा कैदी पिछले साल दिए गए मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस पर खंडपीठ ने आधार को लेकर केंद्र व राज्य सरकार से सफाई मांगी। इसके साथ ही कहा कि कैदियों को नियमित अंतराल पर मास्क व सैनिटाइजर दिया जाए और जेल के भीतर ही कैदियों का टीकाकरण किया जाए।
खंडपीठ ने कहा कि आधार कार्ड सिर्फ इस बात को जानने के काम आ सकता है कि कितने लोगों ने कोरोना का टीका लिया है। इसके अलावा इसके माध्यम से टीका लेन वालों पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा आधार कार्ड का टीके को लेकर कोई संबंध नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि कोरोना का टीका कोरोना के संक्रमण को रोकने का सबसे कारगर माध्यम है। ऐसे में कैदी को सिर्फ इसलिए इस टीके से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि उसके पास आधार कार्ड नहीं है। यदि आधारकार्ड टीके की राह में रोड़ा बन रहा है तो जेल में कैदियों के लिए आधारकार्ड बनाने शिविर आयोजित किया जाए और कैदियों को आधार कार्ड जारी किया जाए।
खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को इस विषय पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से इस बारे में चर्चा करने को कहा। क्योंकि यह एक नीतिगत मामला है जिसका राष्ट्रव्यापी असर होगा। खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 4 मई 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। खंडपीठ ने कहा कि हम जेल में भीड़ कम करने के लिए राज्य की उच्चाधिकार कमेटी को भी निर्देश देंगे। जो जेल में कैदियों की स्थिति का जायजा ले सके। कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के प्रोफेसर विजय राघवन को सुनने के बाद खंडपीठ ने उपरोक्त बात कही। अधिवक्ता देसाई ने कहा कि कमेटी के दिशा-निर्देशो के बावजूद जेल में भीड़ कायम है।
जेल से बाहर नहीं नहीं चाहते 26 कैदी
इस पर महाधिवक्ता कुंभकोणी ने कहा कि राज्य के 47 जेलों में 26 ऐसे कैदी ऐसे है जो आपात पैरोल के लिए पात्र हैं, लेकिन वे जेल से बाहर नहीं जाना चाहते। वे खुद को जेल में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कुछ कैदियों की थोड़ी सजा बची है जिसे वे बाहर आने की बजाय पूरा करना चाहते है। उन्होंने कहा कि सजायाफ्ता कैदियों को छोड़ने में परेशानी नहीं हैं, दिक्कत विचाराधीन कैदियों की है, जो हमेशा फरार होने के बारे में सोचते रहते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल 244 कैदी कोरोना संक्रमित है। जबकि 117 जेलकर्मी कोरोना की चपेट में आए हैं।
Created On :   29 April 2021 6:28 PM IST