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सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र सरकार को निर्देश- मानसिक रुप से बीमार रोगियों को रैन बसेरे और वृद्धाश्रम न भेजें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह मानसिक रुप से बीमार रोगियों को रैन बसेरे या वृद्धाश्रम भेजने की प्रथा बंद करें। क्योंकि यह मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की भावना के विपरित है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह ने अस्पतालों या मेंटल होम्स में रहने वाले हजारों मानसिक रुप से बीमार रोगियों के पुनर्वास से संबंधित एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किया है। इस दौरान एमिक्स क्यूरी गौरव बंसल ने अपनी दलील में कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने बड़ी गलती की है। उसने खुद अपने हलफनामें में यह स्वीकार किया है कि वह मानसिक रुप से बीमार व्यक्तियों को बेगर होम्स में स्थानांतरित कर रहे हैं। यह भी कहा है कि 59 वर्ष से कम आयु के पुरुषों को रैन बसेरों और इससे ज्यादा की उम्र वालों को वृद्धाश्रम में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इस स्थानांतरण के कारण तीन व्यक्तियों की मौत हुई है। बंसल ने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा अपनाई गई प्रथा मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की धारा 104 के विपरीत है।
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता सचिन पाटील से कहा कि इन मरीजों को रैन बसेरों में स्थानांतरित करने का सवाल ही नहीं उठता। पाटील ने कहा कि वह इस पर निर्देश मांगेंगे। पीठ ने इस तरह की कार्रवाई को प्रतिकूल और अधिनियम की भावना के खिलाफ माना और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि वह इस प्रथा को बंद करेंगे।
Created On :   6 July 2021 7:09 PM IST