राजनेताओं की टिप्पणियों पर ध्यान नहीं देते, आलोचनाओं के लिए कोर्ट के कंधे चौड़े

Does not pay attention to the comments of politicians - HC
राजनेताओं की टिप्पणियों पर ध्यान नहीं देते, आलोचनाओं के लिए कोर्ट के कंधे चौड़े
हाईकोर्ट राजनेताओं की टिप्पणियों पर ध्यान नहीं देते, आलोचनाओं के लिए कोर्ट के कंधे चौड़े

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राजनेता न्यायपालिका पर क्या टिप्पणी करते है हम इस पर ध्यान नहीं देते है। क्योंकि आलोचनाओं व टिप्पणियों को लेने के लिए कोर्ट के कंधे बहुत चौडे है। इसलिए जब तक हमारा अंतःकरण साफ है तब तक राजनेता कोर्ट व न्यायाधीशों को लेकर क्या कहते हुए हम इसकी परवाह नहीं करते। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति वीजी बिस्ट की खंडपीठ ने इंडियन बार एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त बात कही। याचिका में मुख्य रुप से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे,शिवसेना सांसद संजय राऊत,राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल,शिवसेना के मुखपत्र सामना के प्रकाशक विवेक कदम के खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही की शुरुआत करने की मांग की गई है। बुधवार को खंडपीठ के सामने इस याचिका का उल्लेख किया गया। 

इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता  ने कहा कि जो कुछ भी वे न्यायपालिका के बारे में कहना चाहते है उन्हें कहने दिया जाए। हमारे कंधे उनकी टिप्पणियों को लेने के लिए काफी चौडे है। इसके अलावा जब तक हमारा अंतःकरण साफ है तब तक वे जो कुछ कहना चाहते है कहते रहे। याचिका में दावा किया गया है कि याचिका के प्रतिवादियों ने न्यायपालिका व न्यायाधीशों पर पर मानाहनिपूर्ण  झूठे आरोप लगाए है। एसोसिएसन की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जाए। किंतु खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को कहा कि वे याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए निवेदन दे दे। इसके बाद तय किया जाएगा कि किस तारीख को याचिका पर सुनवाई की जाएगी। 

याचिका में भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बात शिवसेना नेता संजय राऊत की ओर से की गई टिप्पणी का उदाहरण दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि शिवसेना नेता राऊत ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश पर भी झूठे आरोप लगाए है। राऊत ने अपने बयान में कहा था कि हाईकोर्ट सिर्फ भाजपा नेताओं को ही राहत देती है उसके पार्टी के नेताओं को राहत नहीं देती। याचिका के अनुसार इस तरह की बातों से न्यायपालिका की गरिमा व रुतबे को कम करती है। यह मानहानिपूर्ण है। याचिका में मुख्य रुप से मुख्यमंत्री,शिवेसना सांसद संजय राऊत,शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादक रश्मि ठाकरे व प्रकाशक विवेक कदम सहित को प्रतिवादी बनाया गया है और उनके खिलाफ न्यायलय की अवमानना की कार्यवाही की शुरुआत करने की मांग की गई है।  

 

Created On :   27 April 2022 8:58 PM IST

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