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3% को ही मिल पाई अभी तक राहत, बनी हुई है पेट की चिंता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मार्च 2020 में केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा करने से अचानक सभी उद्योग-धंधे बंद हो गए। मजूदरों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ। खौफ इतना था कि लोगों ने घरेलू कामगारों को भी अपने घरों में आने से मना कर दिया था। सबकी आर्थिक स्थिति विकट थी। ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घरेलू कामगारों को आर्थिक सहायता की घोषणा की। पंजीकृत प्रत्येक घरेलू कामगार को 1500 रुपए तक घोषणा हुई। लेकिन यह घोषणा हवा-हवाई साबित हुई। आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 3 प्रतिशत घरेलू कामगारों को ही इसका लाभ मिल पाया है। नागपुर जिले में 45 हजार 780 पंजीकृत घरेलू कामगार हैं, इसमें से सिर्फ 1211 कामगारों को आर्थिक लाभ मिल पाया है। शेष अभी भी इस दायरे से बाहर हैं, जिनको इसकी खबर तक नहीं या फिर लाभ तक उन तक पहुंचा ही नहीं।
बनी हुई है पेट की चिंता
कोविड ने उद्योगपति से लेकर व्यापारी और नौकरीपेशा वर्ग से लेकर कामगार तक सबको प्रभावित किया है। ऐसे में सभी को पेट की चिंता सता रही थी। बाकी वर्गों के पास अपनी कुछ बचत थी, जिसके सहारे बुरे दौर से उन्हें निपटने में मदद मिली। लेकिन घरेलू कामगार रोज कमाकर खाने वाला वर्ग रहा है। ऐसे में बचत तो दूर, शाम को चूल्हा जलेगा या नहीं, इसकी भी चिंता रहती है। इस वर्ग को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री ने 13 अप्रैल 2021 को कोविड काल में आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। इन्हें घरेलू कामगार कहा गया था। इस संबंध में 30 अप्रैल 2021 को शासन निर्णय जारी हुआ था।
Created On :   17 Jan 2022 5:08 PM IST