बगैर मिट्‌टी उगाई जा रही यहां सब्जियां

Dr Sunita Kasatwar is doing some vegetable farming without soil
बगैर मिट्‌टी उगाई जा रही यहां सब्जियां
बगैर मिट्‌टी उगाई जा रही यहां सब्जियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बिना मिट्टी खेती की कल्पना नहीं की जा सकती लेकिन उपराजधानी में यह संभव हुआ है। नई तकनीक दस्तक दे चुकी है। इस तकनीक से खीरा, टमाटर, पालक, गोभी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां उगाई जा सकती हैं। जैविक खेती की इस नई तकनीक का उदाहरण पेश किया है, कैंसर सरवाईवर डॉ सुनीता कासटवार ने। निर्माल्य अवशेषों, बायोकल्चर और कंपोस्ट खाद को पॉट में डालकर ये उनमें सब्जी का उत्पादन करती हैं। डॉ. सुनीता कासटवार यह जैविक खेती करीब 4 सालों से कर रही हैं। पहले घरेलू जमीन पर इस तकनीक से उन्होंने सब्जी का उत्पादन शुरू किया था।

यू-ट्यूब से सीखी तकनीक
डॉ. सुनीता के अनुसार उनके घर में पूजा का निर्माल्य फेंका नहीं जाता है। वे अपने माली को निर्माल्य इकठ्ठा करने के लिए बोलती थीं। बाद में उन्होंने सोचा कि क्यूं न इसे कंपोस्ट खाद बनाई जाए और इससे बागवानी की जाए। उन्होंने बिना मिट्टी की खेती देखी और उसे अप्लाय किया। उन्होंने पहली बार बिना मिट्टी के होने वाली खेती को देखा और इस तकनीक की जानकारी हासिल की। अपनी जमीन पर मिट्टी रहित खेती करना ज्यादा सही समझा।

बायो कल्चर, कंपोस्ट खाद से होती है बागवानी
डॉ. सुनीता ने बताया कि इस खेती में मिट्टी के स्थान पर बायो कल्चर का प्रयोग होता है और इसे कंपोस्ट खाद के साथ मिलाकर डाला जाता है और फिर इससे सब्जी के पौधे उगाए जाते हैं।

पुणे से मंगवाती हैं बायो कल्चर 
वे पुणे से बायो कल्चर मंगवाती हैं। उनके गार्डन में बैंगन, भिंडी, खीरा, शिमला मिर्च, दो तरह के टमाटर, गोभी, मटर आदि सब्जियां उगाई जा रही हैं। सब्जियों के लिए उन्हें कभी बाजार तक जाने की जरूरत नहीं पड़ी। इसमें नारियल के अवशेषों का उपयोग भी किया जाता है। बायो कल्चर से घर पर ही कचरे (किचन वेस्ट) का समाधान हो जाता है। किचन से निकलने वाले गीले कचरे पर बायो कल्चर का उपयोग करने के बाद कल्चर के जीवाणु कचरे को खा जाते हैं और कुछ ही दिन बाद कचरे से कंपोस्ट तैयार हो जाती है। बायो कल्चर का उपयोग घर पर गमलों और ट्रे में सब्जियां उगाकर बागवानी करने वालों के लिए खास तरह का बायो कल्चर तैयार किया गया है। 

Created On :   18 Jun 2018 6:31 AM GMT

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