ड्रोन से नहीं मिली कामयाबी, सालभर से हवाई सर्वे का इंतजार - आगे नहीं बढ़ पाया गोंड परियोजना का कार्य

Drones did not succeed, waiting for air survey for a year - Gond project work could not progress further
ड्रोन से नहीं मिली कामयाबी, सालभर से हवाई सर्वे का इंतजार - आगे नहीं बढ़ पाया गोंड परियोजना का कार्य
ड्रोन से नहीं मिली कामयाबी, सालभर से हवाई सर्वे का इंतजार - आगे नहीं बढ़ पाया गोंड परियोजना का कार्य

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)।  जिले की वृहद सिंचाई और पेयजल परियोजना के टेंडर के बाद प्रोग्रेस एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई है। बताया जाता है कि ठेका हथियाने के बाद भी निर्माण एजेंसी अब तक सर्वे का कार्य पूरा नहीं कर पाई है। हैरत की बात तो यह है कि पिछले एक दशक से जारी कवायद के बाद भी गोंड परियोजना का प्रारंभिक कार्य ही पूरा नहीं हो पाया है। बताया जाता है कि जल संसाधन के अधिकारियों के संरक्षण में निर्माण एजेंसी टाइम पास कर रही है। इसके चलते निर्माण की लागत बढऩे की नौबत शुुरूआती दौर में सामने आने लगी है। गोंड परियोजना के निर्माण की लागत बढऩे के कारण जहां शासन के खजाने में अतिरिक्त भार बढ़ेगा, वहीं डैम का कार्य समय पर पूर्ण नहीं होने से किसान परेशान हैं। जानकारों का कहना है कि ठेकेदार की ठेका हथियाने तक में दिलचस्पी होने के कारण निर्माण एजेंसी एक साल बाद भी सर्वे का कार्य पूरा नहीं कर पाई है। इसके चलते परियोजना निर्माण में देरी से लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। हालात यह है प्रारंभिक सर्वे में ड्रोन से कामयाबी नहीं मिलने अब विभाग के अधिकारी हवाई सर्वे की मंजूरी का सालभर से इंतजार कर रहे हैं। जल संसाधन के कार्यपालन यंत्री का कहना है कि फॉरेस्ट द्वारा ड्रोन सर्वे में रोड़ा अटकाये जाने के कारण अब तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इसके चलते हवाई सर्वे के लिये केन्द्र सरकार से मंजूरी मांगी गई है।
फिर बढ़ी प्रोजेक्ट की लागत
जल संसाधन विभाग की जानकारी के अनुसार एक साल के अंदर प्रोजेक्ट की लागत दो गुनी हो गई है। हालांकि जल संसाधन के अधिकारियों द्वारा लागत बढऩे के पीछे एरिया में इजाफा होने का दावा किया जा रहा है। ईई का कहना है कि पहले कम एरिया में डैम का निर्माण कराना था। भोपाल के अधिकारियों द्वारा ड्रांइग में परिवर्तन करने के कारण अब तक क्षेत्र के सर्वे का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। दरअसल गोंड परियोजना के निर्माण के लिये एक साल पहले एजेंसी को 735 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। जल संसाधन के अधिकारियों का कहना है कि एरिया बढऩे के कारण अब प्रोजेक्ट की लागत 1470 करोड़ में पहुंच गई है। इसके बाद भी सर्वे के कार्य में निर्माण एजेंसी अब तक औपचारिकता ही पूरी कर पाई है।
500 हेक्टेयर वन भूमि प्रभावित होने का दावा
जिले समेत सीधी के मझौली और कुसमी में गोड़ परियोजना का विस्तार होने से फॉरेस्ट की करीब 500 हेक्टेयर जमीन प्रभावित होने की जानकारी सामने आई है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है वन विभाग की एनओसी के लिये डीएफओ के यहां प्रस्ताव भेजा गया है। ईई का कहना है कि डीएफओ कार्यालय में प्रस्ताव के लटके होने से हवाई सर्वे का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि वन विभाग से मामले के आगे नहीं बढऩे के कारण हवाई सर्वे का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है।
अब तक प्रभावित रकबे की वास्तविक जानकारी नहीं 
गोड़ परियोजना के निर्माण में कितना रकबा प्रभावित होगा, जल संसाधन के अधिकारी अब तक पता नहीं लगा पाये हैं। कार्यपालन यंत्री यह भी बताने के स्थिति में नहीं है कि वास्तविक रकबा कितना प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि गोड़ परियोजना में 65 हजार 14 हेक्टेयर जमीन प्रभावित होगी। कार्यपालन यंत्री का कहना है कि सर्वे के बाद ही प्रभावित क्षेत्र की जानकारी स्पष्ट हो पायेगी। उन्होंने बताया कि फॉरेस्ट की जमीन के सर्वे का कार्य पूर्ण होने के बाद प्रभावित रकबे की वास्तविक स्थिति सामने आयेगी।
जनप्रतिनिधियों समेत आम लोग निराश
गोड़ परियोजना से चाहे जनप्रतिनिधि हो या फिर आमलोग अब तक सबके 
हाथ निराशा ही हाथ लग पाई है। गोड़ परियोजना के लिये लगातार मांग करने वाले जनप्रतिनिधियों में भी अब खासा आक्रोश दिखाई देने लगा है। बताया जाता है कि जल संसाधन विभाग द्वारा कभी ड्रोन तो कभी हवाई सर्वे के इर्द-गिर्द ही परियोजना का कार्य अधर में लटका हुआ है। जानकारों का कहना है कि जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों की सारी परेड सर्वे तक सीमिति होने से गोंड परियोजना का कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है। बहरहाल वृहद सिंचाई और पेयजल परियोजना के निर्माण कार्य में लापरवाही के चलते प्रोजेक्ट सर्वे की प्रक्रिया से बाहर नहीं निकल पाया है।
इनका कहना है
ड्रोन के सर्वे में फॉरेस्ट के एरिया की वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। वन विभाग की आपत्ति के चलते हवाई सर्वे के लिये केन्द्र से अनुमति मांगी गई है। हवाई सर्वे की अनुमति मिलने के बाद ही सर्वे का कार्य पूर्ण हो पायेगा। 
-रामावतार कौशिक, ईई, जलसंसाधन
 

Created On :   30 Oct 2020 1:13 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story