जिले में अल्प बारिश का असर, सूखने लगी ढाई लाख हेक्टेयर में लगी फसल

Due to low rainfall the crop of 2 lakh hectares started drying up
जिले में अल्प बारिश का असर, सूखने लगी ढाई लाख हेक्टेयर में लगी फसल
जिले में अल्प बारिश का असर, सूखने लगी ढाई लाख हेक्टेयर में लगी फसल

डिजिटल डेस्क,शहडोल। अल्प वर्षा ने एक बार फिर किसानों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। संभाग के तीनों जिलों में लगभग ढाई लाख हेक्टेयर में बोई गई धान की फसल पर सूखने की कगार पर है। जलाशयों, तालाबों एवं नदी नालों में भी इतना पर्याप्त पानी नहीं है कि सिंचाई करके धान की फसल को बचाया जा सके। संभाग के तीनों जिलों में मुख्य रूप से धान की खेती अधिक होती है और यहां के किसान खरीफ फसल पर ही निर्भर है। 

गौरतलब है कि 4-5 दिनों से हो रही बूंदाबांदी ने धान की फसल को कुछ दिन के लिए जीवनदान तो दे दिया है,लेकिन अभी फसल पकने के लिए एक माह और लगेगा। इस दौरान अगर बारिश नहीं हुई तो धान की 90 फीसदी फसल सूख जाएगी। जलाशयों में भी इतना पानी नहीं है कि धान की फसल को पर्याप्त पानी दिया जा सके। हालांकि प्रशासन ने धान के लिए एक बार पानी देने की तैयारी की है। जलाशयों से दस प्रतिशत खेती को भी पानी मिलना मुश्किल है।

संभाग में बोवाई की स्थिति
शहडोल संभाग के तीनों जिलों में 2 लाख 46 हजार हेक्टेयर में धान की फसल बोई गई है। शहडोल जिले में एक लाख 6 हजार हेक्टेयर, अनूपपुर जिले में 1.10 लाख हेक्टेयर एवं उमरिया जिले में 30 हजार हेक्टेयर में धान की बोवनी हुई है। तीनों जिलों के किसान खरीफ फसल पर ही आश्रित हैं। रबी फसल का रकबा खरीफ से आधा भी नहीं है और इस बार 10 प्रतिशत क्षेत्र में भी रबी की बोवनी की संभावना नहीं है।

50 फीसदी जलाशय खाली
शहडोल संभाग में जल संसाधन विभाग के जलाशय 50 प्रतिशत भी नहीं भरे हैं। शहडोल जिले के 85 जलाशयों में से केवल 27 से खरीफ फसल की सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। इस बार इन बांधों से भी पानी मिलना मुश्किल है। इन जलाशयों से मात्र 2139 हेक्टेयर की धान फसल में पानी दिया जा सकेगा। उमरिया जिले में मात्र 4.95 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है। इस बार यहां के जलाशय अपनी क्षमता पर 35 प्रतिशत भी नहीं भरे हैं। जिले के 11 बांधों में केवल पांच जलाशयों से रबी फसल के लिए सिंचाई होती है। बांध नहीं भरने से रबी फसल के लिए भी पानी नहीं दिया जाएगा। अनूपपुर जिले के 51 में से 16 जलाशय 50 प्रतिशत, 26 बांध 25 प्रतिशत भरे हैं। तीन जलाशय शत-प्रतिशत एवं 6 जलाशों में बहुत कम पानी है।


कृषि विभाग के उप संचालक जे.एस.पेन्द्राम का कहना है कि अल्प वर्षा के कारण धान की फसल पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। 4-5 दिनों से हो रही हल्की बारिश ने धान को नया जीवन दिया है, लेकिन गभोट के समय बालियों दूध भरने व पकने के लिए पानी आवश्यक है। उचान एरिया की धान अधिक प्रभावित होने का खतरा है। बालियों दूध भरने व पकने में 25 से 30 दिन का समय लग सकता है। इस दौरान यदि बारिश नहीं होती है तो काफी विकट स्थितियां बन सकती हैं। हालांकि जलाशयों से धान की फसल के लिए पानी देने का निर्णय हुआ है। इसका लाभ 6 हजार हेक्टेयर में मिल पाएगा।

 

Created On :   20 Sept 2017 10:11 AM IST

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