- देश में अब तक लगाए जा चुके हैं कोरोना टीके के 1 करोड 37 लाख 56 हजार 940 डोज
- सऊदी प्रिंस सलमान ने दी थी पत्रकार खशोगी को पकड़ने या हत्या करने की मंजूरी: अमेरिका
- वोकल फॉर लोकल: पीएम मोदी आज करेंगे पहले 'भारत खिलौना मेला' का उदघाटन
- भारत ने चीन से कहा, गतिरोध वाली सभी जगहों से हटें सेनाएं, तभी घटेगी सीमा पर सैनिकों की तैनाती
दुर्ग : मोबाइल मेडिकल यूनिट्स में न हो दवाइयों की कमी

डिजिटल डेस्क, दुर्ग। शिविरों में समस्या के निराकरण के बाद आवेदनकर्ता के घर पर्सनल विजिट कर फीडबैक लें अधिकारी, कलेक्टर ने दिए निर्देश गौठानों में बन रहे वर्मी कम्पोस्ट को ओपन मार्केट में विक्रय के लिए कार्ययोजना बनाने के दिये निर्देश शहरी क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिट की मदद से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने की कोशिश की जा रही है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने निर्देश दिए हैं कि इन एमएमयू में अति आवश्यक दवाईयों की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जितनी दवाईयां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध रहती हैं उतनी ही इन मोबाइल मेडिकल यूनिट्स में उपलब्ध होनी चाहिए। भिलाई कमिश्नर श्री ऋतुराज रघुवंशी ने बताया कि दुर्ग जिले के सभी नगरीय निकायों में मोबाइल मेडिकल यूनिट में ही ऑन द स्पॉट सैंपल कलेक्शन व जांच कर रिपोर्ट देने की पहल भी की गई है। जिससे लोगों को काफी सुविधा हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि 40 प्रकार से अधिक टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। श्रमिक बस्तियों में भी मोबाईल मेडिकल युनिट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने श्रम अधिकारी को निर्देश दिए कि जहां-जहां मोबाईल मेडिकल यूनिट जा रही हैं, वहां श्रम विभाग से कोई न कोई अवश्य मौजूद हो ताकि बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सके। इसके अलावा शिविर स्थल पर शौचालय का इंतजाम एवं सफाई व्यवस्था भी दुरुस्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक दिन पहले ही चिन्हित स्थानों पर ये इंतजाम हो जाने चाहिए। बैठक में उन्होंने दाई-दीदी क्लिनिक की भी समीक्षा की। भिलाई कमिश्नर श्री रघुवंशी ने बताया कि दाई-दीदी क्लिनिक में 60 से अधिक की ओपीडी है। कल 5 जनवरी को 125 से अधिक ओपीडी हुई। शिविरों में प्रकरणों के निराकरण के बाद आवेदनकर्ता के घर पर्सनल विजिट कर लें फीडबैक- आम जनों की समस्या के निराकरण के लिए नगरीय निकायों में अलग-अलग स्थानों पर शिविर लगाए जा रहे हैं। कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रकरणों के निराकरण के बाद आवेदन देने वाले के घर पर पर्सनल विजिट कर फीडबैक लें। इससे प्रशासन और जनता के बीच नजदीकी बढ़ेगी और विश्वास सुदृढ होगा। गौठानों का हफ्ते में 2 से 3 बार करें निरीक्षण, शहरी गौठानों पर भी हो फोकस-कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के साथ शहरी क्षेत्र के गौठानों पर भी फोकस करना अनिवार्य है। इसलिए हफ्ते में 2 से 3 बार गौठानों का निरीक्षण करें। मवेशियों के चारे पानी की व्यवस्था, वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण की स्थिति की निरंतर मॉनिटरिंग जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के निर्देश हैं कि गौठानों को रोजगार ठौर के रूप में विकसित करना है। ग्रामीण और शहरी दोनों गौठानों में लोगों को बाजार की मांग के अनुरूप रोजगार का साधन उपलब्ध कराना हैं। गौठानों में कुक्कुट पालन, मछली पालन की तैयारी की भी समीक्षा की। गौठानों में बने वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री के लिए कारगर कार्य योजना करें तैयार, ओपन मार्केट में भी करें बिक्री- कलेक्टर ने कहा कि महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार किया जा रहा है। जिसे उद्यानिकी, कृषि एवं वन विभाग द्वारा खरीदा भी जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलों के फलस्वरूप लोगों में जागरूकता आई है इसलिए ओपन मार्केट में भी वर्मी कम्पोस्ट खाद की मांग उत्पन्न हो रही है। इसलिए विभागीय खरीदी के अलावा ओपन मार्केट में खाद की बिक्री हेतु एक कार्य योजना तैयार करें। खाद बिक्री के लिए एक बिजनेस मॉडल तैयार करें ताकि खाद निर्माण में लगी महिलाओं को सीधे फायदा पंहुँचे। वर्मी कम्पोस्ट के 1 किलो, 5 किलो, 10 किलो जैसे पैकेट तैयार करवाएं ताकि लोग गौठानों से भी सीधे खाद खरीद सकें। नरवा प्रोजेक्ट पर दें विशेष ध्यान, 30 मई से पहले पूरा हो जाए जीर्णोद्धार का काम, नहरों-नालों का कोर्स हेड टू टेल क्लीन होना चाहिए- कलेक्टर ने कहा कि जल संवर्धन हेतु संचालित नरवा प्रोजेक्ट पर विशेष फोकस जरूरी है। चिन्हांकित नालों का 30 मई से पहले जीर्णोद्धार होना है, इसलिए युध्दस्तर पर काम करें। नालों के प्रारंभिक स्थान से लेकर उनके खत्म होने के स्थान अर्थात हेड टू टेल काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नालों का कोर्स अर्थात जलमार्ग पूरी तरह साफ सुथरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसकी बारीकी से निगरानी जरूरी है। वे पर्सनली इसकी माॅनिटरिंग करें जरूरत पड़ी तो 10 किलोमीटर तक पैदल चलकर चिन्हांकित नाले का एक-एक हिस्सा देखेंगे, इसमें कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।