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ईडी ने जब्त की पर्ल ग्रुप की 185 करोड़ की जमीन, ठगी की रकम से पालघर में थी खरीदी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर्ल ग्रुप के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए वसई में स्थित 75 एकड़ जमीन और बैंक खातों में मौजूद साढ़े सात करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि जब्त कर ली है। ईडी के मुताबिक जब्त की गई जमीन की सरकारी कीमत 185 करोड़ रुपए हैं। 60 हजार करोड़ रुपए के चिटफंड घोटाले की जांच करते हुए ईडी ने यह कार्रवाई की है। पर्ल समूह पर देश के साढ़े पांच करोड़ निवेशकों से यह रकम ठगने का आरोप है। ईडी के मुताबिक छानबीन में खुलासा हुआ कि वसई इलाके में निवेशकों से हड़पे गए पैसों का इस्तेमाल कर 339984 वर्ग मीटर जमीन खरीदी गई है। इस जमीन को सैद्धांतिक रूप से जब्त कर लिया गया। इसके अलावा समूह से जुड़ी कंपनियों के विभिन्न बैंक खातों में स्थित 7 करोड़ 51 लाख रुपए से ज्यादा की नकदी भी जब्त कर ली गई है। जब्त किए गए पैसे डीपीपीएल ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रायवेट लिमिटेड, युनिकॉर्न इंफ्राप्रोजेक्ट, इस्टेट प्रायवेट लिमिटेड ब्राइट व्यू प्रोजेक्ट, इस्टेट प्रायवेट लिमिटेड कंपनियों के बैंक खातों में थे।
दरअसल पीएसीएल इंडिया लिमिटेड ने लोगों से यह कहकर पैसे लिए थे कि इन पैसों से उनके नाम पर जमीन खरीदी जाएगी बाद में देश के विभिन्न हिस्सों में निवेशकों के नाम प्लॉट दिए जाएंगे। समयावधि खत्म होने के बाद निवेशक यह प्लॉट ले सकेंगे या इसके बदले कंपनी पैसे देगी। इसके जरिए पर्ल समूह को जमीन खरीदने के लिए मोटी रकम मिल गई और बाद में जमीन की कीमत बढ़ने से भी उसे फायदा हुआ। छानबीन में ईडी ने पाया कि पर्ल समूह ने निवेशकों से लिए पैसे अपने फायदे के लिए दूसरी कंपनियों को दे दिए। इसी तरह के एक मामले में धनश्री डेवलपर्स प्रायवेट लिमिटेड को 101 करोड़ रुपए दिए गए। उसने इस रकम में से 26 करोड़ रुपए डीडीपीएल ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रायवेट लिमिटेड को ट्रांसफर किए। पर्ल समूह ने प्रतीक कुमार नाम के व्यक्ति को 2285 करोड़ 79 लाख रुपए दिए। जिसमें से उसने 94 करोड़ 61 लाख डीडीपीएल और युनिकार्न में लगाए। पर्ल्स ने 25 दूसरी कंपनियों के जरिए 110 करोड़ 95 लाख रुपए सिस्टमेटिक्स वेंचर कैपिटल ट्रस्ट में लगाए। इसी तरह विभिन्न कंपनियों के जाल के जरिए निवेशकों के पैसों से पालघर जिले के वसई इलाके के तिवरी गांव में 339984 वर्ग मीटर जमीन खरीदी गई। कंपनी ने यहां बड़ी रिसाइशी और व्यावसायिक इमारत बनाकर मोटा मुनाफा कमाने की योजना बनाई थी। कंपनी के हिस्सेदारों के नाम लगातार बदले जा रहे थे जिससे जांच एजेंसी जमीन तक न पहुंच पाए। इस संपत्ति पर डीडीपीएल के हेमंत पाटील और यूनिकार्न के धर्मेश शाह ने अपने अधिकार का दावा किया था लेकिन उन्होंने कंपनी में किसी बड़ी रकम का निवेश नहीं किया था। ईडी ठगी की रकम से खरीदी गई दूसरी संपत्तियों की भी तलाश कर रही है।
Created On :   22 May 2022 12:39 PM IST