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शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों की साइकिल पर नहीं खर्च की निधि
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद के शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा पांचवीं से 12वीं के विद्यार्थियों को साइकिल का वितरण किया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में 50 लाख रुपए निधि का प्रावधान किया गया। वर्ष समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। अभी तक फूटी कौड़ी खर्च नहीं की गई। पिछले 3 वर्ष से साइकिल पर खर्च के आंकड़े में लगातार गिरावट आई है। जिला परिषद के सेस फंड से शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को साइकिल दी जाती है। जिला परिषद स्तर पर विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें लाभ दिया जाता है। पिछले 3 वर्ष से व्यक्तिगत लाभ योजना डीबीटी के दायरे में लाए जाने के बाद से लाभार्थियों का प्रतिसाद कम हो गया है।
वित्तीय वर्ष 2017-2018 में 1 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया गया, इसमें से 40 लाख रुपए खर्च हो पाया। वित्तीय वर्ष 2018-2019 में 54 लाख रुपए की निधि मंजूर की गई, इसमें से मात्र 10 लाख रुपए खर्च हुआ। वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए 50 लाख रुपए का प्रावधान किया गया। वर्ष समाप्ति के लिए केवल 2 महीने कालावधि बची है। अभी तक फूटी कौड़ी खर्च नहीं हुई। इच्छुक लाभार्थियों से आवेदन मंगवाए गए, लेकिन चयन प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी है। जिला परिषद के स्कूलों में विद्यार्थियों को अपने घर से बहुत लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
बहुत ही जटिल प्रक्रिया
भाजपा के सत्ताकाल में जिला परिषद की व्यक्तिगत योजनाओं को डीबीटी लागू की गई। यह प्रक्रिया काफी जटिल होने से गरीब लाभार्थियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। बजट में प्रावधान करने के बावजूद निधि खर्च नहीं हो रही है। गरीबों को याेजना का लाभ दिलाने के लिए डीबीटी रद्द करने का सरकार से अनुरोध किया जाएगा। - मनोहर कुंभारे, उपाध्यक्ष जिला परिषद
इसलिए प्रतिसाद नहीं
व्यक्तिगत लाभ योजना को डीबीटी के दायरे में लाया गया है। अनुदान का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी का राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खुला होना जरूरी है। योजना के लाभ को मंजूरी मिलने पर लाभार्थी को लाभ वस्तु अपनी जेब से खरीदी कर रसीद पंचायत समिति के संबंधित विभाग में जमा करनी पड़ती है। इसके बाद अनुदान की रकम लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाती है। गरीबी के चलते वस्तु खरीदी के लिए जेब में पैसा नहीं होने से अनेक लाभार्थी चयन होने पर भी योजना से वंचित हैं। वर्ष 2018-2019 में 1690 लाभार्थियों का चयन किया गया था। इसमें से 270 लाभार्थी लाभ ले पाए। 53 लाख 50 हजार रुपए का बजट में प्रावधान किया गया था। 11 लाख 7 हजार रुपए लाभार्थियों को अनुदान वितरण किया गया। 1420 लाभार्थियों की 42 लाख 43 हजार रुपए निधि खर्च नहीं हो पाई।
Created On :   28 Jan 2020 1:51 PM IST