पेराई के पहले पखवाड़े में हुआ 1 करोड़ नौ लाख क्विंटल चीनी उत्पादन, इथेनॉल उत्पादन पर केंद्र के जोर का असर

Effect of Centres emphasis on ethanol production
पेराई के पहले पखवाड़े में हुआ 1 करोड़ नौ लाख क्विंटल चीनी उत्पादन, इथेनॉल उत्पादन पर केंद्र के जोर का असर
पेराई के पहले पखवाड़े में हुआ 1 करोड़ नौ लाख क्विंटल चीनी उत्पादन, इथेनॉल उत्पादन पर केंद्र के जोर का असर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इथेनॉल पर केंद्र के जोर से ऐसा प्रतीत होता है कि चीनी मिलों ने गन्ना पेराई का काम बढ़ा दिया है क्योंकि महाराष्ट्र की 149 मिलों में इस साल पेराई की शुरुआत के एक पखवाड़े के भीतर एक करोड़ नौ लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया गया है। केंद्र ने 2018 में चीनी मिलों को गन्ने के रस से सीधे इथेनॉल के उत्पादन की अनुमति दी थी। उसके पहले इसके लिए शीरा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध था। हाल ही में केंद्र सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए गेहूं और चावल के पुराने भंडार के इस्तेमाल की अनुमति देने का फैसला किया था जिसे पेट्रोल और डीजल के साथ मिश्रित किया जा सकता है। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने बताया कि ‘इस साल मिलों ने घरेलू बाजार में बेचे जाने वाले इथेनॉल के कुछ हिस्सों का उत्पादन करने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि बाजार में चीनी की भरमार नहीं होगी। इस साल इसका सीमित अतिरिक्त स्टॉक बचेगा।”

केंद्र ने वाहन ईंधन के साथ मिश्रित किए जाने वाले 350 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की मांग करते हुए टेंडर जारी की हैं। अब तक देशभर की चीनी मिलों ने 322 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन की इच्छा जताई है। ‘वेस्ट इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन’ के अध्यक्ष बी बी थोम्बरे ने कहा कि यह इथेनॉल उत्पादन के प्रति चीनी मिलों के संचालकों के उत्साह को दर्शाता है। महाराष्ट्र की 149 मिलों ने अब तक 131 लाख टन गन्ने की पेराई कर 109 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। पेराई आम तौर पर मध्य नवंबर में शुरू होती है और अगले साल मार्च तक की जाती है।

 

Created On :   29 Nov 2020 3:52 PM IST

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