पटाखों के प्रदूषण का दिखा असर, बच्चों में दमा और सांस की समस्याएं बढ़ीं

Effect of pollution of firecrackers, asthma and respiratory problems increased in children
पटाखों के प्रदूषण का दिखा असर, बच्चों में दमा और सांस की समस्याएं बढ़ीं
सेहत पटाखों के प्रदूषण का दिखा असर, बच्चों में दमा और सांस की समस्याएं बढ़ीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दीपावली के बाद बढ़े वायु प्रदूषण से बच्चों में अस्थमा की परेशानी बढ़ गई है। संस्पेटेंड पार्टिकुलैट मेटर (एसपीएम) यानी ध्ूलकण बढ़ने से बच्चों में ज्यादा समस्या हो रही है। जो बच्चे स्वस्थ थे और उनमें सांस संबंधी बीमारी पहले नहीं थी, उनको भी सांस की तकलीफ बढ़ रही है। वायु प्रदूषण बच्चों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल और मेयो की ओपीडी में इन दिनों बच्चों में अस्थमा की तकलीफ के मामले बढ़ रहे हैं।  एलर्जी के लक्षणों वाले मरीजों में बढ़ोतरी हुई है। आंखों में जलन और त्वचा की समस्या के बाद बच्चों में अस्थमा की शिकायत आ रही है।  

सांस संबंधी इंफेक्शन की समस्या

विशेषज्ञ का कहना है अब तक रेग्युलर इनहेलर लेने वाले को भी दिक्कत आ रही है। दिवाली के बाद ठंड बढ़ जाती है। इस सीजन में वायरस की वजह से बच्चों में सांस संबंधी इंफेक्शन की समस्या आती है। साथ ही वायु प्रदूषण की वजह से ऐसे मामालें में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे बच्चों को इनहेलिंग थैरेेपी दी जा रही है। हवा में एसपीएम की स्थिति का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है। 

पहले से ही अस्थमा की शिकायत 

मेडिकल में 8 वर्षीय आशु नायडू के अभिभावक अपने बच्चे को लेकर पहंुचे। दिवाली के दूसरे दिन उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। अभिभावकों का कहना है कि बेटे को पहले से ही अस्थमा की तकलीफ है। पटाखे के धुएं से उसकी समस्या बढ़ गई। अस्थमा की तकलीफ होने के कारण वो बहुत चिड़चिड़ा हो गया था। उसे ठंड के साथ बुखार आया। दिवाली में पटाखे का धुआं होने के कारण उसकी दिक्कत बढ़ गई।  

पहले नहीं थी कोई समस्या 

10 वर्षीय छाया को दिवाली के दिन सांस लेने में तकलीफ हुई। माता-पिता मेडिकल लेकर गए तो डॉक्टर ने बताया कि उसे अस्थमा की शिकायत है। अभिभावकों ने बताया कि इसके पहले उसे ऐसी कोई परेशानी नहीं थी। दूसरी लहर में बेटी को कोरोना हुआ था। उसके बाद से बेटी बहुत कमजोर हो गई है। कोरोना के बाद से हर रोज नई-नई समस्याएं आ रही हैं। लेकिन उसे अस्थमा की कोई तकलीफ नहीं थी। 

सीजन में बढ़ती है शिकायत 

डॉ दीप्ति जैन, पूर्व प्रोफेसर एंड हेड पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट, मेडिकल के मुताबिक कुछ ऐसे सीजन होते हैं, जिसमें अस्थमा की शिकायत बढ़ती है। दिवाली के बाद ठंड बढ़ती है। पटाखों का धुआं होता है। साथ ही तला-भुना खाना भी हो जाता है। मौसम बदलने के साथ ही बच्चों में भी कुछ तकलीफें बढ़ जाती हैं। 

कौस्तभ चटर्जी, संस्थापक ग्रीन विजिल फाउंडेशन का कहना है कि शहर में वायु प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण धूलकण हैं, जो दो तरह के होते हैं जिसमें एसपीएम 10 और एसपीएम 2.5 होते हैं। शहर में कंसट्रक्शन कार्य बहुत ज्यादा हो रहा है। जब पटाखे फूटे तो एसपीएम की मात्रा ज्यादा हो गई। महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एमपीसीबी) ने  4 और 5 नवंबर को जो डाटा जारी किया था, उसमें एसपीएम की मात्रा 181 माइक्रोग्राम थी, जबकि सितंबर में एसपीएम की मात्रा 75 माइक्रोग्राम थी। ये डाटा सिर्फ सिविल लाइंस क्षेत्र का है। अनुमान है कि शहर के बाकी क्षेत्रों में एसपीएम 300 के ऊपर पहंुच गया होगा। एमपीसीबी ने सिर्फ सिविल लाइंस की  मॉनिटरिंग का डाटा रिलीज किया। 

 

Created On :   9 Nov 2021 2:54 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story