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4 साल में बिजली कंपनियों की विद्युत हानि 10% और घाटा 50 फीसदी बढ़ गया
डिजिटल डेस्क|कपिल श्रीवास्तव|जबलपुर। बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘प्रोजेक्ट उदय’ मध्य प्रदेश में फेल हो गया। मार्च 2016 में इस प्रोजेक्ट के तहत जब मप्र से एमओयू हुआ था, बिजली कंपनियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वे अपना घाटा स्थिर रखें तथा विद्युत वितरण हानि 15 प्रतिशत के स्तर पर लाएं। बिजली खरीदी लागत तथा वसूली के अंतर को भी इन्हें शून्य पर लाना था। प्रदेश में इसके उलट परिणाम आए। राज्य की बिजली वितरण कंपनियों का घाटा चार साल (2016-2020) में करीब 50 फीसदी (35676 करोड़ से 52970 करोड़) बढ़ गया। विद्युत हानि भी 23.45 प्रतिशत से बढ़कर 33.08 प्रतिशत हो गई। महालेखाकार परीक्षक (कैग) ने इस पर आपत्ति जताते हुए लिखा है कि ‘उदय योजना का उद्देश्य कागजों से बाहर नहीं आ पाया। बिजली वितरण कंपनियों का परफॉर्मेंस सभी मामलों में निम्नस्तर का रहा है।’ इस मामले में प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के चेयरमैन तथा मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी विवेक पोरवाल अपना पक्ष रखने से बचते रहे।
इस मामले में आंशिक सफल रहे
बिजली खरीदी लागत तथा वसूली के अंतर के मामले में जरूर कंपनियों को आंशिक मात्र 9 पैसे की सफलता हासिल हुई। मार्च 2016 में यह अंतर 92 पैसे प्रति यूनिट का था, जो मार्च 2020 में घटकर 83 पैसे पर आया, जबकि लक्ष्य शून्य अंतर लाने का था।
यह था प्रोजेक्ट उदय
देश भर की विद्युत वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार लाने वर्ष 2015 में केन्द्र सरकार प्रोजेक्ट उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना-यूडीएवाय) लाई थी। जिस समय यह योजना लाई गई थी, देश की विद्युत वितरण कंपनियों पर करीब 4 लाख करोड़ का कर्ज था। मप्र की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों पर समवेत रूप में 34,639 करोड़ का कर्ज था। 2016 से 2020 के दरमियान महज 12 करोड़ रुपये कर्ज कम हुआ। यह स्थिति भी तब, जबकि मप्र सरकार ने इस अवधि में विद्युत वितरण कंपनियों का 12 हजार करोड़ रुपए का कर्जा अपने ऊपर ले लिया। योजना के जो तीन मुख्य उद्देश्य थे, उन्हें भी नहीं पूरा किया जा सका।
परफॉर्मेंस रिपोर्ट एक नजर
मद मार्च 2016 लक्ष्य मार्च 2020
कुल ऋण 34,739 रुपये ---- 34,727 रुपए
कुल घाटा 35,676 करोड़ स्थिर 52,978 करोड़
समग्र विद्युत हानि 23.45 प्रतिशत 15 प्रतिशत 33.08 प्रतिशत
लागत-वसूली अंतर 92 पैसा प्रति यूनिट 0 प्रतिशत 83 पैसा प्रति यूनिट
सोर्स : विधानसभा में 15 सितंबर को प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट
Created On :   28 Oct 2022 1:31 PM IST