बंद हुई विदर्भ-मराठवाड़ा के उद्योगों की बिजली सब्सिडी, कुछ बड़े उद्योगपति ही उठा रहे थे लाभ 

Electricity subsidy closed of Vidarbha-Marathwada industries
बंद हुई विदर्भ-मराठवाड़ा के उद्योगों की बिजली सब्सिडी, कुछ बड़े उद्योगपति ही उठा रहे थे लाभ 
बंद हुई विदर्भ-मराठवाड़ा के उद्योगों की बिजली सब्सिडी, कुछ बड़े उद्योगपति ही उठा रहे थे लाभ 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के विदर्भ, मराठवाडा, उत्तर महाराष्ट्र सहित पिछड़े जिलों के उद्योगों को मिलने वाली बिजली सब्सिडी फिलहाल रोक दी गई है। कुछ खास उद्योगों को इसका लाभ मिलने की शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने इसकी समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है। 15 दिनों के भीतर समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद नए सिरे से सब्सिडी योजना तैयार की जाएगी। राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने ‘दैनिक भास्कर’ से कहा है कि योजना की समीक्षा के बाद इसे फिर से शुरु किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य के दूसरे इलाकों के उद्योगों की मांग है कि पूरे राज्य के उद्योगों को इसका लाभ मिले। हम उकी मांगों पर भी विचार कर रहे हैं। 

दरअसल उद्योगों को मिलने वाली इस सब्सिडी का लाभ कुछ बड़े उद्योग ही उठा रहे थे। इसकी जानकारी मिलने के बाद राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजित पवार और ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने इसमें बदलाव की सोची है। उन्होंने तत्काल सब्सिडी पर रोक लगाने का मौखिक आदेश दिया है। इसकी भनक जैसे ही करोड़ों की सब्सिडी ले रहे कारोबारियों को लगा, उन्होंने उसे बहाल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई के माध्यम से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से साफ मना कर दिया। इसके बाद भी चालू महीने की सब्सिडी हासिल करने के लिए उन्होंने ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया पर इसमें सफल नहीं हो सके। अब ऊर्जा विभाग ने महावितरण के निदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित की है। इस संबंध में जारी शासनादेश के मुताबिक समिति विदर्भ, मराठावाडा, उत्तर महाराष्ट्र व राज्य के डी व डी प्लस क्षेत्रों के उद्योगों को मिलने वाली बिजली सब्सिडी की समीक्षा करेगी। समिति सभी क्षेत्रों को उद्योगों को इस योजना का लाभ मिलने के लिए स्लैब में सुसुत्रिकरण करेगी। समिति योजना में जरुरी बदलाव की सिफारिश भी करेगी। 

फडणवीस सरकार ने शुरु की थी योजना 

राज्य की पिछली फडणवीस सरकार के दौरान तत्कालीन ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विदर्भ,मराठवाड़ा और राज्य के पिछड़े जिलों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इन इलाको की इंडस्ट्रीज को बिजली दरों में रियायत देने की नीति लागू की थी। इस पर सालाना 1200 करोड़ रुपए खर्च किये जा रहे थे। इस बीच यह बात सामने आई है कि इस नीति का लाभ केवल कुछ बड़ी इंडस्ट्री वाले ही उठा रहे हैं। साथ ही पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण के उद्योगपति भी इस योजना का लाभ उन्हें भी देने की मांग कर रहे हैं। विदर्भ, मराठावाडा और राज्य के पिछड़े जिलों में करीब 7500 के आसपास उद्योग हैं,लेकिन सब्सिडी योजना का लाभ केवल दर्जनभरकारखाना मालिक उठा रहे हैं। साल 2020-21 के लिए आवंटित 1,200 करोड़ रुपये 20 दिसंबर 2020 तक सब्सिडी देने में खत्म हो गए। जिसमें से 15 कारखाना मालिकों ने 750 करोड़ रुपये का फायदा लिया। जबकि बाकी के 450 करोड़ रुपये मेंहजारों कारखाना मालिकों को थोड़ी बहुत सब्सिडी मिल सकी।वर्धा जिले के एक कारखाना मालिक ने 120 से 150 करोड़ रुपये का फायदा लिया है। 

ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने कहा कि मौजूदा सब्सिडी योजना की समीक्षा के लिए सात सदस्यों वाली एक समिति गठित की गई है। 15 दिनों के भीतर समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद नियमों में जरुरी संशोधन कर जल्द ही नए सिरे सेयोजना घोषित की जाएगी।’

                                          

Created On :   27 Jun 2021 6:48 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story