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मनपा स्कूलों में 27 फीसदी बढ़े अंग्रेजी के छात्र, भारतीय भाषाओं के विद्ययार्थीयों की घट रही संख्या
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पढ़ाई लिखाई के मामले में भारतीय भाषाओं के मुकाबले अंग्रेजी का दबदबा बढ़ता जा रहा है। मुंबई महानगर पालिका के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या पिछले दो सालों में 27 फीसदी बढ़ी है। पिछले कई सालों से कम हो रहे मराठी स्कूलों के विद्यार्थियों की संख्या में भी दो फीसदी का मामूली इजाफा हुआ है साथ ही उर्दू माध्यम के स्कूलों के विद्यार्थी भी दो फीसदी बढ़े हैं। इसके अलावा हिंदी, गुजराती, तमिल, कन्नड, तेलगू माध्यम के स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थी लगातार कम हो रहे हैं। पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो मराठी, हिंदी, गुजराती जैसी भारतीय भाषाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या करीब आधी रह गई जबकि अंग्रेजी में पढ़ने वाले विद्यार्थी 40 फीसदी ज्यादा हो गए। खासकर मुंबई में दक्षिण भारतीय भाषाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी बेहद तेजी से कम हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के दौरान और उसके बाद मुंबई महानगर पालिका के स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या 6 फीसदी बढ़ी है। गैर सरकारी संगठन प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि शैक्षणिक सत्र 2012-13 के दौरान मुंबई में सबसे ज्यादा 1 लाख 37 हजार 315 विद्यार्थी हिंदी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते थे इसके बाद 1 लाख 14 हजार 521विद्यार्थियों के साथ उर्दू माध्यम के स्कूल दूसरे नंबर पर थे। स्थानीय भाषा मराठी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी 1 लाख 3 हजार 48 थी। इस दौरान अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में 57 हजार 235 विद्यार्थी पढ़ते थे। लेकिन शैक्षणिक सत्र 2021-22 तक हालात पूरी तरह बदल गए और महानगर पालिका के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा 1 लाख 1 हजार 110 हो गई। इसके बाद उर्दू माध्यम के स्कूलों में 80 हजार 611 विद्यार्थी हैं। हिंदी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या 76 हजार 990 रह गई है। मुंबई में गुजराती 2445, तमिल 3224, कन्नड 1319, तेलगू 612 भाषाओं में पढ़ने वाले छात्र बेहद कम रह गए हैं।
कोरोना के बाद बीएमसी स्कूलों में छात्र बढ़े
कोरोना संक्रमण के दौरान और उसके बाद मुंबई महानगर पालिका के स्कूलों में छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। 10 सालों बाद ऐसा हुआ जब मनपा स्कूलों में छात्र बढ़े हैं। माना जाता है कि संक्रमण के दौरान लोगों की प्रभावित हुई आमदनी इसकी मुख्य वजह है। शैक्षणिक सत्र 2012-13 के दौरान मनपा स्कूलों में कुल 4 लाख 34 हजार 523 विदार्थी पढ़ते थे जो 2018-19 तक घटकर 3 लाख 746 रह गए थे। इसके बाद फिर मनपा स्कूलों का रुख करने वाले विद्यार्थी बढ़े और 2021-22 के दौरान इनकी संख्या 6 फीसदी बढ़कर 3 लाख 18 हजार 2 हो गई। आंकड़ों से एक और चिंताजनक तथ्य सामने आते हैं कि बीएमसी के स्कूलों में दाखिला लेने वाले 40 फीसदी ही छात्र 10वीं तक अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं। अच्छी बात यह है कि 2014-15 से 2021-2022 के बीच बीएमसी स्कूलों की संख्या 92 फीसदी बढ़ है और यह 52662 हो गई है। साथ ही 10 सालों में बीएमसी का प्रति छात्र बजट भी 108 फीसदी बढ़ा है और यह 1 लाख 2 हजार 143 रुपए हो गया है। प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने कहा कि बीएमसी स्कूलों में ज्यादा विद्यार्थियों का दाखिला लेना शुभ संकेत है और महानगर पालिका को इसे अपनी शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के मौके के रुप में देखना चाहिए। आदर्श स्थिति में 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होना चाहिए लेकिन बीएमसी के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में 41 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है।
यू बढ़ रहा अंग्रेजी का दबदबा
भाषा सत्र 2012-13 सत्र 2021-22
अंग्रेजी 57235 101110
मराठी 103048 51691
उर्दू 114521 80611
हिंदी 137315 76990
गुजराती 7037 2445
Created On :   5 Dec 2022 9:09 PM IST