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'पर्यावरण असंतुलन सेमिनार' जेनेवा में उठा कटनी के प्रदूषण का मामला
डिजिटल डेस्क, कटनी। कैमोर के बढ़ते प्रदूषण का मामला सोमवार को स्विजटरलैंड में उठाया गया। भारतवर्ष में विदेशी उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों से पर्यावरण असंतुलन से मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के विषय के सेमिनार में पहुंची कटनी की निर्मला गुरुंग ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा कि कैमोर सहित कटनी जिले में प्रदूषण का मानक बढ़ा हुआ है। जिसके चलते दर्जनों लोगों की सिलिकोशिस नामक बीमारी से मौत हो गई। इसके बावजूद विभाग का दावा है कि जिले में प्रदूषण का मानक सही है।
प्रदूषण की मात्रा कई गुना बढ़ी
विशेषज्ञों का कहना है कि शहर ही अपितु ग्रामीण क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण की मात्रा दोगुने से ज्यादा हो गई है। साइलेंट जोन में 70 से 100 डीबी है। सबसे भयावह स्थिति रहवासी इलाके की है। रहवासी इलाके में 80 से 120 डीबी के चलते नागरिक हाइपर टेंशन, चिड़चिड़ापन के साथ डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। प्रदूषण के जानकार कहते हैं कि जिले में खदान की धूल और ऑटो के धुएं से हाइड्रोकार्बनिक गैस हवा में जहर की तरह घुल रही है। जिले में इस समय पीएम-10 की मात्रा 300 और 2.5 200 माइक्रोग्राम प्रति क्युबिक मीटर से अधिक है।
दो दिवसीय सेमिनार शुरू
जेनेवा में सोमवार को निर्मला गुरुंग ने कैमोर के आसपास सीमेंट फैक्ट्रियों में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण की चर्चा की। गौरतलब हो कि फैक्ट्रियों के आसपास सिलिका सेंड और वायु प्रदूषण की मात्रा तेजी के साथ बढ़ रही है। गुरुंग ने मानव जीवन पर पडऩे वाले प्रभावों से बचाव के तरीके पर कार्य कर रही है। पिछले 25 अप्रैल से 5 मई के बीच जेनेवा में हुए पॉल्यूशन कांफ्रेंस में कटनी के कैमोर के प्रदूषण पर चिंता जताई गई। काफ्रेंस में कहा गया कि कैमोर का प्रदूषण आने वाले समय में गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।
कनाडा के वैज्ञानिकों ने भी गंभीर माना
विश्व स्तरीय सम्मेलन में कैमोर नगर एवं आसपास के गावों में फाइबर रेशे और डस्ट के चलते मानव जीवन पर प्रभाव डाल रहा है। वहीं कनाडा से आएं वैज्ञानिकों के दल ने कलहरा ग्राम से मिट्टी, जल, वायु सहित अन्य मानकों की माप की। नमूने को अमेरिका की विश्व मान्य संस्था में भेजा, जांच के दौरान गंभीर रिपोर्ट सामने आई। इतना ही नहीं छह माह पूर्व बेल्जियम की टीम ने प्रदूषण पर कैमोर में एक फिल्म बनाई। फिल्म में प्रदूषण के टलते हुई मौत और बीमारियों को भी दर्शाया है। फाइबर रेशे, सिलिकासेंड और फैक्ट्रियों का धुआं हवा में जहर घोल रहा है। समय रहते इन पर काबू नहीं पाया गया तो मानव जीवन पर खतरा उत्पन्न होगा।
Created On :   28 Nov 2017 12:51 PM IST