ईओडब्ल्यू के अधिकारी पहुंचे छिंदवाड़ा, रोड शेफ्टी के तहत लगाए गए बोर्डों को देखा

EOW officials arrived in Chhindwara, saw boards fitted under Road Shefty
ईओडब्ल्यू के अधिकारी पहुंचे छिंदवाड़ा, रोड शेफ्टी के तहत लगाए गए बोर्डों को देखा
ईओडब्ल्यू के अधिकारी पहुंचे छिंदवाड़ा, रोड शेफ्टी के तहत लगाए गए बोर्डों को देखा

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पूर्व नगर कमिश्नर इच्छित गढ़पाले के छिंदवाड़ा में पदस्थापना के दौरान हुए घोटालों की कारगुजारियां देखने गुरुवार को जबलपुर ईओडब्ल्यू की टीम छिंदवाड़ा पहुंची। भाजपा नेताओं द्वारा की गई शिकायत के बाद पहली बार जबलपुर ईओडब्ल्यू के जांच अधिकारी छिंदवाड़ा आए थे। शिकायत में जिन प्रकरणों का जिक्र किया गया था उन प्रकरणों की फाइल पहले ही जबलपुर कार्यालय में बुलवा ली गई थी। गुरुवार को आए अधिकारियों ने शहर की सीमाओं में रोड शेफ्टी के तहत लगाए गए बोर्डों को देखा। हालांकि छिंदवाड़ा पहुंची टीम ने गुुरुवार को नगर निगम के किसी भी अधिकारी-कर्मचारी से पूछताछ नहीं की। जांच टीम ने सतही निरीक्षण किया है।
गौरतलब है कि पूर्व नगर निगम कमिश्नर गढ़पाले के कार्यकाल में हुए कार्यों की शिकायत भाजपा जिलाध्यक्ष बंटी साहू द्वारा पिछले दिनों संभागीय कमिश्नर सहित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से की थी। शिकायत के आधार पर पुलिस महानिर्देशक ने गढ़पाले के विरुद्ध जांच शुरु किए जाने के निर्देश ईओडब्ल्यू के अधिकारियों को दिए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस प्रकरण पर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई थी। गुरुवार को जांच अधिकारियों ने छिंदवाड़ा पहुंचकर सभी स्थितियों और कार्यों का गुपचुप जायजा लिया और प्रकरण से जुड़े अन्य दस्तावेज भी जुटाए हंै।
मांगे दस्तावेजों की फोटोकॉपी, ओरिजनल कागजात भी होंगे सीज
जिन प्रकरणों की शिकायत भाजपा नेताओं द्वारा की गई थी। उन सभी प्रकरणों से जुड़ी फाइलों के दस्तावेज ईओडब्ल्यू द्वारा पहले ही मांगे जा चुके हैं। अब इस मामले में कार्रवाई के बाद मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ होना बाकी है। इसके बाद ईओडब्ल्यू के अधिकारी प्रकरण से जुड़े तमाम दस्तावेजों की ओरिजनल फाइल  सीज करेंगे। हालांकि अभी तक इस प्रकरण में शिकायतकर्ताओं सहित निगम के अफसरों से भी पूछताछ होना बाकी है।
इन दो प्रकरणों पर नजर
प्रकरण-1: रोड शेफ्टी प्रोजेक्ट: निगम के रोड शेफ्टी प्रोजेक्ट के तहत जिन बोर्डों को लगाया गया है। उनको लेकर अफसर घिरे हुए हैं। 11 करोड़ के इस टेंडर में अभी तक 7 करोड़ 27 लाख का भुुगतान हो चुका है, जबकि इतना काम ही नहीं किया गया। दिल्ली की फर्म ने ठेका लेकर पूरा काम पेटी कांट्रेक्टरों से करवाया। इस बंदरबांट में नियमों की खुली अवहेलना की गई। गुरुवार को आई जांच टीम ने शहर में लगाए गए सभी बोर्डों का निरीक्षण भी किया है। 11 करोड़ की इस बंदरबांट में शासन स्तर से की गई सेंक्शन प्रक्रिया, टेंडर, डीपीआर सहित टेक्निकल अनुमति का पेंच पहले से ही फंसा हुआ है।
बड़ा सवाल:
प्रोजेक्ट के तहत परासिया रोड में ही बोर्ड लगाए गए हैं। जबकि 22 करोड़ की लागत से यहां सड़क का चौड़ीकरण होना है। सड़क निर्माण और रोड शेफ्टी के तहत लगाए गए इन बोर्डों की सेंक्शन प्रक्रिया एक साथ हुई। अब सवाल ये है कि सड़क चौड़ीकरण के बाद जो बोर्ड वर्तमान में परासिया रोड में लगाए गए हैं वह स्वत: ही किसी काम के नहीं रहने वाले हैं।
प्रकरण-1: सफाई ठेका : निगम में दूसरा बड़ा घोटाला पिछले दिनों हरियाणा की लॉयंस कंपनी को दिए गए सफाई ठेके का था। इस सफाई ठेके का पहले दिन से ही विरोध चल रहा था। उसके बाद भी शहर के 24 वार्डों की सफाई का जिम्मा निजी कंपनी को प्रदान कर दिया गया। तब कहा गया था कि इस ठेके के लिए तकरीबन 19 करोड़ की राशि शासन स्तर से प्रदान की जाएगी, लेकिन एक रुपए भी नहीं आ पाए। निगम ने पूरा भुगतान अपने स्तर पर किया। अभी भी साढ़े पांच करोड़ का भुगतान होना बाकी है। जबकि अभी तक तकरीबन 60 लाख का भुगतान कंपनी को किया जा चुका है।
बड़ा सवाल:
स्थाई से लेकर अस्थाई कर्मचारियों को वेतन भुगतान के एवज में निगम को प्रतिमाह 2 करोड़ 74 लाख का खर्चा आता है, लेकिन सिर्फ 24 वार्डों की साफ-सफाई का ठेका 1 करोड़ 63 लाख रुपए प्रतिमाह में प्रदान कर दिया गया। जबकि बाकि 24 वार्डों की सफाई व्यवस्था निगम द्वारा ही संचालित की जा रही थी। ये भी कहा जा रहा था कि तिगुना दामों में ये सफाई ठेका कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए दिया गया था।
 

Created On :   28 Aug 2020 10:05 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story