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एस्सेल कंपनी स्पष्ट करे 2 लाख पेड़ काटने से पर्यावरण को कैसे नुकसान नहीं होगा - एनजीटी
बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान की अनुमति का मामला
डिजिटल डेस्क जबलपुर । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान की अनुमति दिए जाने पर एस्सेल कंपनी को 15 दिन के भीतर शपथ-पत्र के जरिए अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। एनजीटी दिल्ली के जस्टिस शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेम्बर अरुण कुमार वर्मा ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह निर्देश जारी किया है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि बक्सवाहा के 382 हेक्टेयर जंगल में हीरा खदान की अनुमति दे दी गई है। यह याचिका पर्यावरण को बचाने के लिए दायर की गई है। कलेक्टर छतरपुर ने कम्पेंसेटरी फारेस्टेशन के लिए आदेश जारी किया है, लेकिन यह आदेश अपूर्ण है। अब वन भूमि को डायवर्ट करने की प्रक्रिया चल रही है। अधिवक्ता प्रभात यादव ने कहा कि इससे पर्यावरण को क्षति पहुँचने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट के लिए एन्वायरमेंट क्लियरेंस नहीं दिया जाना चाहिए। एस्सेल कंपनी की ओर से कहा गया कि इस प्रोजेक्ट से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा। प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक अनुमतियाँ ली जा रही हैं। प्रारंभिक सुनवाई के बाद एनजीटी ने निर्देश दिया कि एस्सेल कंपनी 15 दिन के भीतर शपथ-पत्र के जरिए अपनी स्थिति स्पष्ट करे।
Created On :   12 Jun 2021 5:21 PM IST