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फेरीवालों के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट की अनिवार्यता समाप्त
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने मुंबई में फेरीवालों के लाइसेंस के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट (अधिवास प्रमाणपत्र) की अनिवार्यता खत्म कर दी है। यानी अब लाइलेंस के लिए आवेदन करते समय फेरीवालों को इस बात का प्रमाण नहीं देना होगा कि वे महाराष्ट्र में 15 साल या उससे ज्यादा समय से रह रहे हैं। सरकार के इस फैसले का बड़ा फायदा दूसरे राज्यों खासकर उत्तर भारत से आने वालों को होगा क्योंकि महानगर में ज्यादातर फेरीवाले उत्तर भारतीय ही हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली "बालासाहेबांची शिवसेना" और भाजपा को आगामी मुंबई महानगर पालिका चुनावों में इस फैसले का लाभ मिल सकता है।नगर विकास विभाग की ओर से इस बाबत जारी अध्यादेश में कहा गया है कि ज्यादातर फेरीवाले दूसरे राज्यों से हैं इसलिए वे डोमिसाइल सर्टिफेकेट पेश नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए लाइसेंस जारी करने के लिए पहले से जिन दस्तावजों की जरूरत है उनके अलावा डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं है। साथ ही आदेश में कहा गया है कि जिन फेरीवालों के पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट होगा उसे स्वीकार किया जाएगा लेकिन जिनके पास यह सर्टिफिकेट नहीं होगा केंद्रीय कानून के मुताबिक सर्वे के दौरान उनके रजिस्ट्रेशन की जांच की जाएगी और लाइसेंस देने के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। साल 2014 में मुंबई महानगर पालिका ने एक सर्वे कराया था। जिससे पता चला था कि 99432 फेरीवालों में सेकेवल 17 हजार ही लाइसेंस के लिए पात्र हैं। ज्यादातर लोगों के पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं था। इसलिए ज्यादातर को लाइसेंस जारी नहीं किए जा सके। इससे पहले फेरीवालों के खिलाफ शिकायत के बाद महाविकास आघाडी सरकार ने फरवरी 2020 में ताजा सर्वे के आदेश दिए थे। मुंबई महानगर पालिका के नियमों के मुताबिक फेरीवालों का हर पांच साल में सर्वे किया जाना होता है। फेरीवालों के नेता दयाशंकर सिंह ने इस फैसले के लिए राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।
Created On :   15 Dec 2022 9:59 PM IST