पेट्रोल में इथेनॉल का सही मिश्रण नहीं, बंद हो रहे इंजन

Ethanol is not mixed properly in petrol, engines are shutting down
पेट्रोल में इथेनॉल का सही मिश्रण नहीं, बंद हो रहे इंजन
नई मुसीबत पेट्रोल में इथेनॉल का सही मिश्रण नहीं, बंद हो रहे इंजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बारिश के दिनों में टंकी में पेट्रोल भरवाने के बाद दोपहिया वाहन अचानक बंद हो रहे हैं। मैकेनिक के पास लेकर जाने पर पेट्रोल की जगह टंकी में पानी नजर आ रहा है। टंकी की सफाई करवाने में खासा खर्च आ रहा है। मैकेनिक का कहना है कि पेट्रोल में पानी की मिलावट है, लेकिन वास्तविकता में पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल का ब्लेंडिंग ही पानी का कारण साबित हाे रहा है। केंद्र सरकार के फैसले के तहत पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल मिलाया जा रहा है, लेकिन पेट्रोल डिपोे में सही रूप में मिक्सिंग नहीं होने के चलते पेट्रोल पंप के साथ ही वाहन चालकों के लिए मुसीबत बन रहा है। पानी का संपर्क, नमी और टंकी से बरसाती पानी रिसाव से इथेनॉल पानी का रूप लेकर टंकी के नीचे बैठ जा रहा है। ऐसे में वाहन बंद हो जा रहे हैं।

पंपों पर मिलावट के आरोप
विदर्भ के 6 जिलों में तीन सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के और दो निजी कंपनियों के करीब 550 से अधिक पेट्रोल पंप मौजूद हैं। इनमें से इंडियन ऑइल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनी के पंपों के लिए पेट्रोल और डीजल को वर्धा जिले के दहेगंाव में नायरा कंपनी के डिपो से ईंधन आपूर्ति होती है, जबकि बोरखेड़ी के डिपो से भारत पेट्रोलियम कंपनी के विदर्भ में 254 पंप को प्रतिदिन करीब 5 लाख लीटर पेट्रोल आपूर्ति हो रहा है। इसमें पेट्रोल के साथ ही 50,000 लीटर इथेनॉल भी आपूर्ति होता है। इन सभी डिपों में पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग, आपूर्ति और जांच के लिए मानव आधारित व्यवस्था मौजूद है। ऐसे में शहर के 95 पेट्रोल पंपों समेत पूरे जिले के 250 पेट्रोल पंप में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से खासी परेशानी हो रही है। पेट्रोल पंप पर पेट्रोल में मिलावट के आरोप भी लग रहे हैं। शहर में प्रतिदिन 6 लाख लीटर पेट्रोल की खपत होती है।

निजी कंपनियों को अतिरिक्त लाभ
निजी दो कंपनियों के पंप में अब भी पेट्रोल में इथेनॉल का प्रयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में इन कंपनियों को करीब 1 रुपए 70 पैसे का अतिरिक्त मुनाफा मिल रहा है। पेट्रोल की मूल कीमत 40 रुपए और इथेनॉल 59 रुपए मूल कीमत में होता है। प्रति लीटर पेट्रोल में 100 मिली इथेनॉल मिलाने पर सरकारी कंपनियों को 1.70 पैसे का अतिरिक्त खर्च करना होता है। निजी कंपनियों की ओर से इथेनॉल इस्तेमाल नहीं होने से 1.70 रुपए लाभ के रूप में प्राप्त हो रहे हैं। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के देशभर में पंप को मल्टी प्वाइंट डिस्पेंसर मशीन (एमपीडी) और लोहे की टंकियां पेट्रोल स्टोरेज के लिए मौजूद हैं। एमपीडी की डिजाइन 10 फीसदी इथेनॉल के अनुरूप तैयार किया गया है, ऐसे में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाने से मशीन के रबर गलाने के साथ ही लोहे को जंग लगा रहा। 

ब्लेंडिंग के बजाय मिक्सिंग
पेट्रोलियम कंपनियों को 10 फीसदी इथेनॉल को मिश्रित करने की अनुमति है। कंपनी के डिपाे में मशीन से पेट्रोल में आनुपातिक रूप में इथेनॉल को ब्लेंडिंग करना होता है, लेकिन मिक्सिंग हो रही है। डिपो के स्टोरेज ट्रक में पेट्रोल भरने के बाद 10 फीसदी इथेनॉल डालकर ट्रक को घुमाकर मिश्रित किया जा रहा है। यह पूरी तरह मिश्रित नहीं होने से वाहन चालकों को परेशानी हो रही है।

व्यवस्थापन के लिए नहीं व्यवस्था 
पेट्रोल में मिश्रित इथेनॉल के पानी बनने से खासा नुकसान होता है। इथेनॉल की रिफाइनरी में व्यवस्थापन को लेकर भी कोई व्यवस्था नहीं है। पानी बन जाने के बाद पेट्रोल टंकी से निकालकर मुंबई की रिफाइनरी में भेजना होता है। यह प्रक्रिया बेहद खर्चीली और डीलर को आर्थिक नुकसान देनेवाली है। एक ट्रक से रिफाइनरी में भेजने का खर्च करीब 70,000 रुपए आता है, जबकि मुआवजे के रूप में 12,000 रुपए आइल कंपनी को देती है। रिफाइनरी में ट्रक को करीब 8 दिनों तक ठहराना होता है। 

अत्याधुनिक जांच मशीन और अलार्म की जरूरत
पेट्रोलियम कंपनी के डीलर को प्रतिदिन सुबह अपने पेट्रोल स्टॉक में वाटर फाइंडिग जांच करनी होती है। इस जांच में इथेनाल के पानी होने पर छड़ी का रंग लाल हो जाता है। इसके बाद डीलर की सूचना पर पेट्रोलियम कंपनी के वाहन से टंकी को ड्रेन करना होता है। कंपनी की ओर से पेट्रोल और डीजल की घनता और वजन की जांच के लिए डिजिटल अलार्म मशीन लगाई गई है, लेकिन पेट्रोल मिश्रित इथेनॉल के पानी होने पर जानकारी की कोई व्यवस्था नहीं होने से कई बार वाहन चालकों को पानी रूपी इथेनॉल दे दिया जाता है। 

आधारभूत सुविधा के बगैर प्रयोग विफल
देश भर में इथेनॉल इस्तेमाल से पर्यावरण सुरक्षा के साथ ही ईंधन में भी बचत होगी, लेकिन इसके लिए आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने के साथ ही वाहनों की टंकियों में बदलाव बेहद जरूरी है। वाहनों की टंकियों में पानी रिसाव से इथेनॉल से दिक्कत हो रही है। वाहनों की टंकियों के साथ पेट्रोल पंप के स्टोरेज टंकियों को भी फाइबर निर्मित बनाने की आवश्यकता है। इस बदलाव से निश्चित रूप से हम भी विकसित देशों की भांति इथेनॉल आधारित वाहनों को अपना सकेंगे। -अमित गुप्ता, अध्यक्ष विदर्भ पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन

इथेनॉल पृथक होने की जानकारी नहीं
खापरी डिपो से विदर्भ के 6 जिलों में 254 पेट्रोल पंप को प्रतिदिन 5 लाख लीटर पेट्रोल की आूपर्ति होती है, इसमें से 50 हजार लीटर इथेनॉल का समावेश है। पेट्रोल में इथेनॉल को मिलाने के लिए दो स्वचलित पाइप लाइन से व्यवस्था की गई है। पेट्रोल में नमी अथवा जल रिसाव संपर्क से इथेनॉल के पानी बन जाने की जानकारी अब तक नहीं मिली है। -नितीन महात्मे, डिपो प्रबंधक, भारत पेट्रोलियम खापरी

Created On :   21 Sep 2021 10:44 AM GMT

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