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7 साल बाद भी बीमा कंपनी ने बायपास सर्जरी का नहीं दिया क्लेम..!
पीडि़त ने कहा कि परेशान होकर अब बंद करा दी पॉलिसी
डिजिटल डेस्क जबलपुर । स्वास्थ्य का परीक्षण कराने के बाद पॉलिसी जारी करने वाली बीमा कंपनी क्लेम देने से पीछे हट रही है। ऐसा आरोप अब पॉलिसी धारकों के द्वारा लगाया जा रहा है। अनेक बीमा कंपनी लगातार लुभावने वादे तो करती हैं पर जब बीमित को बीमा कंपनी के सहयोग की आवश्यकता होती है तो वे नियमों का हवाला देकर क्लेम देने से इनकार कर देती हैं। ऐसी ही अनेक शिकायतें पीडि़तों के द्वारा की जा रही हैं और बीमा कंपनियों की पोल खोल रही हैं। उसके बाद भी बीमा कंपनियों के गोलमाल पर अकुंश लगाने वाले जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह मौन हैं। प्रशासन के द्वारा मौन धारण किए जाने के कारण अस्पताल व बीमा कंपनियाँ लाभ कमाने में लगी हैं। अस्पतालों के बिल चुकाने के लिए लोगों को कर्ज तक लेना पड़ा रहा है। ऐसे ही दो मामले प्रकाश में आए हैं, जिसमें सात साल बाद भी बायपास सर्जरी का क्लेम बीमा कंपनी ने नहीं दिया और एक अन्य मामले में कोरोना संक्रमण की पॉलिसी देने के बाद भी संक्रमण के शिकार बीमित का क्लेम ही रिजेक्ट कर दिया गया। स्वास्थ्य लाभ लेने वाले बीमित क्लेम के लिए अब परेशान हो रहे हैं।
पत्राचार के बाद भी इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं की सुनवाई
गेट नंबर चार राइट टाउन निवासी विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने इंडिया फस्र्ट इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया था। पॉलिसी जारी करने के पहले बीमा कंपनी ने पूरा चैकअप कराया था और उस समय किसी तरह की बीमारी नहीं थी। अचानक उन्हें वर्ष 2014 में हार्ट से संबंधित समस्या होने पर चैकअप कराया तो बायपास सर्जरी की सलाह चिकित्सकों के द्वारा दी गई। उन्होंने बैंगलोर में जाकर बायपास सर्जरी कराई। अस्पताल प्रबंधन को कैशलेस का बीमा कार्ड दिया था। बीमा कंपनी ने उक्त कार्ड पर कैशलेस इलाज से मना कर दिया और उसके बाद उन्होंने 3 लाख 81 हजार कैश भुगतान कर 18 सितम्बर 2014 को इलाज कराया। इलाज कराने के बाद इंश्योरेंस क्लेम कंपनी में किया। कंपनी द्वारा अस्पताल व दवाइयों के बिल को चैक किया गया। चैक करने के बाद अन्य दस्तावेज माँगे। अचानक कंपनी से पत्र आया कि आपको शुगर की बीमारी थी इसलिए हम क्लेम नहीं दे सकते। विनोद का कहना है कि वे लगातार पत्राचार करते रहे और सारे तथ्य भी उनके पास पेश किए पर उन्होंने किसी तरह का जवाब नहीं दिया, अब परेशान होकर उन्होंने अपनी पॉलिसी इस वर्ष बंद करा दी है।
कोरोना संक्रमित हुआ पर बीमा कंपनी मानने तैयार नहीं
कोरोना रक्षक पॉलिसी इफको टोकियो से खरीदना बजरंग नगर करमेता निवासी आकाश रजक को महँगा पड़ गया। आकाश का आरोप है कि पॉलिसी खरीदने में उसके रुपए भी डूब गए और उसे किसी तरह का लाभ भी नहीं मिला। बीमित का कहना है कि वह कोरोना संक्रमण का शिकार होने के कारण 3 नवंबर को अस्पताल में भर्ती हुआ था। अस्पताल में लगातार 14 दिनों तक इलाज चला। इलाज के दौरान ही उसने बीमा कंपनी को सूचित कर दिया था। सूचना के बाद बीमा कंपनी के सर्वेयर चैक करने आए थे। चैक करने के बाद उन्होंने कहा था कि आप अस्पताल व दवाइयों के बिल दें। उसके द्वारा बीमा कंपनी को बाकायदा बिल दिए गए और अपना क्लेम सेटल करने बात भी की। बिल देने के बाद फिर से बीमा कंपनी के लोग उनके घर पर आए और पूछताछ के बाद वापस चले गए। बीमा कंपनी से कुछ दिनों बाद एक लैटर आया कि आपको हम क्लेम नहीं दे सकते हैं, क्योंकि आपको ज्यादा संक्रमण नहीं था। संक्रमण अधिक होने पर ही इफको टोकियो इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देती है। पीडि़त ने बताया कि उसके द्वारा लगातार कंपनी के टोल फ्री नंबर व एजेंट से संपर्क किया जा रहा है पर आज तक बीमा कंपनी किसी तरह का जवाब नहीं दे रही है।
टोल फ्री नंबर भी नहीं करता काम
इनका कहना है
इंडिया फस्र्ट इंश्योरेंस कंपनी के टोल फ्री नंबर 1800209800 पर संपर्क करने का प्रयास किया गया पर उक्त नंबर पर कंपनी का कोई भी प्रतिनिधि उपलब्ध नहीं हुआ। टोल फ्री नंबर ग्राहक की सेवाओं में खरा नहीं उतर रहा है। पॉलिसी के नियमों के अनुसार हमारी कंपनी बीमित व्यक्ति को क्लेम दे रही है। आकाश रजक का किन कारणों से क्लेम सेटल नहीं हो पाया है उसका परीक्षण कराया जाएगा।
अंकित पांडे, ब्रांच मैनेजर इफको टोकियो
Created On :   10 May 2021 2:07 PM IST