जमानत के बाद भी 10 माह से जेल में है आरोपी

Even after bail, the accused is in jail for 10 months
जमानत के बाद भी 10 माह से जेल में है आरोपी
नागपुर जमानत के बाद भी 10 माह से जेल में है आरोपी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. आर्थिक अपराध में घिरे 2 आरोपियों पर निचली अदालत द्वारा लगाई गई जमानत की शर्तें इतनी भारी पड़ रही हैं कि जमानत मिलने के बावजूद वे केवल इसलिए जेल में हैं, क्योंकि वे शर्तें पूरी नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, आरोपी रामकृष्ण दुबे और सतीशचंद्र मिश्रा पर विदर्भ के विविध पुलिस थानों में भादवि 406, 420 और एमपीआईटी अधिनियम धारा 3 के तहत मामले दर्ज हैं। आरोपी गैलेक्सी एसोसिएट्स के निदेशक हैं। उन पर निवेशकों से 7.08 करोड़ रुपए ठगने का आरोप है। आरोपियों के खिलाफ ऐसे कुल 26 मामले हैं, जिन पर नागपुर की विशेष एमपीआईडी में संयुक्त रूप से सुनवाई चल रही है। 9 जुलाई 2021 को निचली अदालत ने दोनों आरोपियों की जमानत मंजूर की, लेकिन इसके लिए शर्त लगाई कि उन्हें हर एक मामले में  नागपुर के 2 निवसियों को जमानतदार बना कर 1-1 लाख रुपए की शुअरटी लानी होगी। तब से अारोपी यह शर्त पूरी नहीं कर सके हैं। हाल ही में उन्होंने अपने वकील श्रीरंग भंडारकर और मल्लिका यादुका के जरिए निचली अदालत की शर्तों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने दलील दी कि निचली अदालत की शर्तें बहुत सख्त हैं, जिससे याचिकाकर्ता का जमानत का अधिकार बाधित हो रहा है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर निचली अदालत के आदेश में आंशिक परिवर्तन किया। हाईकोर्ट ने शुअरटी की रकम 1 लाख रुपए से घटा कर 75 हजार रुपए कर दी है। 

महामार्ग निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की जांच करें : हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण के मुख्य अभियंता को आदेश दिए हैं कि वे गड़चिरोली-सिरोंचा एनएच हाईवे क्र.353-सी के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की जांच करें और हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपें। भ्रष्टाचार निवारण समिति के जिलाध्यक्ष संतोष ताटीकोंडवार ने हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की थी। उनके वकील अनिल ढवस ने दलील दी कि इस मार्ग का सुधार कार्य बहुत ही निकृष्ट दर्जे का हुआ है। खराब महामार्ग के कारण क्षेत्र में दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं। एनएचएआई से शिकायत करने के बाद भी कोई हल नहीं निकला। ऐसे में 4 जुलाई 2021 को स्थानीय लोगों ने आंदोलन भी किया, लेकिन एनएचएआई ने इसकी कोई जांच नहीं की। याचिकाकर्ता को सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने इस मार्ग के निर्माण के लिए करोड़ों रुपए मंजूर किए, लेकिन इसमें भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार किया। ऐसे में इस याचिका में मामले की जांच करके दोषियों पर कार्रवाई के आदेश जारी करने की प्रार्थना कोर्ट से की गई थी। 

Created On :   21 April 2022 5:37 PM IST

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