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880 करोड़ होने के बाद भी अनुदान से वंचित हैं छात्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर. पिछड़ा वर्ग के छात्रों को कॉलेज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत सरकार ने 1960 से पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना शुरू की है। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। 2017 से 2021 तक केंद्र और राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान में से 881 करोड़ राशि अखर्चित है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार 2017-18 में 887 करोड़ 88 लाख रुपए प्राप्त हुए। उसमें से मात्र 883 करोड़ खर्च किए गए। 2018-19 में केंद्र और राज्य सरकार से 1525 करोड़ रुपए मिले, जिसमें से 1332 करोड़ रुपए खर्च हुए और 193 करोड़ बच गए। 2019-20 में 1727 करोड़ प्राप्त हुए और 1053 करोड़ खर्च किए गए, जिसमें 664 करोड़ रुपए की निधि बच गई है। इसी तरह 2020-21 में 372 करोड़ रुपए की निधि में से 372 खर्च की गई । 2021-22 में 585 करोड़ रुपए की निधि में से 565 करोड़ की खर्च की गई, जिसमें से 20 करोड़ रुपए की निधि अखर्चित है।
ये रहे आंकड़े
वर्ष प्राप्त अनुदान कुल खर्च अखर्चित निधि
2017-18 887 करोड़ 883 करोड़ 4 करोड़
2018-19 1525 करोड़ 1332 करोड़ 193 करोड़
2019-20 1727 करोड़ 1053 करोड़ 663 करोड़
2020-21 372 करोड़ 372 करोड़ 00
2021-2022 585 करोड़ 565 करोड़ 20 करोड़
विद्यार्थियों के साथ अन्याय
आशीष फुलझेले, सचिव, मानव अधिकार संरक्षण मंच के मुताबिक केंद्र और राज्य से प्राप्त अनुदान के अनुपात में खर्च कम है। पिछले 5 साल में लगभग 1000 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2018 से 2021 तक हजारों छात्र अभी भी छात्रवृत्ति लाभ से वंचित हैं।सामाजिक न्याय विभाग छात्रों के साथ अन्याय कर रहा है।
Created On :   27 March 2022 6:35 PM IST