सात महीने बाद भी बीमा कंपनी ने नहीं दिया इलाज का भुगतान

Even after seven months, the insurance company did not pay the treatment
सात महीने बाद भी बीमा कंपनी ने नहीं दिया इलाज का भुगतान
सारे दस्तावेज जमा करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं सात महीने बाद भी बीमा कंपनी ने नहीं दिया इलाज का भुगतान

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। अस्पताल में इलाज तो आसान होता है पर बीमा कंपनी से अस्पताल को भुगतान कराना काफी कठिन होता है। बीमा कंपनी हमेशा कैशलेस से अपना पीछा छुड़ाने का प्रयास करती है। बीमा कंपनी के जिम्मेदार हमेशा यही कहते हैं कि आप इलाज कराने के बाद बिल सबमिट करेंगे तो हम परीक्षण के बाद सारा भुगतान अकाउंट में डाल देंगे। पॉलिसी धारक बीमा कंपनी के अधिकरियों के कहने पर बिल की राशि अपने पास से भुगतान कर देता है और ठीक होने के बाद जब बीमा कंपनी में अस्पताल के बिल सबमिट किए जाते हैं तो उनमें अनेक प्रकार की गलतियाँ निकालते हुए नियम विरुद्ध होने का दावा किया जाता है और कई तरह से बीमित को परेशान किया जाने लगता है। इसके बाद बीमा कंपनी बीमित को क्लेम न देना पड़े इसके लिए कई तरह के नियमों का हवाला देने लगती है जो पॉलिसी धारक को बताया ही नहीं गया था। बीमितों का आरोप है कि बीमा कंपनी जानबूझकर आम लोगों को परेशान करती है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

सड़क दुर्घटना में टूट गया था पैर

उत्तर प्रदेश निवासी सुरेश कुमार का जबलपुर के पनागर थाना क्षेत्र में दुर्घटना केे दौरान पैर टूट गया गया था। दुर्घटना के बाद दमोहनाका स्थित निजी अस्पताल में इलाज चला और इलाज के दौरान बीमा कंपनी को कैशलेस करना था पर बीमा के अधिकारियों ने कैशलेस से इनकार कर दिया। इलाज के बाद घायल अपने घर यूपी गाजीपुर चला गया और वहाँ से बीमा कंपनी को कई मेल किए और सारे दस्तावेज ऑन व ऑफलाइन सबमिट किए पर आज तक बीमा अधिकारियों के द्वारा किसी भी तरह का सहयोग नहीं दिया गया। पॉलिसी क्रमांक 222506/31/2021/4126 का प्रीमियम भी बीमित के द्वारा प्रतिवर्ष भरा जा रहा है पर बीमा कंपनी का किसी भी तरह का सहयोग पॉलिसी धारक को नहीं मिला। बीमित का आरोप है कि हमारे साथ बीमा के अधिकारियों व टीपीए के द्वारा गोलमाल किया जा रहा है। बीमित ने कई बार बीमा कंपनी में मेल किया और टोल-फ्री नंबर पर संपर्क किया पर बीमा कंपनी के अधिकारी किसी भी तरह का सही उत्तर नहीं दे रहे हैं। पीड़ित का कहना है कि अगर जिम्मेदार सहयोग नहीं देंगे तो इनके विरुद्ध कंज्यूमर कोर्ट में केस लगाएँगे। वहीं बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क किया गया पर उनके द्वारा सही उत्तर नहीं दिया जा रहा है।
 

Created On :   17 Aug 2022 4:48 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story