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आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई तो भी सतर्क रहें, लंग्स इंफेक्शन में हो सकता है कोविड
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि यह संख्या स्थिर रूप से बढ़ रही है। इसके साथ ही शहर में मृत्युदर भी स्थिर चल रही है, लेकिन इस बीच एक बड़ी परेशानी अब भी बनी हुई है। अस्पताल में कई मरीज ऐसे भी हैं, जो कि कोविड की आरटीपीसीआर जांच में निगेटिव आए, लेकिन लंग्स इंफेक्शन के रूप में कोविड ने मरीज को पकड़ा है। इस तरह के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। इस तरह के करीब 8 से 10 मरीज मेयो अस्पताल में अलग वार्ड में भर्ती हैं। मेयो अस्पताल के छाती रोग विभाग और टीबी विभाग में खांसी और अन्य समस्याओं के लिए इलाज के लिए आए थे। उसी समय इलाज के दौरान इस तरह के मरीजों की पहचान हुई। इलाज के दौरान तो उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन उनके फेफड़े (लंग्स) में इंफेक्शन था। ऐसे लोगों को अलग वार्ड में भर्ती किया गया है। वर्तमान में मेयो अस्पताल में 8 से 10 मरीज इस तरह के भर्ती हैं। इन मरीजों का इलाज कोविड मरीजों की तरह ही किया जा रहा है। खांसी और छींक से सतह पर और हाथ में कोरोना वायरस आता है। फिर जैसे ही कोई संपर्क में आता है, यह वायरस उस व्यक्ति के गले, आंख और नाक से शरीर में प्रवेश कर जाता है। आमतौर पर कोरोना संक्रमित मरीज को खांसी, छींक और अन्य लक्षण होते हैं, लेकिन यह वायरस गले और नाक में ज्यादा असर नहीं करते हुए सीधे लंग्स को प्रभावित करता है। सीटी स्कैन और एक्सरे की सहायता से इस इंफेक्शन का पता लगाया जा सकता है।
हमारे यहां अलग वार्ड में भर्ती हैं ऐसे मरीज
डॉ. सागर पांडे, उप-अधीक्षक, इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के मुताबिक आरटीपीसीआर निगेटिव कोविड मरीज भी हमारे यहां आए हैं। इस तरह के करीब 8 से 10 मरीजों को अलग भर्ती किया गया है। इन मरीजों में लंग्स इंफेक्शन है। इस तरह के मरीजों की आरटीपीसीआर रिपोर्ट भी निगेटिव आई है।
टीबी का उपचार कराने वालों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
इसके लिए अब टीबी मरीजों का इलाज होकर बीमारी का प्रसार रोकने की दृष्टि से निजी अस्पताल में उपचार कराने वाले मरीजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। टीबी के मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों पर रजिस्ट्रेशन की भी शर्त लागू की गई है। राष्ट्रीय टीबी दूरीकरण कार्यक्रम अंतर्गत रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। प्रत्येक टीबी मरीज का रजिस्ट्रेशन कर उसका इलाज करने व टीबी की रोकथाम, नियमित इलाज को प्रतिसाद नहीं देने वाले मरीजों के माध्यम से होने वाले प्रसार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से यह नियम लागू किया गया है। मरीजों का रजिस्ट्रेशन की शर्त लागू किए गए निजी स्वास्थ्य संस्थानों में टीबी का रोग निदान करने वाले पैथॉलोजी, मायक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला, रेडियोलॉजी सुविधा केंद्र, विविध पैथी के अस्पताल, डॉक्टर्स, बाह्य रुग्ण व आंतररुग्ण सुविधा केंद्र, औषधि विक्रेता, केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट आदि का समावेश है। रजिस्ट्रेशन में लापरवाही बर्दाश्त नहीं : टीबी के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स, अस्पताल, औषधि विक्रेता मरीजों के रजिस्ट्रेशन में लापरवाही बर्दाश्त नहीं करने की मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है। उन्हें टीबी का प्रसार करने के लिए जिम्मेदार ठहराकर भादंवि की धारा 269, 270 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। दोषि व्यक्ति को न्यूनतम 6 महीने से 2 वर्ष जेल तथा जुर्माने का कानून में प्रावधान है। शहर में टीबी का रोग निदान करने वाले सभी लैब, उपचार करने वाले विविध पैथी के अस्पताल तथा डॉक्टर्स, औषधि विक्रेताओं को 1 जनवरी 2021 से रोग निदान, उपचार तथा औषधि खरीदी करने वालों का मनपा के टीबी कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराने के आदेश निर्गमित किए गए हैं। टीबी के मरीजों की जानकारी निर्धारित प्रोफार्म में भरकर हर महीने शहर टीबी अधिकारी कार्यालय भेजना अनिवार्य किया गया है।
Created On :   31 Jan 2021 4:07 PM IST