पेंच में बाघ नहीं दिखा, तो भी मायूस नहीं होंगे पर्यटक

Even if tiger is not seen in Pench, tourists will not be disappointed
पेंच में बाघ नहीं दिखा, तो भी मायूस नहीं होंगे पर्यटक
आकर्षण का केन्द्र पेंच में बाघ नहीं दिखा, तो भी मायूस नहीं होंगे पर्यटक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले का पेंच व्याघ्र प्रकल्प पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है, लेकिन कई बार यहां घूमने आने वालों को जंगल सफारी के दौरान बाघ देखने को नहीं मिलता है। लेकिन अब उन्हें मायूस नहीं होना पड़ेगा। गाइड उन्हें परिसर में के पेड़-पौधों से लेकर अन्य वन्यजीवों के बारे में जानकारी देंगे। वन्यजीवों के पदचिह्नों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। वन विभाग पेंच के 110 गाइड को इसकी ट्रेनिंग दे रहा है। पेंच व्याघ्र प्रकल्प 7 सौ से ज्यादा वर्ग किमी में फैला है। इस जंगल में 53 के करीब बाघ मौजूद हैं। यहां आने वाले हर पर्यटक को बाघ देखने की हसरत होती है, लेकिन कई बार बाघ नहीं दिखते, लेकिन अब यदि पर्यटकों को बाघ के दर्शन नहीं होते हैं, तो गाइड उन्हें जंगल की दूसरी महत्वपूर्ण जानकारियां देगा। जैसे जंगल में कितने पेड़-पौधे हैं, उनकी विशेषता क्या है, लेपर्ड की संख्या कितनी है, वह कैसे रहते हैं। मगरमच्छ व मछलियों के बारे में भी दिलचस्प बातें बताई जाएंगी। पदचिह्न किस जानवर के हो सकते हैं, इसकी भी जानकारी दी जाएगी। विभाग का मानना है कि इससे पर्यटकों का रोमांच बना रहेगा। जानकारी के अनुसार, वर्तमान में पेंच के जंगल में 250 बटरफ्लाई की प्रजाति है। कई दुर्लभ भी हैं। इसके अलावा करीब 5 सौ प्रजाति के पेड है। उन पर 53 प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा है। यहां 71 प्रजाति के मैमल्स रहते हैं, जिसमें बाघ, तेंदुआ, भालू जैसे बड़े जानवरों के साथ हायना, लोमड़ी जैसे वन्यजीव भी शामिल है।

समय का उपयोग

वर्तमान स्थिति में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इस कारण जंगल सफारियों पर ताला लगा दिया गया है। अगले आदेश तक सफारियां शुरू नहीं की जाएगी। ऐसे में गाइड के पास कोई काम नहीं बचा है। वन विभाग ने समय का सदुपयोग करते हुए कुल 110 गाइड को एक्सपर्ट के माध्यम से ट्रेनिंग देने का फैसला किया है। जंगल सफारियां जब फिर से शुरू होंगी, तो सभी गाइड जंगल ज्ञान से भरे रहेंगे। 

 


 

Created On :   17 Jan 2022 3:19 PM IST

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