एसटी के ड्राइवर- कंडक्टर बसों में ही गुजार रहे रात, बारिश में भी हॉल्टिंग वाले कर्मचारियों को नहीं मिल रही शेड की व्यवस्था

Even in the rain, the halting workers are not getting the arrangement of the shed
एसटी के ड्राइवर- कंडक्टर बसों में ही गुजार रहे रात, बारिश में भी हॉल्टिंग वाले कर्मचारियों को नहीं मिल रही शेड की व्यवस्था
दिक्कत एसटी के ड्राइवर- कंडक्टर बसों में ही गुजार रहे रात, बारिश में भी हॉल्टिंग वाले कर्मचारियों को नहीं मिल रही शेड की व्यवस्था

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एसटी बसों को लेकर विभिन्न गांवों में रुकने वाले ड्राइवर व कंडक्टरों को इन दिनों परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं रहने से रात बसों के भीतर गुजारनी पड़ रही है। बारिश के दौरान बसों में नींद नहीं होने से दूसरे दिन दुर्घटना की आशंका बन रही है।  बता दें कि राजूराबूरी गांव में एक ड्राइवर की बस की छत से नीचे गिरने से मौत हो गई थी। सूत्रों की माने तो वह बस के ऊपर सोने के लिए ही जा रहा था। इस तरह के हादसों की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसलिए ग्रामीण इलाकों में बस ड्राइवर व कंडक्टर के रहने की पर्याप्त व्यवस्था होना जरूरी है।रेलवे गाड़ियों के साथ राज्य मार्ग परिवहन महामंडल की बसें यात्रियों के लिए मुख्य आवागमन का साधन हैं। 

असली परेशानी यहां 

शहर से शहर के साथ यह बसें यात्रियों को छोटे-छोटे गांव भी पहुंचाती हैं, जहां निजी वाहनों से जाना तक मुश्किल रहता है। लेकिन इन गांवों तक बसों को लेकर जाने वाले चालक व वाहकों को रात में परेशान होना पड़ता है। दरअसल, आखिरी बस रात 10 बजे के बाद पहुंचने पर सुबह गांव से बस चलानी होती है। ऐसे में आखिरी बस लेकर जाने वाले ड्राइवर व कंडक्टर को नागपुर विभाग अंतर्गत रीदोरा, गोटनगांव, राजूराबूरी, वग, चारगांव, शिर्सी आदि छोटे –छोटे गांव में रात गुजारनी होती है। गांव वालों की ओर से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलने से इन्हें बसों में ही सोना पड़ता है। गर्मी व ठंड में जैसे-तैसे बस में रात निकल जाती है, लेकिन बारिश में बसों में सोना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कई ड्राइवर व कंडेक्टरों की नींद नहीं हो पाती है। इस कारण दूसरे दिन बस चलाने में हादसे की आशंका बनी रहती है।  

बुनियादी सुविधा भी नहीं  

रीदोरा, मोगांव, बेर्डी, परतवाड़ा, सोलापुर, धुले, औरंगाबाद आदि जगहों पर रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं रहने से बसों में रात गुजारनी पड़ती है। दूसरे दिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहता है। ऐसे में कई बार खुले में शौच करने पर ग्राम पंचायत की ओर से कार्रवाई का सामना भी करना पड़ता है। नियमानुसार ग्रामपंचायत में एसटी के अधिकारियों ने मुलाकात कर यहां बस चालक व वाहकों के रुकने की व्यवस्था करना जरूरी है, ताकी गांव निवासियों की ओर से उन्हें समाज भवन, स्कूल आदि में रुकने की अनुमति मिल सके, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। 
 
 

Created On :   25 Sept 2022 4:30 PM IST

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