प्रभुता हर कोई चाहता है, पर प्रभु पर ध्यान नहीं देते -पं. आशीष मिश्र

Everyone wants sovereignty, but does not pay attention to god said ashish mishra
प्रभुता हर कोई चाहता है, पर प्रभु पर ध्यान नहीं देते -पं. आशीष मिश्र
प्रभुता हर कोई चाहता है, पर प्रभु पर ध्यान नहीं देते -पं. आशीष मिश्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर | पोद्दारेश्वर राम मंदिर में गत पांच दशकों से चल रही श्रीराम कथा के वार्षिक आयोजन में युवा रामायणी पं. आशीष मिश्र ने पंचम दिवस उत्तरकांड के आधार पर कागभुसुंडी और गरुड के संवाद के आधार पर भगवान श्रीराम के प्रभाव और स्वभाव का विवेचन की। उन्होंने कहा कि जो भगवान की ओर अग्रसर होता हैं, उसी को सब कुछ मिल जाता हैं।

प्रभुता हर कोई चाहता है, पर प्रभु पर ध्यान नहीं देते, जो प्रभु पर ध्यान देता है, प्रभुता उसकी सेविका हो जाती है। गोस्वामी तुलसीदास ने जीवन में संघर्ष किया। प्रभु चरणों में मन लगाया तो भाग्य बदल गया। तुलसीदास अपने को स्वामी का श्वान कहते हैं। कथा का सार हरिनाम संकीर्तन है, गुरु, संत व साधु में भले ही कोई कमी हो, पर वे जब देंगे ज्ञान ही देंगे। जब श्रीराम ने धनुष तोड़ा तो भयंकर ध्वनि हुई, ब्रह्मांड हिल उठा, परशुराम ने ध्वनि सुनी तो सोचा कि जिसने धनुष तोड़ा है वह तनकर खड़ा होगा। 

वे जनक सभा में आए तो जनक ने तुरंत सीता को बुला परशुराम के चरण स्पर्श कराए। परशुराम ने कहा सौभाग्यवती भव। उन्होंने जनक से पूछा, धनुष किसने तोड़ा। जनक ने मौन रहना उचित समझा। राम ने विनम्रता से कहा, धनुष तोड़ने वाला कोई आपका दास ही होगा। फिर राम का प्रभाव दिखाने लक्ष्मण ने संवाद की बागडोर संभाली। लक्ष्मण के वचन जब परशुराम को ज्यादा उत्तेजित कर देते तो राम अपनी विनम्रता से उन्हें शांत कर देते। राम ने कहा कि हमसे कोई अपराध भी हुआ हो, तो क्षमा कर दें। क्योंकि हम तो हर तरह आपके ही हारे हैं।

तब परशुराम को आभास हुआ कि अवतार हो चुका है। यहां प्रभु के प्रभाव एवं स्वभाव दोनों का दर्शन होता है। कथा के पूर्व पं. गंगासागर पांडेय ने महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के पूछने पर जो रहने योग्य स्थान बताए थे, उनकी चर्चा की। पं. आशुतोष मिश्र ने मधुर भजनों से भक्तिरस बरसाया। विद्वान वक्ताओं का स्वागत श्यामसुंदर बुटोलिया, अनिल पाराशर, देवराव वासे, कमलाकर दीक्षित, शंकरप्रसाद चौबे आदि ने किया। यह जानकारी प्रबंधक ट्रस्टी रामकृष्ण पोद्दार ने दी।

रानी सती की ध्वजायात्रा 24 को
रानी सती मंदिर, न्यू नंदनवन, ‘सतीधाम’ से शुक्रवार 24 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर ध्वजायात्रा निकाली जाएगी। ध्वजयात्राा अन्नपूर्णा माता मंदिर, गरोबा मैदान से सुबह 7 बजे निकलकर सतीधाम मंदिर, नंदनवन पहुंचेगी। भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में ध्वजा उठाने शामिल होने की अपील की गई है। आयोजन की सफलतार्थ अध्यक्ष रमा खेमका, अरुण खेमका, आशीष खेमका, पवन जाजोदिया, राजकुमार अग्रवाल, सुरेश खेमका, विनोद पोद्दार, राजेश खेतान, राजू गाड़ोदिया, विनोद जाजोदिया, गोपाल पचेरीवाला, डाॅ. सज्जन अग्रवाल, राकेश गोयनका, पुरुषोत्तम लिलडिया प्रयासरत हैं।
 

Created On :   22 Jan 2020 11:21 AM IST

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