सुविधा 180 की , गुजारा कर रहे 440!-परेशान हा रहे ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी

Facility of 180, 440 living! - Students of Gyanodaya Residential School are suffering
सुविधा 180 की , गुजारा कर रहे 440!-परेशान हा रहे ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी
सुविधा 180 की , गुजारा कर रहे 440!-परेशान हा रहे ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय के विद्यार्थी

डिजिटल डेस्क शहडोल । मुख्यालय से लगे ग्राम विचारपुर स्थित शासकीय ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय  का भवन जितना आलीशान है, अंदरूनी व्यवस्था उतनी ही लचर है। छात्र-छात्राएं वहां रहकर अभावों में विद्याध्ययन करने को विवश हैं। कक्षा 6 से 12 वीं तक के 440 विद्यार्थियों की संख्या दर्ज है, जो रह भी रहे हैं, लेकिन सुविधा मात्र 180 विद्यार्थियों के हिसाब से मुहैया कराई गई है। सबसे ज्यादा परेशानी बर्तनों को लेकर है। दूसरा छात्र पहले छात्र के भोजन कर लेने का इंतजार करता है, ताकि उसकी थाली लेकर वह भोजन ले सके। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस विद्यालय की अव्यवस्था को लेकर अधिकारी बजट का अभाव बता रहे हैं। समूची व्यवस्था शिष्यवृत्ति पर निर्भर है। स्कूल, हॉस्टल, मैस आदि की व्यवस्था के लिए बाजार से इतनी उधारी हो चुकी है कि अब दुकानदारों ने वह भी देना बंद कर दिया है। जरूरत के अनुसार फिनाइल, बल्व और अन्य सामान के लिए कोई बजट नहीं है। प्रबंधन द्वारा बाजार से खरीदे जा रहे थे, उधारी 4-5 लाख की हो चुकी है।
नए भवन में गद्दे-चादर नहीं
विद्यालय में हॉस्टल का नया भवन हैंडओवर तो हो चुका है, लेकिन उसमें व्यवस्थाएं नहीं हैं। विद्यालय में 220-220 छात्र व छात्राएं दर्ज हैं। आवासीय होने के कारण हर वर्ग के विद्यार्थी यहीं रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। नए भवन में अभी तक गद्दा, तकिया, चादर व अन्य कपड़े नहीं मिले हैं। जिसके कारण एक पलंग में दो विद्यार्थियों को सोना पड़ता है। यही हाल बर्तनों का है। 
प्रैक्टिकल रूम में इंस्ट्रूमेंट नहीं
विद्यालय में सबसे बड़ी समस्या विज्ञान छात्रों व खेल में रुचि रखने वालों के लिए है। प्रयोगशाला भवन तो बना हुआ है लेकिन आज तक उनमें इंस्ट्रूमेंट की सुविधा नहीं है। जिसके कारण बच्चे पै्रक्टिल वर्क से वंचित हो रहे हैं। स्टॉफ के बैठने के लिए कुर्सी आदि फर्नीचर तक का अभाव बना हुआ है। विद्यालय में एक भी स्पोर्टस सामग्री नहीं है जिसके कारण बच्चे खेल गतिविधियों में हिस्सा लेने से वंचित हो जाते हैं।
नहीं मिली गणवेश की राशि
यहां निवासरत विद्याथियों को हर वर्ष गणवेश व स्टेशनरी की राशि मिला करती थी, लेकिन वह भी वर्ष 2017-18 से नहीं मिली है। गणवेश व स्टेशनरी को मिलाकर हर वर्ष 2 हजार रुपये छात्रों के खातों में शासन राशि देता था। यह राशि नहीं मिलने से विद्यार्थी डे्रस तक नहीं खरीद पा रहे हैं। कई तो बिना ड्रेस के ही रहते हैं।
भोजन की गुणवत्ता भी ठीक नहीं
आवासीय विद्यालय में प्रतिदिन 440 छात्र-छात्राओं के लिए नाश्ता व भोजन बनता है। शिष्यवृत्ति के रूप में प्रति छात्र प्रति माह 1230 रुपये आते हैं। इसमें से 10 प्रतिशत की राशि छात्रों के खातों में तेल, साबुन व अन्य व्यय के लिए मिलता है। बाकी 1100 रुपये की राशि अधीक्षक के खातों में भेजा जाता है, ताकि बेहतर नाश्ता व भोजन मिल सके। लेकिन जानकारी के अनुसार कभी भी मीनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता। लड़कियों के हॉस्टल की अधीक्षक हॉस्टल में न रहकर शहडोल से आना जाना करती हैं। 
इनका कहना है
बजट की कमी के कारण वांछित सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं। बजट आता भी है तो अपै्रल माह से यूज किया जा सकेगा। बजट की कमी से होने वाली परेशानियों से विभागीय आयुक्त व शासन को अवगत कराया जा चुका है।
जेपी वरवटे, उपायुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग
 

Created On :   4 March 2020 3:19 PM IST

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