प्रतिज्ञा पर बोले फडणवीस- कभी नहीं कहा, विदर्भ राज्य बने बिना शादी नहीं करूंगा

Fadnavis said on the pledge- never said, I will not marry without becoming Vidarbha state
प्रतिज्ञा पर बोले फडणवीस- कभी नहीं कहा, विदर्भ राज्य बने बिना शादी नहीं करूंगा
कोई वहम हुआ है प्रतिज्ञा पर बोले फडणवीस- कभी नहीं कहा, विदर्भ राज्य बने बिना शादी नहीं करूंगा

भास्कर प्रतिनिधि | नागपुर. पृथक विदर्भ की लड़ाई देवेंद्र फडणवीस और नितीन गडकरी ने शुरू की। बड़े-बड़े भाषण दिए। विदर्भ अलग होने तक शादी नहीं करूंगा, देवेंद्र फडणवीस ने ऐसी कठोर प्रतिज्ञा ली थी। अखबार में मैंने पढ़ा था। कहां गई ये ‘विश्व प्रतिज्ञा’? सरकार में आते ही अलग विदर्भ की प्रतिज्ञा क्यों भूल गए? राकांपा नेता एकनाथ खड़से ने गुरुवार को विधान परिषद में विदर्भ की मौजूदा अवस्था पर बात करते हुए उपमुख्यमंत्री पर शब्द बाण छोड़े। उन्होंने कहा कि पृथक विदर्भ का मुद्दा छेड़ कर लोगों को भड़काना, उन्हें लड़वाना और इसका फायदा उठा कर कुर्सी हथियाना ठीक नहीं है। फडणवीस 5 वर्ष लगातार मुख्यमंत्री थे, अब उपमुख्यमंत्री हैं। कम से कम उन्हें अब तो विदर्भ पर हो रहे अन्याय को दूर करना चाहिए। खड़से के वार पर पलटवार करते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आपको कोई वहम हुआ है। मैंने कभी ऐसी घोषणा नहीं की कि जब तक विदर्भ नहीं बनता शादी नहीं करूंगा। आप मेरी शादी में भी थे। अगर ऐसा होता तो आप मेरी शादी रोक देते। ‘लंगोटी’ अखबार कुछ भी छापते हैं। उन पर विश्वास न करें।

सिंचाई प्रकल्प लटके

सूखे की समस्या वाले विदर्भ में कई सिंचाई प्रकल्प शुरू हुए, जो आज भी अधूरे पड़े हैं। मेरे कार्यकाल में गोसीखुर्द का मेरे हाथों जो भूमिपूजन हुआ, वह तीसरी बार किया गया भूमिपूजन था। मेरे पहले इंदिरा गांधी, पी.वी.नरसिम्हाराव ने भूमिपूजन किया, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ। गोसीखुर्द का पहला नाम इंदिरा सागर था, फिर राजीव सागर हुआ। भूमिपूजन करते वक्त मैं डरा हुआ था कि अब इसका नाम -"नाथ सागर" न हो जाए। इसलिए भूमिपूजन के पहले ही मैंने कह दिया था कि वाकई निर्माणकार्य शुरू करना हो तो मुझ से भूमिपूजन कराएं। आखिरकार गडकरी और केंद्र सरकार की पहल पर यह प्रकल्प पूरा हुआ, लेकिन केंद्र ने जिन प्रकल्पों पर ध्यान नहीं दिया वो आज भी अधूरे हैं।

मिहान में उद्योग नहीं आ रहे

विदर्भ के विकास के नाम पर गाजे-बाजे के साथ शुरू किए गए मिहान में आज कोई नया उद्योग आने को तैयार नहीं। सिंचाई व्यवस्था न होने से फसले बर्बाद हैं, डेयरी, संतरा या अन्य फसलों से किसान को फायदा पहुंचाने के लिए योग्य सरकारी यंत्रणा नहीं है। एक ओर विदर्भ के गांव सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समृद्धि महामार्ग, मेट्रो और बुलेट ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट कर्ज लेकर चलाए जा रहे हैं। आज महाराष्ट्र पर 6 लाख 66 हजार करोड़ का कर्ज है। उसका थोड़ा सा हिस्सा भी विदर्भ पर खर्च करते, तो इसकी तस्वीर बदल जाती।

Created On :   30 Dec 2022 6:48 PM IST

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