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क्षेत्रिय दल की मान्यता से वंचित : वंचित आघाडी को लोकसभा चुनाव में 6 फीसदी वोट मिले
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के पिछड़े वर्ग-दलितों का समर्थन हासिल करने के मकसद से चुनाव मैदान में उतरी वंचित बहुजन आघाडी नाकाम साबित हुई है। पार्टी को मिले वोटों से साफ होता है कि कोई ऐसा इलाका नहीं है जहां इन वर्गों ने पार्टी उम्मीदवारों को पूरा समर्थन किया हो। इसके चलते पार्टी को क्षेत्रीय दल की मान्यता हासिल करने के लिए जरूरी 6 फीसदी वोट तो मिल गए लेकिन एक उम्मीदवार जीतने की शर्त पूरी नहीं हो सकी इसलिए पार्टी को क्षेत्रीय दल की मान्यता हासिल करने के लिए अभी इंतजार करना होगा।लोकसभा चुनावों से पहले भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर ने वंचित बहुजन समाज का मोर्चा तैयार किया था। आंबेडकर के मुताबिक स्थापित पार्टियां आरक्षित सीटों के अलावा इस वर्ग के लोगों को टिकट नहीं देती। इसीलिए उन्होंने राज्य की सभी 48 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
एक उम्मीदवार के जीत की शर्त नहीं हुई पूरी
वंचित आघाड़ी में अकबरुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम भी शामिल थी। आंबेडकर को उम्मीद थी कि वंचित को मुस्लिम समाज का भी पूरा समर्थन मिलेगा। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि मुसलमानों ने इस मोर्चे को समर्थन नहीं दिया। राज्य में अनुसूचित जाति, जनजाति और मुस्लिम समाज की कुल आबादी 32 फीसदी है। इसलिए उम्मीद थी कि इल समाज के वोट वंचित आघाडी और राकांपा-कांग्रेस गठबंधन को मिलेंगे। लेकिन वंचित बहुजन आघाडी को कुल 37 लाख 43 हजार 560 वोट ही मिले। माना जा रहा है कि मुस्लिम समाज ने वंचित आघाडी के उम्मीदवारों को समर्थन नहीं दिया। अकोला में कांग्रेस के हिदायत पटेल को 2 लाख 54 हजार 370 वोट मिले जबकि प्रकाश आंबेडकर को 2 लाख 78 हजार 848 वोट मिले। सोलापुर में कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे को 3 लाख 66 हजार 377 वोट मिले जबकि आंबेडकर 1 लाख 70 हजार वोट ही हासिल कर पाए। इससे साफ होता है कि इलाके के सभी मुस्लिम और बौद्ध मतदाताओं ने आंबेडकर को समर्थन नहीं दिया। दूसरी ओर औरंगाबाद में जीत हासिल करने वाले एमआईएम के इम्तियाज जलील को 3 लाख 89 हजार 42 वोट मिले। वरिष्ठ विचारक डॉ जीके डोंगरगावकर के मुताबिक जलील को दलितों का भरपूर समर्थन मिला है।
6 फीसदी वोट के साथ एक उम्मीदवार की जीत जरूरी
राज्य के अनिल वलवी, उपमुख्य चुनाव अधिकारी के अनुसार किसी भी दल को प्रादेशिक पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए 6 फीसदी वोट और एक सांसद चुने जाने की जरूरत होती है। हालिया चुनावों में राज्य में 5 करोड़ 35 लाख लोगों ने मतदान किया। वंचित आघाडी को 37 लाख 45 हजार 560 वोट मिले। 6 फीसदी मदतान की शर्त तो पूरी हो गई है लेकिन आघाडी का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। औरंगाबाद से जीते इम्तियाज जलील एमआईएम के उम्मीदवार थे इसलिए फिलहाल वंचित आघाडी को प्रादेशिक पार्टी की मान्यता नहीं दी जा सकती।
Created On :   30 May 2019 4:48 PM IST