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मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र समाज को योग्य डॉक्टर की सेवा से वंचित करने जैसा- सत्र न्यायालय
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र हासिल करना समाज को योग्य डाक्टर की सेवा पाने से वंचित करने जैसा है। इसके साथ ऐसे जाति प्रमाणपत्र के आधार पर दाखिला पाना खास वर्ग के पात्र विद्यार्थी को भी शिक्षा से दूर करना है। यह बात कहते हुए मुंबई सत्र न्यायालय ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र उपलब्ध करानेवाले 62 वर्षीय आरोपी यासिन मिर्जा को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। जाति पड़ताल कमेटी ने एक छात्र के अनुसूचित जनजाति(एसटी) के जाति के प्रमाणपत्र के फर्जी पाए जाने बाद आरोपी के खिलाफ मामला पुलिस में मामला दर्ज कराया है। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी ने कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था।
न्यायधीश ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत है। जो दर्शाते है कि आरोपी ने अनुसूचित जनजाति का फर्जी जाति प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया है। आरोपी का कृत्य काफी गंभीर है। इस तरह के अपराध से समाज एक योग्य डाक्टर की सेवा पाने से वंचित होता है और खास वर्ग का पात्र विद्यार्थी दाखिले से दूर हो जाता है। इसलिए आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है।
सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दावा किया कि उनके खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। उसकी इस मामलें में गिरफ्तारी की जरुरत नहीं है। इसके साथ ही उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। लेकिन अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपी इस मामले से जुड़े अपराध का मुख्य सूत्रधार है। वह छात्रों व उनके अभिभावकों के संपर्क में था। हम इस मामले में आरोपी से पूछताछ के बाद यह पता करना चाहते है कि फर्जीवाडे को कैसे अंजाम दिया गया। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया और आरोपी को जरुरत पड़ने पर मेडिकल सुविधाएं देने को कहा।
Created On :   24 Dec 2020 7:08 PM IST