मरीज के परिजनों को 51 लाख का मुआवजा दे फर्जी डॉक्टर

Fake doctor should give compensation of 51 lakhs to the relatives of the patient
मरीज के परिजनों को 51 लाख का मुआवजा दे फर्जी डॉक्टर
उपभोक्ता आयोग का फैसला   मरीज के परिजनों को 51 लाख का मुआवजा दे फर्जी डॉक्टर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक फर्जी डाक्टर को एक मरीज की विधवा पत्नी व बच्चों को 51 लाख 37 हजार रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ मुआवजे के रुप में देने का निर्देश दिया है। डाक्टर द्वारा इलाज के दौरान लगाए गए गलत इंजेक्शन के चलते महिला के पति की मौत हो गई थी। मामला 37 वर्षीय वकील उत्तम अंधाले से जुड़ा है। अंधाले नई मुंबई इलाके में अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते थे। अक्टूबर 2014 में अंधाले को बाए कंधे में दर्द महसूस हुआ। इसलिए वे एक क्लिनिक में गए। जहां डाक्टर दत्तात्रेय अगाडे ने उन्हें कमर में डायक्लोफेंस नामक एक इंजेक्शन लगाया और दवा दी। इंजेक्शन लेने के बावजूद अंधाले का दर्द जारी रहा। इसके अलावा जिस जगह इंजेक्शन दिया गया था वह स्थान नीला पड़ गया था। दूसरे दिन अंधाले की पत्नी दोबारा अपने पति को डाक्टर अगाडे के पास ले गई। डाक्टर ने जो इंजेक्शन पहले दिन लगाया था वहीं इजेक्शन फिर से कमर की दाहिनी ओर लगाया। इसके बवाजूद अंधाले की पीड़ा में कोई कमी नहीं आई। 

अंधाले की कमर में असहनीय पीड़ा देखने के बाद उनकी पत्नी ने फोन पर डाक्टर से संपर्क किया। डाक्टर ने पत्नी से कहा कि वे अंधाले को अस्पताल लेकर जाए। इसके बाद अंधाले को अस्पताल ले जाया गया। जहां डाक्टर प्रशांत मोहंती ने अंधाले की जांच की और पाया कि अंधाले को गलत उपचार दिया गया है। जिससे अंधाले के पूरे शरीर पर विपरीत असर पड़ा है। कुछ समय बाद अंधाले को दूसरे अस्पताल में ले जाया गया। जहां डाक्टरों ने तय किया कि जिस स्थान पर अंधाले को इजेक्शन दिया गया वहां का आपरेशन करना पड़ेगा। जिससे शरीर में गैंगरीन को फैलने से रोका जा सके। किंतु सर्जरी से पहले ही अंधाले की मौत हो गई। अंधाले की मौत के बाद डाक्टर अगाडे के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई और आयोग में मुआवजे की मांग को लेकर दावा दायर किया गया।          

एफआईआर के बाद डाक्टर आगाडे को गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ समय बाद डाक्टर अगाडे को जमानत मिल गई किंतु जांच के दौरान पता चला कि अगाडे ने फर्जी डिग्री के आधार पर नकली प्रमाणपत्र हासिल किया है। अगाडे खुद को योग्य आयुर्वेदिक डाक्टर बताता था। लेकिन उसके पास एलोपैथी उपचार करने का कोई अधिकार नहीं था। अगाडे का पंजीयन इसलिए रद्द कर दिया गया था क्योंकि उसके पास मेडिसिन को लेकर कोई डिग्री नहीं थी। आयोग के अध्यक्ष एसपी तावडेव न्यायिक सदस्य एजेड ख्वजा की पीठ के  सामने सुनवाई के दौरान अंधाले की ओर से पैरवी कर रही पेशे से वकील पत्नी वैशाली ने कहा कि उनके पति को जो इंजेक्शन दिया गया था उसे देने के लिए डाक्टर अगाडे के पास जरुरी योग्यता, कौशल व ज्ञान नहीं था। यह मामले की जांच से साबित हो गया है। गलत इंजेक्शन के चलते मेरे पति की जान गई है। डाक्टर अगाडे ने जो इंजेक्शन दिया था उसे एच सूची में अधिसूचित किया गया है। जिसे लगाने की योग्यता डाक्टर अगाडे के पास नहीं थी। 

सुनवाई के बाद आयोग ने मामले से जुड़े तथ्यों पर विचार करने के बाद कहा कि डाक्टर अगाडे ही अंधाले की मौत के लिए जिम्मेंदार हैं। पति के निधन के बाद अंधाले की पत्नी पर बच्चों की पढाई का बड़ा खर्चा है। डाक्टर की लापरवाही के चलते बच्चों ने अपने पिता को बेहद कम उम्र में खो दिया है। इसलिए अंधाले के परिजन मुआवजा पाने के हकदार हैं। इस तरह आयोग ने 51 लाख 37 हजार 137 रुपए अंधारे के परिवार को देने का निर्देश दिया है। चूंकी यह मामला साल 2016 का है। इसलिए आयोग ने फर्जी डाक्टर को साल 2016 से अंधाले के परिजनों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम का भुगतान करने का निर्देश दिया है। आयोग ने अगाडे को 25 हजार रुपए मुकदमे के खर्च के रुप में अलग से देने का निर्देश दिया है। 

 

Created On :   29 Oct 2022 9:11 PM IST

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